शुगर (डायबिटीज) - Diabetes in Hindi

Dr. Anurag Shahi (AIIMS)MBBS,MD

January 21, 2017

January 30, 2024

शुगर
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डायबिटीज क्या है? - Diabetes meaning in Hindi

डायबिटीज (शुगर) एक ऐसा रोग है जिसमें रक्त में मौजूद शुगर या ग्लूकोस का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। खाना खाने से हमें ग्लूकोस मिलता है और इन्सुलिन नामक हॉर्मोन इस ग्लूकोस को शरीर की कोशिकाओं में जाने में मदद करता है ताकि उन्हें ताकत मिल सके।

डायबिटीज के सबसे सामान्य लक्षण होते हैं बार-बार पेशाब आना, तेज प्यास व भूख लगना, वजन बढ़ना या असामान्य कम होना, थकान, कट या घाव लगने पर उनका जल्दी ठीक न हो पाना, पुरुषों में यौन संबंधी समस्याएं और हाथ-पैर में गुदगुदी महसूस होना या उनका सुन्न होना। 

समय के साथ-साथ खून में बहुत ज्यादा ग्लूकोस होने के कारण कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इससे आपकी आंखों, किडनी और नसों को नुकसान हो सकता है। शुगर के कारण हृदय संबंधी समस्याएं और स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याएं तो हो ही सकती हैं, यहां तक कि इसके कारण आपका कोई हाथ या पैर निकालने की आवश्यकता भी हो पड़ है। 

गर्भवती महिलाओं को भी डायबिटीज हो सकती है। इसका पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है। A1C नामक एक टेस्ट होता है, जिससे ये पता चलता है कि आप अपनी शुगर को कितनी अच्छी तरह से नियंत्रित कर पा रहे हैं। 

व्यायाम करना, वजन पर नियंत्रण रखना और सही आहार लेना आपकी शुगर को नियंत्रित कर सकता है। आपको अपने ब्लड शुगर के स्तर का ध्यान रखना चाहिए और अगर डॉक्टर ने आपको दवाएं दी हैं, तो उन दवाओं को बताए गए तरीके से समय पर लेना चाहिए।

इन्सुलिन का महत्त्व - Importance of Insulin in Hindi

मधुमेह समझने से पहले, हमें ये समझना होगा कि इन्सुलिन के अभाव में कैसे हमारा शरीर कार्य करता है या हमारे शरीर में ग्लूकोज़ का चयापचय कैसे होता है।

कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा देने वाले भोजन के रूप में माना जाता है और हमारे भोजन के एक महत्वपूर्ण भाग में कार्बोहाइड्रेट होता है। हम जब कार्बोहाइड्रेट खाते हैं, वो पेट में जाकर ऊर्जा में बदलता है जिसे ग्लूकोज़ कहते हैं।

इस ऊर्जा को हमारे शरीर में मौजूद लाखों कोशिकाओं के अंदर पहुँचना होता है ताकि हमारी कोशिका ग्लूकोज को जला कर शरीर को उर्जा पहुँचाएं। ये काम तभी संभव है जब हमारे अग्न्याशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन उत्पन्न करें। इंसुलिन एक हार्मोन है जो आपके शरीर में कार्बोहाइड्रेट और वसा के चयापचय को नियंत्रित करता है।

बिना इंसुलिन के ग्लूकोज़ कोशिकाओ में प्रवेश नहीं कर सकता है और रक्त वाहिकाओं में एकत्रित हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति को वो शक्ति नहीं मिल पाती जो उसे चाहिए और व्यक्ति व्यक्ति मधुमेह से ग्रस्त हो जाता है।

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शुगर (मधुमेह, डायबिटीज) के प्रकार - Types of Diabetes in Hindi

मधुमेह कितने प्रकार का होता है?

डायबिटीज के सबसे मुख्य प्रकार हैं डायबिटीज टाइप 1, डायबिटीज टाइप 2 और जेस्टेशनल डायबिटीज।

  • टाइप 1 डायबिटीज:
    टाइप 1 डायबिटीज में आपका शरीर इन्सुलिन नहीं बना पाता है। आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय में मौजूद उन कोशिकाओं को खत्म कर देती है जो इन्सुलिन बनाती हैं। टाइप 1 डायबिटीज की समस्या आमतौर पर बच्चों और युवाओं में देखी जाती है, हालांकि ये किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। टाइप 1 डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्ति को जीवित रहने के लिए रोजाना इन्सुलिन लेना पड़ता है।
     
  • टाइप 2 डायबिटीज:
    टाइप 2 डायबिटीज में शरीर या तो इन्सुलिन बनाता नहीं है या उसका सही से उपयोग नहीं करता। डायबटीज का ये प्रकार किसी भी उम्र में हो सकता है, बचपन में भी। हालांकि, ये ज्यादातर मध्यम आयुवर्ग के लोगों या बूढ़े लोगों में देखी जाती है। डायबिटीज का ये प्रकार सबसे आम है।
     
  • जेस्टेशनल डायबिटीज:
    कई महिलाओं को प्रेगनेंसी में डायबिटीज हो जाती है। ज्यादातर मामलों में, डिलीवरी के बाद ये डायबिटीज ठीक हो जाती है। हालांकि, जेस्टेशनल डायबिटीज होने के बाद आपको टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। कभी-कभी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान टाइप 2 डायबिटीज भी हो जाती है।

शुगर (मधुमेह, डायबिटीज) के लक्षण - Diabetes Symptoms in Hindi

डायबिटीज (शुगर) होने की क्या पहचान है?

डायबिटीज के तीन प्रमुख लक्षण हैं -

  • ज्यादा प्यास लगना
  • ज्यादा भूख लगना
  • पहले से अधिक पेशाब आना

डायबिटीज के शुरूआती लक्षण खून और पेशाब में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने से संबंधित होते हैं। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण एक जैसे होते हैं।

डायबिटीज के अन्य लक्षण हैं:

शुगर के दौरान आपका शरीर आमतौर पर निर्जलित हो जाता है। निर्जलीकरण में आपको बहुत प्यास लगती है।

रक्त में अतिरिक्त शुगर की उपस्थिति के कारण गुर्दे रक्त को साफ करने के लिए अधिक काम करने लगते हैं और मूत्र के द्वारा अतिरिक्त शुगर को शरीर से बाहर निकालते हैं। इस कारण बार-बार पेशाब आता है। अत्यधिक प्यास लगना और बार-बार पेशाब आना यह मधुमेह होने के प्रमुख लक्षण हैं।

कोशिकाओं में ग्लूकोज़ नही पहुंचने के कारण शरीर की ऊर्जा आपूर्ति पूरी तरह से नही हो पाती है और मधुमेह का रोगी हमेशा थकान महसूस करता है और उसे जल्दी भूख लगने लगती है।

शुगर से पीड़ित दोनों पुरुषों और महिलाओं को हाथ और पैर की उंगलियों के बीच, गुप्तांगों के आसपास और स्तन के नीचे यीस्ट इन्फेक्शन हो सकता है।

वजन में कमी, मतली और उल्टी, बाल गिरना, धुँधली दृष्टि, त्वचा का सूखापन या खुजली होना मधुमेह के कुछ अन्य लक्षण हैं।

डॉक्टर को कब दिखाएं

डायबिटीज के लिए आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए अगर:

  • आपका ब्लड ग्लूकोज का स्तर डॉक्टर के द्वारा बताए गए स्तर से ज्यादा रहना।
  • ब्लड ग्लूकोस का स्तर डॉक्टर द्वारा बताए गए स्तर से कम रहना।
  • लो ब्लड शुगर के लक्षण महसूस करना, जैसे:

शुगर (मधुमेह, डायबिटीज) के कारण - Diabetes Causes in Hindi

डायबिटीज क्यों/ कैसी होती है?

टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चला है। हालांकि, इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि टाइप 1 में आपका इम्यून सिस्टम आपके पैंक्रियास के इन्सुलिन बनाने वाले सेल्स को खत्म करने लगता है। और टाइप 2 जेनेटिक और पर्यावरणीय कारकों की  वजह से पैंक्रियास इन्सुलिन की पर्याप्त मात्रा नहीं बना पाता है।

  • टाइप 1 डायबिटीज के कारण:
    टाइप 1 डायबिटीज का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि, इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि इसमें आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली, जो सामान्य रूप से खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस से लड़ती है, आपके अग्नाशय में मौजूद इन्सुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को खत्म करने लगती है। इसके कारण आपके शरीर में इन्सुलिन बहुत कम बचता है या बचता ही नहीं। इससे शुगर, कोशिकाओं में जाने की बजाय खून में जमा होने लगती है। ऐसा माना जाता है कि टाइप 1 डायबिटीज अनुवांशिकी और पर्यावरणीय कारकों एक संयोजन से होती है। हालांकि, अभी भी इसके कई कारक स्पष्ट नहीं हैं।
     
  • टाइप 2 डायबिटीज के कारण:
    टाइप 2 डायबिटीज में आपकी कोशिकाएं इन्सुलिन के कार्य में बाधा उत्पन्न करने लगती हैं और आपका अग्नाशय इस बाधा से उभरने लायक इन्सुलिन नहीं बना पाता। शुगर, कोशिकाओं में जाने की बजाय आपके खून में जमा होने लगती है।

    टाइप 2 डायबिटीज के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि ये अनुवांशिक और पर्यावरणीय संबंधी कारकों के कारण होता है। टाइप 2 डायबिटीज और वजन ज्यादा होने का आपस में संबंध है, लेकिन इससे ग्रस्त हर व्यक्ति का वजन ज्यादा नहीं होता।
     
  • जेस्टेशनल डायबिटीज
    गर्भावस्था को सुरक्षित व सही रखने के लिए, गर्भनाल कुछ हॉर्मोन बनाती है जिनके कारण कोशिकाएं इन्सुलिन के कार्य में बाधा डालने लगती हैं। आमतौर पर इसकी प्रतिक्रिया में आपका अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में एक्स्ट्रा इन्सुलिन बनाता है, हालांकि कभी-कभी अग्नाशय ऐसा नहीं कर पाता। जब ऐसा होता है, तो आपकी कोशिकाओं में ग्लूकोस बहुत कम जा पाता है और ज्यादा ग्लूकोस खून में रह जाता है, जिसके कारण जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या होती है।

डायबिटीज के जोखिम कारक क्या होते हैं?

  • टाइप 1 डायबिटीज के जोखिम कारक:
    • प्रतिरक्षा प्रणाली का कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना।
    • आहार संबंधी कारक - आहार में विटामिन डी कम लेना और बच्चे को बहुत जल्दी गाय का दूध पिलाना शुरू कर देना।
    • पारिवारिक कारक - अगर आपके माता-पिता या किसी भाई-बहन को टाइप 1 डायबिटीज है, तो आपको भी ये होने का खतरा बढ़ जाता है।
    • पर्यावरणीय कारक - कोई वायरल बीमारी होने के कारण टाइप 1 डायबिटीज हो सकती है।
       
  • टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम कारक:
    • वजन - आपके टिशू जितने मोटे होंगे, आपकी कोशिकाएं इन्सुलिन के कार्य में उतनी ही बाधा डालेंगी।
    • असामान्य कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड स्तर - अगर आपके शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल या अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम है, तो आपको टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा अधिक होता है। ट्राइग्लिसराइड का स्तर ज्यादा होने के कारण भी टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
    • शारीरिक गतिहीनता - आप शारीरिक रूप से जितने कम एक्टिव रहेंगे, आपको टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा उतना ही अधिक होगा। शारीरक गतिविधि करने से वजन नियंत्रित रहता है और ग्लूकोस का उपयोग एनर्जी के रूप में होता है।
    • हाई ब्लड प्रेशर - ब्लड प्रेशर 140/90mmHg से अधिक होने के कारण टाइप 2 डायबिटीज हो सकती है।
    • पारिवारीक कारक - माता-पिता या किसी भाई-बहन को टाइप 2 डायबिटीज होने के कारण आपको ये होने का ख़तरा भी बढ़ जाता है।
    • पीसीओएस - महिलाओं में, पीसीओएस होने के कारण टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
    • उम्र - टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा उम्र के साथ बढ़ता रहता है।
    • गर्भावस्था - गर्भावस्था के कारण भी आपको टाइप 2 डायबिटीज हो सकती है।
  • जेस्टेशनल डायबिटीज के जोखिम कारक:
    • किसी भी उम्र की महिला को प्रेग्नेंट होने पर जेस्टेशनल डायबिटीज होने का खतरा होता है, लेकिन कुछ महिलाओं में इसका खतरा अधिक होता है।
    • उम्र - 25 वर्ष की आयु से ज्यादा उम्र की महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज होने का खतरा अधिक होता है।
    • वजन - गर्भावस्था से पहले वजन ज्यादा होने से जेस्टेशनल डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
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शुगर (मधुमेह, डायबिटीज) से बचाव - Prevention of Diabetes in Hindi

ब्लड शुगर को कैसे कंट्रोल करें?

टाइप 1 डायबिटीज होने से रोका नहीं जा सकता। लेकिन, जो स्वस्थ जीवनशैली प्री-डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज और जेस्टेशनल डायबिटीज के इलाज में मदद करती है, अगर वही जीवनशैली अपनायी जाए तो वह इन्हे होने से रोकने में भी मदद करती है।

डायबिटीज को नियंत्रित करके इससे संबंधित समस्याएं जैसे कि दिल का दौरा, स्ट्रोक, तंत्रिका और अंग क्षति, अंधापन आदि को रोका जा सकता है। सरल जीवनशैली और आहार में परिवर्तन मधुमेह को काफ़ी हद तक कम कर सकता है। मधुमेह एक बीमारी है जिसका वजन आपके स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि आपकी जेबपर भी भारी होता है। मधुमेह रोगी दवाओं या इंजेक्शन को पूरी तरह से बंद नहीं कर सकते हैं, लेकिन आयुर्वेदिक उपचारो का पालन करके वह दवाओं या इंजेक्शन की जरूरत को कम कर सकते हैं।

  • स्वस्थ आहार खाएं
    शुगर को कंट्रोल करने के लिए अपने आहार को मॅनेज करना सबसे अच्छा तरीका है। आप अपने आहार में करेला, जौ, गेहूं, हल्दी, काली मिर्च, लहसुन, सन बीज, ब्लू बेरी और जामुन आदि शामिल करें। सामान्य चावल के बजाए पके हुए चावल खाएं और कफ बढ़ाने वाले आहार (घी, दही, चावल, आलू आदि) से बचें। हर सुबह हरी चाय या तुलसी की चाय का सेवन करें। खाली पेट ब्लूबेरी के पत्ते खाना शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए पारंपरिक आयुर्वेदिक उपाय है।
     
  • व्यायाम करें
    शुगर को रोकने के लिए शारीरिक व्यायाम करना सबसे सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। सप्ताह में कम से कम 150 मिनट के लिए व्यायाम ज़रूर करें। मधुमेह में एरोबिक्स, तैराकी, जिमनास्टिक और तेज चलना बहुत फायदेमंद होता है। आप हल्के व्यायामों के साथ शुरूआत कर सकते हैं और धीरे धीरे इनकी तीव्रता बढ़ाएँ। जो रोगी इंसुलिन का सेवन करते हैं, उनको व्यायाम करने से पहले अपने रक्त में ग्लूकोज के स्तर की जाँच करवा लेनी चाहिए। यदि यह 250म्ग/डल या अधिक है, तो आपको व्यायाम नही करना चाहिए। चलना-फिरना डायबिटीज में बहुत आवश्यक है। लंबे समय तक बैठे रहना आपकी हालत को ओर भी खराब कर सकता है। हर 90 मिनट के बाद थोड़ा सा चलें या कोई भी चलने-फिरने वाले कार्य करें।
     
  • पर्याप्त नींद लें
    अत्यधिक नींद और नींद की कमी भी आपकी हालत अधिक खराब कर सकती है। यह आपके स्वास्थ्य को भी जोखिम में डाल सकती है। पर्याप्त नींद लें। रात में देर तक जागने और दिन के समय सोने से बचें।
     
  • सिगरेट और शराब न पीएं
    डायबिटीज में धूम्रपान और शराब पीने से बचें। यह कफ दोष को बढ़ाता है।
     
  • मोटापा कम करें
    एक स्वस्थ BMI अपना लक्ष्य बनाएं और उस पर काम करें। आमतौर पर 18.5 और 24.9 के बीच BMI वाला व्यक्ति स्वस्थ माना जाता है। मोटापा शुगर के लिए प्रमुख कारण है और मधुमेह से निपटने के लिए आपको पहले मोटापे का सामना करना पड़ेगा। एक संतुलित आहार का पालन करें और वजन घटाने के व्यायाम नियमित रूप से करते रहें।
     
  • तनाव से रहें दूर
    तनाव शुगर को बढ़ाता है इसलिए अपने आप को तनाव मुक्त रखें और खुश रहें।

शुगर (मधुमेह, डायबिटीज) का परीक्षण - Diagnosis of Diabetes in Hindi

शुगर के लिए टेस्ट
 
रक्त शर्करा का परीक्षण आपके रक्त में ग्लूकोज नामक एक प्रकार की चीनी को मापता है। यहाँ विभिन्न प्रकार के ब्लड ग्लूकोज टेस्ट बताएं गए हैं जिनके माध्यम से यह पता चलता है कि आपको डायबिटीज है या नहीं -
  • हीमोग्लोबिन ए1सी (Hemoglobin A1c Test)
    हीमोग्लोबिन ए1सी या ग्लाइकोहेमोग्लोबिन टेस्ट मापता है कि लाल रक्त कोशिकाओं में कितना शर्करा (ग्लूकोज) मौजूद है। इस परीक्षण का इस्तेमाल मधुमेह के निदान के लिए किया जा सकता है। ये टेस्ट यह भी दिखाता है कि पिछले 2 से 3 महीनों में आपकीडायबिटीज को कितनी अच्छी तरह नियंत्रित किया गया है और क्या आपकी डायबिटीज की दवा को बदलने की जरूरत है। आपके A1c टेस्ट के रिजल्ट्स आपके औसत रक्त शर्करा के स्तर का अनुमान लगाने के लिए उपयोग किये जा सकते हैं। इसे आपका अनुमानित औसत ग्लूकोज कहा जाता है।

    एचबी ए1सी टेस्ट में अगर रक्त शर्करा का स्तर 6.5% या उससे अधिक आती है, तो डायबिटीज होने आशंका अधिक है।
  • खाली पेट रक्त शर्करा जांच (Fasting Blood Sugar)
    खून में शर्करा की मात्रा की जांच के लिए इस टेस्ट में व्यक्ति को कम से कम 8 घंटे तक कुछ भी खाना नहीं होता है। यह अक्सर पहला टेस्ट होता है जो प्री- डायबिटीज और डायबिटीज के लिए जांच करता है।

    अगर खाली पेट रक्त शर्करा टेस्ट में रक्त शर्करा का स्तर 126 मिलीग्राम / डीएल के बराबर या उससे अधिक है, तो डायबिटीज होने आशंका अधिक है।
     
  • खाने के बाद की रक्त शर्करा जांच (Post Prandial Blood Sugar)
    इस टेस्ट में भोजन करने के ठीक 2 घंटे बाद रक्त शर्करा के स्तर की जांच होती है। यह शुगर के निदान के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला टेस्ट नहीं है। इस टेस्ट को यह देखने के लिए प्रयोग किया जाता है कि शुगर वाले व्यक्ति भोजन के साथ सही मात्रा में इंसुलिन ले रहे हैं या नहीं।

    खाने के बाद की रक्त शर्करा जांच के परिणाम में अगर ब्लड शुगर का लेवल 200 मिलीग्राम / डीएल के बराबर या उससे अधिक है, तो डायबिटीज होने आशंका अधिक है।
     
  • रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट (Random Blood Sugar Test)
    रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट में आपने आखरी बार क्या खाया की परवाह किए बिना ब्लड ग्लूकोज की जांच की जाती है। पूरे दिन में कई रैंडम माप किये जा सकते हैं। रैंडम टेस्ट उपयोगी है क्योंकि स्वस्थ लोगों में ग्लूकोज का स्तर पूरे दिन व्यापक रूप से भिन्न नहीं होता है। रक्त ग्लूकोज का स्तर व्यापक रूप से भिन्न होता है, इसका मतलब एक समस्या हो सकता है। इस टेस्ट को एक आकस्मिक ब्लड ग्लूकोज टेस्ट भी कहा जाता है।

    रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट में अगर आपका रक्त शर्करा का स्तर 200 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर के बराबर या उससे अधिक आता है, तो डायबिटीज होने आशंका अधिक है।
     
  • मौखिक ग्लूकोज सहिष्णुता टेस्ट (Oral Glucose Tolerance Test)
    मौखिक ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण का उपयोग प्री- डायबिटीज और डायबिटीज के निदान के लिए किया जाता है। मौखिक ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण एक ग्लूकोज युक्त मीठा पेय पीने के बाद किये जाने वाले ब्लड ग्लूकोज़ मेज़रमेंट की एक श्रृंखला है। यह परीक्षण आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान शुगर के निदान के लिए प्रयोग किया जाता है। गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्त शर्करा के स्तर वाली महिलाओं में गर्भावस्था के बाद मौखिक ग्लूकोज सहिष्णुता टेस्ट हो सकते हैं।

    मौखिक ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण के परिणाम में अगर ब्लड शुगर का लेवल 200 मिलीग्राम / डीएल के बराबर या उससे अधिक है, तो डायबिटीज होने आशंका अधिक है।

यदि आपके खाली पेट रक्त शर्करा टेस्ट 100 मिलीग्राम / डीएल और 125 मिलीग्राम / डीएल के बीच होता है या आपका खाने के बाद की रक्त शर्करा जांच और मौखिक ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण (OGTT) का परिणाम 140 से 199 मिलीग्राम / डीएल  के बीच है या आपके हीमोग्लोबिन ए1सी 5.7% से 6.4% के बीच हैं तो आपको प्री-डायबिटीज है। इसका मतलब है कि आपकी रक्त शर्करा सामान्य से ऊपर है लेकिन शुगर होने के लिए पर्याप्त नहीं है। अपने चिकित्सक से चर्चा करें कि आपको कितनी बार परीक्षण की आवश्यकता है। शुगर के निदान की पुष्टि करने के लिए आपके डॉक्टर टेस्ट को दोहरा सकते हैं।

डायबिटीज को कैसे नियंत्रित करें - How to control diabetes in Hindi

क्या शुगर हमेशा के लिए ठीक हो सकता है?

डायबिटीज हमेशा के लिए ठीक नहीं होता है, लेकिन डायबिटीज के प्रकार के आधार पर शुगर के स्तर को कंट्रोल करना, इन्सुलिन और दवाओं से इसका इलाज किया जा सकता है। स्वस्थ आहार लेना, स्वस्थ वजन बनाए रखना और नियमित रूप से फिजिकल एक्टिविटी करना डायबिटीज के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डायबिटीज का इलाज निम्नलिखित है:

  • ब्लड शुगर की जांच
    आपके इलाज के प्लान के आधार पर, आपके शुगर के स्तर को हफ्ते में कुछ बार चेक करने से लेकर एक दिन में 4 से 8 बार चेक करने की आवश्यकता हो सकती है। ध्यानपूर्वक शुगर टेस्ट करने से ही इस बात का ध्यान रखा जा सकता है कि आपका शुगर का स्तर सही है या नहीं।
     
  • इन्सुलिन
    टाइप 1 डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को जीवित रहने के लिए नियमित रूप से इन्सुलिन लेना पड़ता है। टाइप 2 डायबिटीज और जेस्टेशनल डायबिटीज से ग्रस्त भी कई लोगों को इन्सुलिन लेने की आवश्यकता होती है। इन्सुलिन को खाने वाली दवा की तरह मुंह से नहीं लिया जा सकता क्योंकि पेट में मौजूद एंजाइम इसके कार्य में बाधा डालते हैं। इन्सुलिन को एक पतली सी सुई की मदद से इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है।
     
  • दवाएं - मधुमेह के इलाज में कौन सी दवा उपयोगी है?
    डायबिटीज के लिए कई दवाएं ली जाती हैं, जैसे:
    • मेटफोर्मिन - ये दवा टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को सबसे पहले दी जाती है। मेटफोर्मिन से आपके शरीर में इन्सुलिन का इस्तेमाल बढ़ जाता है और लिवर कम ग्लूकोस बनाने लगता है।
    • सुल्फनीरूलियस - ये दवाएं अग्नाशय को इन्सुलिन बनाने में उत्तेजित करती है और शरीर को बेहतर तरीके से इन्सुलिन का उपयोग करने में मदद करती है।
    • मेगलिटिनॉइड्स
    • SGLT2 इन्हिबिटर्स
    • GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्टस
       
  • बैरिएट्रिक सर्जरी
    वैसे तो बैरिएट्रिक सर्जरी को विशेष रूप से टाइप 2 डायबिटीज का इलाज नहीं माना जाता है, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त लोग जिनका बॉडी मास इंडेक्स 35 से ज्यादा है, उन्हें इस सर्जरी से फायदा हो सकता है। जिन लोगों की पेट की बायपास सर्जरी हुई है, उनके खून में शुगर के स्तर में काफी वृद्धि देखी गई है।
     
  • जीवनशैली
    जीवनशैली में कुछ परिवर्तन डायबिटीज में सुधार ला सकते हैं, जैसे:
    • स्वस्थ आहार लें और सही वजन बनाए रखें: एक स्वस्थ आहार होता है जिसमें पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फलियां हों, साथ ही साथ इसमें सैचुरेटेड फैट की मात्रा भी कम होनी चाहिए।
    • शारीरिक गतिविधि: नियमित रूप से व्यायाम करना आपको डायबिटीज से बचा सकता है और जिन लोगों को पहले से ही डायबिटीज है, उन्हें शुगर का स्तर नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है।

अगर आपको टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज है, तो आप इन उपचारों के अलावा निम्नलिखित उपाय भी कर सकते हैं -

  • साल में एक बार शरीर की और आंख की जांच अवश्य कराएं। आपके डॉक्टर रेटिना, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा की जांच करेंगे।
  • तनाव न लें। ज्यादा तनाव लेने से आपका शरीर जो हॉर्मोन बनाता है, वे हॉर्मोन इन्सुलिन को सही से काम नहीं करने देते। इसके कारण खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और आपको ज्यादा तनाव होने लगता है। इसके लिए आराम देने वाली तकनीकों की सहायता लें और पर्याप्त नींद लेने का प्रयास करें।
  • अपने पांव को हलके गुनगुने पानी से रोजाना धोएं और पांव से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
  • शराब न पिएं और अगर पीते हैं, तो इस आदत को छोड़ने का प्रयास करें।
  • अपने ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखें।
  • अगर आप धूम्रपान करते हैं या किसी अन्य प्रकार के तम्बाकू का सेवन करते हैं, तो तुरंत छोड़ने का प्रयास करें।
  • डायबिटीज के कारण आपको गंभीर मसूड़ों के इन्फेक्शन हो सकते हैं। अगर आपको लगता है कि आपके मसूड़े लाल हो रहे हैं या सूज रहे हैं, तो तुरंत अपने डेंटिस्ट के पास जाएं।

शुगर (मधुमेह, डायबिटीज) के नुकसान - Diabetes Complications in Hindi

हाई ब्लड शुगर आपके शरीर में अंगों और ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है। आपका ब्लड शुगर जितना अधिक होगा और जितनी देर ये रहेगा, उतना ज्यादा खतरा इससे नुकसान होने का होगा।

टाइप 1 और 2 डायबिटीज से जुड़े नुकसान में शामिल हैं:

जेस्टेशनल डायबिटीज के नुकसान

अनियंत्रित गर्भकालीन मधुमेह से मां और बच्चे दोनों को नुकसान हो सकता है।

बच्चे को प्रभावित करने वाली जटिलताओं में शामिल हैं:

मां को हाई ब्लड प्रेशर (प्री-एक्लेम्पसिया) या टाइप 2 डायबिटीज जैसी बीमारियां हो सकती हैं। सिजेरियन डिलीवरी भी करनी पड़ सकती है।

भविष्य के गर्भधारण में मां के गर्भकालीन मधुमेह का खतरा भी बढ़ जाता है।



संदर्भ

  1. National Kidney foundation [Internet]. New York: National Kidney Foundation; Diabetes - A Major Risk Factor for Kidney Disease
  2. National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases [internet]: US Department of Health and Human Services; Diabetes, Gum Disease, & Other Dental Problems
  3. National Health Service [internet]. UK; What is type 2 diabetes?
  4. Diabetes.co.uk [internet] Diabetes Digital Media Ltd; Causes of Diabetes.
  5. Diabetes.co.uk [internet] Diabetes Digital Media Ltd; Juvenile Diabetes.
  6. National Health Service [Internet]. UK; Overview - Gestational diabetes

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Dr. Parjeet Kaur Dr. Parjeet Kaur एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
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शुगर (डायबिटीज) की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Diabetes in Hindi

शुगर (डायबिटीज) के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

शुगर (डायबिटीज) की जांच का लैब टेस्ट करवाएं

शुगर (डायबिटीज) के लिए बहुत लैब टेस्ट उपलब्ध हैं। नीचे यहाँ सारे लैब टेस्ट दिए गए हैं:

शुगर (डायबिटीज) पर आम सवालों के जवाब

सवाल लगभग 6 साल पहले

मधुमेह से प्रभावित अंग कौन से हैं?

Dr Anjum Mujawar MBBS, MBBS , आकस्मिक चिकित्सा

डायबिटीज होने पर इसका असर शरीर के सभी मुख्य अंगों पर पड़ता है जैसे परिसंचरण तंत्र (सर्कुलेटरी सिस्टम), कार्डियोवास्कुलर सिस्टम, तंत्रिका तंत्र, मूत्र प्रणाली। शरीर के अन्य हिस्सों में भी शुगर का प्रभाव दिखता है मसलन पैर, रक्त वाहिका, आंखें, त्वचा और हृदय। इसके अलावा शुगर का कुछ शारीरिक प्रक्रियाओं में भी असर पड़ता है जैसे आंखों की रोशनी का कमजोर होना, पाचन तंत्र का कमजोर होना, जख्म लगने पर देरी से भरना।

सवाल 5 साल से अधिक पहले

शुगर किस उम्र में होता है?

Dr. Haleema Yezdani MBBS , General Physician

शुगर किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन जिन लोगों के नजदीकी रिश्तेदार शुगर के मरीज हैं, उन्हें शुगर होने का खतरा अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा होता है। इसके अलावा बढ़ती उम्र भी मधुमेह का एक कारण है। जिन लोगों की उम्र 40 साल या इससे ज्यादा है, उनमें मधुमेह का खतरा युवाओं की तुलना में ज्यादा होता है।

सवाल 5 साल से अधिक पहले

शुगर में वजन कम होने पर क्या करें?

Dr. Kuldeep Meena MBBS, MD , कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, पीडियाट्रिक, डर्माटोलॉजी, श्वास रोग विज्ञान, गुर्दे की कार्यवाही और रोगों का विज्ञान, सामान्य चिकित्सा, अन्य, संक्रामक रोग, आकस्मिक चिकित्सा, प्रतिरक्षा विज्ञान, आंतरिक चिकित्सा, मल्टीस्पेशलिटी

अमूमन लोग यही समझते हैं कि शुगर होने पर वजन बढ़ता ही है। जबकि ऐसा नहीं है। कई बार अचानक वजन घटना भी शुगर का लक्षण हो सकता है। इसकी वजह बार-बार पेशाब आना, डिहाइड्रेशन या निर्जलीकरण होना, मांसपेशियों का टूटना है।

सवाल 5 साल से अधिक पहले

शुगर में वजन बढ़ाने के उपाए क्या हैं?

Dr. Amit Singh MBBS , General Physician

अगर आपको शुगर है, साथ ही आपका वजन कम है और कुछ खाने का मन भी नहीं करता। जाहिर है इस तरह से आपका वजन संतुलित नहीं रह पाएगा। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि स्ट्रिक्ट डाइट फॅालो करने के बजाय जो आपका मन हो, वही खाएं। कहने का मतलब है कि खाना वही खाएं जिसमें वसा और कैलोरी पर्याप्त मात्रा में मौजूद हो। बेहतर होगा आप डाक्टर से संपर्क कर अपनी बीमारी का एक बार रिव्यू करवाएं ताकि आपका सही डाइट प्लान बनाया जा सके। बहरहाल साथ ऐसा ही है और अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो कुछ बातों पर गौर करें-

  • सबसे पहले अपना वजन नोट करें। पहले कितना था और अब कितना है।
  • वजन बढ़ाने के लिए गोल सेट करें।
  • अपने लिए डाक्टर से परामार्श कर डाइट चार्ट बनाएं।
  • अपने हाइट के हिसाब से अपना बीएमआई की भी जांच करें।
  • वजन बढ़ाने के लिए पूरे दिन में 3 हैवी मील के बजाय 6 छोटे-छोटे मील लें। इससे आपको अच्छा महसूस होगा साथ ही खाने की चाह भी बढ़ेगी।
  • अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा कार्ब्स लें जैसे साबुत अनाज, सब्जियां, नट्स आदि।
  • दुग्ध पदार्थ यानी क्रीम, चीज, दही जरूर खाएं।
  • अपने खानपान में अनसैच्युरेटेड फैट शामिल करें जैसे एवोकाडो, नट्स, सीड्स, जैतून का तेल, पीनट आयल आदि।