डायबिटीज होने पर इसका असर शरीर के सभी मुख्य अंगों पर पड़ता है जैसे परिसंचरण तंत्र (सर्कुलेटरी सिस्टम), कार्डियोवास्कुलर सिस्टम, तंत्रिका तंत्र, मूत्र प्रणाली। शरीर के अन्य हिस्सों में भी शुगर का प्रभाव दिखता है मसलन पैर, रक्त वाहिका, आंखें, त्वचा और हृदय। इसके अलावा शुगर का कुछ शारीरिक प्रक्रियाओं में भी असर पड़ता है जैसे आंखों की रोशनी का कमजोर होना, पाचन तंत्र का कमजोर होना, जख्म लगने पर देरी से भरना।
शुगर किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन जिन लोगों के नजदीकी रिश्तेदार शुगर के मरीज हैं, उन्हें शुगर होने का खतरा अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा होता है। इसके अलावा बढ़ती उम्र भी मधुमेह का एक कारण है। जिन लोगों की उम्र 40 साल या इससे ज्यादा है, उनमें मधुमेह का खतरा युवाओं की तुलना में ज्यादा होता है।
अमूमन लोग यही समझते हैं कि शुगर होने पर वजन बढ़ता ही है। जबकि ऐसा नहीं है। कई बार अचानक वजन घटना भी शुगर का लक्षण हो सकता है। इसकी वजह बार-बार पेशाब आना, डिहाइड्रेशन या निर्जलीकरण होना, मांसपेशियों का टूटना है।
अगर आपको शुगर है, साथ ही आपका वजन कम है और कुछ खाने का मन भी नहीं करता। जाहिर है इस तरह से आपका वजन संतुलित नहीं रह पाएगा। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि स्ट्रिक्ट डाइट फॅालो करने के बजाय जो आपका मन हो, वही खाएं। कहने का मतलब है कि खाना वही खाएं जिसमें वसा और कैलोरी पर्याप्त मात्रा में मौजूद हो। बेहतर होगा आप डाक्टर से संपर्क कर अपनी बीमारी का एक बार रिव्यू करवाएं ताकि आपका सही डाइट प्लान बनाया जा सके। बहरहाल साथ ऐसा ही है और अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो कुछ बातों पर गौर करें-
शुगर होने की वजह से आपको कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं जैसे-
डायबिटीज होने पर शरीर के कई अंग तो प्रभावित होते ही हैं, इसके साथ ही त्वचा पर भी इसका गहरा असर पड़ता है जैसे-
इसके अलावा शुगर होने की वजह से स्किन से संबंधित और भी समस्याएं होती हैं जैसे त्वचा में छोटा सा स्पॅाट नजर आना, लाल-पीले दाने होना, लाल दाने होना, बहुत ज्यादा सूखी त्वचा होना आदि।
जिन लोगों को शुगर होता है, उनकी त्वचा काफी रूखी और बेजान हो जाती है। इस वजह से उन्हें खुजली होने लगती है।
मेडिकली अगर बोला जाए तो डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है, इसे पूरी तरह कभी ठीक नहीं किया जा सकता है। हां, इसकी कमी को पूरा जरूर किया जा सकता है। कहने का मतलब है कि डायबिटीज को नियंत्रित करने के बाद इसके होने का कोई साइन नजर नहीं आता। हालांकि मरीज को डायबिटीज तब भी होता है।
डायबिटीज होने की वजह से कई तरह की जटिलताएं हो सकती हैं, जिसमें से एक पैरों में दर्द और ऐंठन भी है। दरअसल नर्व की क्षति होने की वजह से पैरों में दर्द और ऐंठन होती है, जिसे डायबेटिक न्यूरोपैथी कहते हैं। ऐसे में डाक्टर आपको कुछ पेन रिलीफ जैसे एसिटामिनोफेन, एस्प्रिन और इबुप्रोफेन प्रिस्क्राइब कर सकते हैं।
डायबिटीज 2 की वजह से कई तरह की जटिलताएं होती हैं, इनमें से एक नर्व का डैमेज होना या न्यूरोपैथी भी है। न्यूरोपैथी होने की स्थिति में पैरों में सुन्नपन या शून्यता होती है। इसके साथ ही पैरों में दर्द और जख्म भी हो सकता है। इससे पैरों के साइज में भी बदलाव आने लगते हैं, जिससे जूता पहनना मुश्किल हो जाता है। अगर इस तरह के लक्षण आपमें नजर आ रहे हैं, तो बिना देरी किए डाक्टर को दिखाएं और अपने शुगर को नियंत्रित करने की कोशिश करें।
डायबिटीज के मरीजों को ताउम्र कई तरह के शारीरिक समस्याओं से गुजरना पड़ता है। उनमें से एक पैरों और हाथों में जलन व दर्द भी है। हाथों और पैरों में जलन को रोकने के लिए सबसे पहले आप अपने शुगर को नियंत्रित करें। इसके लिए डाक्टर से संपर्क कर रोजाना अपने शुगर को मोनिटर करना सीखें। ऐसा करके हाथों और पैरों में जलन को कम किया जा सकेगा। साथ ही डाक्टर द्वारा परामर्श की गई दवाईयों का सेवन करें। एक्सरसाइज और शारीरिक गतिविधियों पर भी ध्यान दें।
शुगर के मरीजों के लिए पैरों में सूजन एक आम समस्या है, क्योंकि उन्हें आजीवन पैरों में सूजन आती-जाती रहती है। हालांकि अगर आप नियमित एक्सरसाइज और अपनी जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव करें, तो इससे आपको आराम मिल सकता है। अगर सूजन लंबे समय से नहीं जा रही है तो डाक्टर से संपर्क करें। वह आपको कुछ दवाई देंगे, जिससे सूजन में कमी आएगी। वैसे कोशिश करें कि दवाईयों का सेवन कम से कम करें, क्योंकि दवाईयों के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं, जो आपके स्वास्थ्य के लिए सही नहीं हैं।
आप एक दिन के टेस्ट के आधार पर यह न सोचें कि आपको शुगर की समस्या है। आपके रिपोर्ट के अनुसार आपको किसी तरह की दवा की जरूरत नहीं है। इसके बावजूद चूंकि आपकी मां को शुगर था, तो मैं आपको सलाह दूंगा कि एक बार hba1c करवा लें। इसके साथ ही पिछले तीन माह के शुगर टेस्ट रिपोर्ट भी दें। इससे आपकी स्थिति का और भी गहराई से पता चलेगा।
आपके अंदर का डर मैं समझ सकता हूं। आप परेशान न हों। पहले प्रॅापर तरीके से अपना शुगर टेस्ट करवाएं। इसके लिए जब आप fbs करवाएं तो चाय या कॅाफी तक न पिएं। अपना ब्लड सैंपल देने के बाद ब्रेकफास्ट करें और डेढ़ से दो घंटे तक इंतजार करें। इसके बाद दूसरा सैंपल दें। इस तरह आपके ब्लड शुगर की सही-सही रिपोर्ट आएगी।
आपके पैरों में जलन और कमजोरी डायबिटीज की वजह से हो रही है। आप अपना ब्लड शुगर टेस्ट करें और डाक्टर को दिखाकर शुगर की मेडिसिन लें। साथ ही अपने आहार में शुगर की मात्रा कम कर दें।
डायबिटीज का ट्रीटमेंट इतना आसान नहीं है, जितना आप सोच रही हैं। डायबिटीज की दवाओं को अलग-अलग श्रेणी में विभाजित किया हुआ है। डायबिटीज के मरीज की स्थिति और जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए उसे दवा दी जाती है। इसके साथ ही उसका शुगर लेवल, फास्टिंग शुगर लेवल, post prandial शुगर लेवल, यूरिन शुगर लेवल आदि सबको देखा-परखा जाता है। बहरहाल, अगर एक साल के अंदर डायबिटीज को नियंत्रित नहीं किया गया, तो इस वजह से मरीज को कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे धुंधला दिखना, नर्व्स का क्षतिग्रस्त होना, शारीरिक संबंध स्थापित करते हुए कमजोरी महसूस करना, किडनी डिजीज, पैरों में जटिलताएं होना और मस्तिष्क में रक्त की सप्लाई में कमी आना। कुल मिलाकर कहने की बात यही है कि आप डाक्टर को मिलें, उन्हें अपनी समस्या बताएं। वे दवाओं के साथ-साथ क्या खाना है, क्या नहीं, यह भी बताएंगे। आपकी मां को जल्द से जल्द को शुगर को नियंत्रित कर लेना चाहिए, वरना इसके घातक परिणाम हो सकते हैं।
आपकी समस्या तो मैं समझ गया, लेकिन आप इस बात को समझें कि डाक्टर से बिना उपचार कराये कोई भी दवा न लें। हालाँकि cremaffin pink (sugar free) शुगर फ्री अच्छी दवा है। इसके बावजूद बतौर डाक्टर मैं आपको यही कहूंगा कि खुद से किसी तरह की दवा न लें। डाक्टर को दिखाएं। वही आपको बेहतर उपचार बताएंगे।
उन्हें संतुलित जीवनशैली के साथ-साथ शुगर को संतुलित करने के लिए दवाई भी लेनी होगी। इसके लिए आप उन्हें डाक्टर के पास ले जाएं।
देखिए सबसे पहले यह समझिए कि डायबिटीज कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह मेटाबॅालिक डिसआर्डर है। जब डायबिटीज को नियंत्रित नहीं किया जाता, तो कई अन्य बीमारियां हमें घेर लेती हैं, जिससे हमारे शरीर के कई अंग भी प्रभावित होते हैं। चूंकि आप 15 साल से भी ज्यादा समय से डायबिटीज से परेशान हैं, तो बेहतर है आप भविष्य में होने वाली जटिलताओं को रोकने के लिए इंसुलिन की मदद लें। इसके साथ ही रेग्युलर दवाएं और आधा घंटा एक्सरसाइज जरूर करें। हमेशा समय पर खाएं और अपनी डाइट में फल जैसे अमरूद, संतरा, पपीता, अनार और सब्जियां शामिल करें। इन्हें लंच और ब्रेकफास्ट के बीच में खाएं। अगर आप नॅान-वेजीटेरियन हैं तो रेड मीट खाने से बचें।
मेडिकली इस तरह का कोई टर्म यूज नहीं किया जाता। लेकिन इसका मतलब होता है कि आपका शुगर लेवल बॅार्डर लाइन पर है। इसके लिए आपको ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। सिर्फ अपनी डाइट का ख्याल रखें और रेग्युलर एक्सरसाइज करें। शराब और सीगरेट से दूर रहें।
आप निम्न बातों पर गौर करें-
आपकी बातों से लग रहा है कि आपको डायबिटीज है। इसलिए अगर उपरोक्त सवालों का जवाब हां है, तो तुरंत ब्लड ग्लूकोज टेस्ट करवाएं और डाक्टर से संपर्क करें।
संक्रमण की वजह से इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ जाता है, इससे शुगर में बढ़ोत्तरी हो जाती है। आमतौर पर ऐसी स्थिति उन मरीजों में दिखाई देती है, जिनका घाव संक्रमित हो जाता है। इसके अलावा मेंटल या फिजीकल स्ट्रेस की वजह से भी स्ट्रेस हार्मोन बढ़ जाता है। जहां तक आपके भाई के पैरों में चोट लगने की वजह से फ्लेक्चुएट हो रहे शुगर लेवल की बात है, तो यह फिजीकल स्ट्रेस की कंडीशन है। यही वजह है कि उनका शुगर लेवल बार-बार बदल रहा है।