डायबिटीज या शुगर एक क्रोनिक चयापचय संबंधी विकार है जिसमें खून में मौजूद शुगर को इस्तेमाल करने की शरीर की क्षमता गड़बड़ हो जाती है। डायबिटीज अनुवांशिक भी हो सकती है और ये बिना किसी अनुवांशिकता के भी आपको प्रभावित कर सकती है। ये समस्या इंसुलिन (Insulin) नामक हार्मोन की कमी के कारण होती है, जो अग्न्याशय द्वारा शरीर में जारी किया जाता है। डायबिटीज के मुख्य प्रकार हैं:
- टाइप 1 - शुगर का ये प्रकार ज्यादातर बच्चों और किशोरों में देखा जाता है।
- टाइप 2 - ये माध्यम आयुवर्ग के वयस्कों में देखा जाता है।
- जेस्टेशनल डायबिटीज - डायबिटीज का ये प्रकार गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करता है।
शुगर के मुख्य लक्षण हैं बार-बार पेशाब आना, ज्यादा भूख-प्यास लगना, वजन कम होना, थकान, कमजोरी, त्वचा का सूखापन, खुजली, घाव भरने में ज्यादा समय लगना, बार-बार इन्फेक्शन होना और धुंधला दिखना। सही समय पर उचित इलाज न किया जाए, तो शुगर की जटिलताएं भी हो सकती हैं, जैसे किडनी, मस्तिष्क, दिल, आंखें और नसों को नुकसान। डायबिटीज का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट किए जाते हैं। शरीर के चयापचय (मेटाबॉलिज्म) पर तनाव का बहुत ज्यादा असर पड़ता है, जिसके कारण आपका ब्लड शुगर स्तर बढ़ सकता है।
व्यक्ति की जीवनशैली और उसे पहले हुई समस्याओं के आधार पर होम्योपैथिक डॉक्टर उसे कई तरह की दवाएं दे सकते हैं। इसके अलावा, अगर होम्योपैथी को सही खान-पान के साथ लिया जाए, तो ये शुगर के स्तर को स्थिर भी कर सकती हैं और डायबिटीज की जटिलताओं से भी बचाव कर सकती हैं।
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