पुरुषों के टेस्टिकल्स के आसपास तरल पदार्थ की गांठ बनने की स्थिति को हाइड्रोसील कहा जाता है. यह स्थिति तब होती है जब टेस्टिकल को कवर करने वाले टिश्यू की परत में फ्लूइड भर जाता है. ऐसा टेस्टिकल में चोट लगने या इंफेक्शन फैलने के कारण हो सकता है. हाइड्रोसील के कारण काफी दर्द हो सकता है और सूजन भी आ सकती है.

गंभीर अवस्था में इसे हटाने के लिए ऑपरेशन किया जाता है, जिसे हाइड्रोसिलोक्टोमी कहा जाता है. ऑपरेशन के बाद मरीज को कुछ सावधानी बरतने के लिए कहा जाता है. साथ ही इस सर्जरी के कुछ दुष्प्रभाव भी नजर आ सकते हैं.

आज इस लेख में हम हाइड्रोसील के ऑपरेशन के बारे में ही जानेंगे -

  1. हाइड्रोसील के ऑपरेशन के लिए तैयारी
  2. सर्जरी के बाद क्या होता है?
  3. घर में ध्यान कैसे रखें?
  4. हाइड्रोसील ऑपरेशन के बाद रिस्क
  5. सारांश
हाइड्रोसील ऑपरेशन की प्रक्रिया व सावधानी के डॉक्टर

हाइड्रोसील टेस्टिकल के आसपास फ्लूइड से भरे पाउच की स्थिति है. यह स्थिति लेयर में टिश्यू के बनने की वजह से होती है. इसके कारण इंफेक्शन या टेस्टिकल्स को चोट पहुंच सकती है. इसके लिए हाइड्रोसिलेक्टोमी सर्जरी की जाती है, जिससे हाइड्रोसिल को हटाया जाता है. कुछ डॉक्टर लेप्रोस्कोपिक हाइड्रोसील सर्जरी भी करते हैं. सर्जरी के बाद एक्सरसाइज और ड्राइविंग न करने जैसी सावधानियां बरतनी चाहिए. आइए, हाइड्रोसिल सर्जरी के बारे में विस्तार से जानते हैं -

सर्जरी से पहले की तैयारी

हाइड्रोसिलेक्टोमी के बारे में सारी जानकारी डॉक्टर पहले ही दे देते हैं. फिर भी निम्न जानकारी का पता होना फायदेमंद साबित हो सकता है -

  • हाइड्रोसिलेक्टोमी से पहले किए जाने वाले टेस्ट, जिनके बारे में डॉक्टर मरीज को बताते हैं.
  • हाइड्रोसिलेक्टोमी से पहले एनेस्थीसिया का टेस्ट किया जाता है.
  • डॉक्टर सर्जरी से कुछ दिन पहले मरीज की अवस्था के अनुसाार निर्धारित दवाइयां दे सकते हैं.
  • हाइड्रोसिलेक्टोमी से पहले कुछ भी खाना या पीना नहीं होता.
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ऑपरेशन की प्रक्रिया

हाइड्रोसिलेक्टोमी सर्जरी में केवल आधे घंटे का समय लगता है और सर्जरी वाले दिन ही रोगी घर वापस आ सकता है. हाइड्रोसिलेक्टोमी की सर्जरी इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि यह हाइड्रोसील कम्युनिकेबल है या नॉन-कम्युनिकेबल. हाइड्रोसील के लिए लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का भी इस्तेमाल किया जाता है -

नॉन कम्युनिकेबल हाइड्रोसील

  • इस सर्जरी में हाथ की नस में एक इंट्रावीनस लाइन डाल दी जाती है. यह लाइन शरीर में फ्लूइड या दवाई जैसे एंटीबायोटिक आदि पहुंचाने का काम करती है.
  • सर्जरी के दौरान दर्द न हो इसलिए एनस्थीसिया दिया जाता है. इससे मरीज गहरी नींद में चला जाता है और पूरी सर्जरी के दौरान उसे कुछ महसूस नहीं होता है. सांस लेने के लिए गले में एक ट्यूब डाल दी जाती है.
  • अब स्क्रोटम में एक कट बनाया जाता है.
  • फिर फ्लूइड से भरे पाउच यानी हाइड्रोसील को निकाल दिया जाता है. इससे दोबारा फ्लूइड इकट्ठा होने का रिस्क ही खत्म हो जाता है.
  • इसके अलावा, इंसीजन में एक पतली-सी ट्यूब डाली जा सकती है, जिससे फ्लूइड बाहर निकल सके. यह ट्यूब कुछ दिनों बाद बाहर निकाली जाती है.
  • अब स्क्रोटम में लगाए गए कट को सील कर उसे बंद कर दिया जाता है.

कम्युनिकेबल हाइड्रोसील सर्जरी : कम्युनिकेबल हाइड्रोसिल सर्जरी थोड़ी मुश्किल होती है. इस प्रक्रिया में कमर के रास्ते एक कट लगाया जाता है, जिससे यदि हर्निया है, तो पहले उसका उपचार किया जाता है. साथ ही हाइड्रोसील को भी हटा दिया जाता है. यही नहीं हर्निया की समस्या भविष्य में न हो इसका भी उपचार किया जाता है.

लेप्रोस्कोपी हाइड्रोसिलेक्टोमी : कुछ सर्जन हाइड्रोसील को लेप्रोस्कोपी हाइड्रोसिलेक्टोमी से भी हटाते हैं. इसमें कैमरे के साथ एक ट्यूब को पेट के रास्ते डालकर उपचार किया जाता है. कुछ केस में डॉक्टर हाइड्रोसील को सुखाना पसंद करते हैं, लेकिन इस प्रक्रिया के साथ हाइड्रोसील दोबारा होने का रिस्क रहता है.

सर्जरी के बाद रोगी के एनेस्थीसिया के असर से रिकवर होने के लिए इंतजार किया जाता है. ब्रीदिंग ट्यूब का प्रयोग होने के कारण गले में थोड़ा दर्द महसूस हो सकता है. सर्जरी वाली जगह पर एक आइस क्यूब रखा जाता है, जिससे सूजन कम हो जाती है. एक जोकस्ट्रैप पहनने को दी जाती है, ताकि दर्द और सूजन के कारण चोट न आ सके. बाद में मरीज को घर जाने दिया जाता है.

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हाइड्रोसिलेक्टोमी के बाद घर में निम्न बातों का ध्यान रखना जरूरी है -

  • स्क्रोटम से सूजन कम करने के लिए वहां बर्फ की सिकाई कर सकते हैं. यह सिकाई सिर्फ 15 मिनट की जाती है. दर्द होने पर दर्द की दवाई ली जा सकती है. जिस जगह पर कट लगाया गया है उसकी पूरी देखभाल की जरूरत होती है.
  • नहाते समय सावधानी का ध्यान रखना जरूरी है.
  • कुछ दिनों तक स्विमिंग नहीं करनी चाहिए. 
  • हॉट टब या ऐसे किसी भी तरीके का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जिससे इंसीजन भीग जाए.
  • जोकस्ट्रैप या स्नग अंडरवियर पहनने चाहिए.
  • अधिक भारी चीजों को नहीं उठाना चाहिए.
  • ज्यादा मुश्किल एक्सरसाइज भी नहीं करनी चाहिए.
  • एक महीने तक या बताए गए समय तक सेक्स से भी दूरी बनाना जरूरी है.
  • जब तक डॉक्टर न कहें, तब तक ड्राइविंग भी नहीं करनी चाहिए.

इस ऑपरेशन के बाद कुछ निम्न रिस्क हो सकते हैं-

  • ब्लीडिंग   
  • इंफेक्शन
  • ब्लड क्लोट
  • हाइड्रोसील का दोबारा आना
  • टेस्टिकल में चोट आना जिससे इनफर्टिलिटी हो सकती है
  • तेज बुखार
  • स्किन का अधिक लाल होना
  • दर्द होना जैसे लक्षणों के महसूस होने पर
  • छाती में दर्द होना
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टेस्टिकल के आसपास जमा होने वाला फ्लूइड हाइड्रोसील होता है. हाइड्रोसील को हटाने या रिपेयर करने के लिए हाइड्रोसिलेक्टोमी ऑपरेशन या लेप्रोस्कोपी ऑपरेशन किया जाता है. हाइड्रोसील में दर्द जैसी स्थिति होती है. इस हाइड्रोसील को कम्युनिकेबल और नॉन-कम्युनिकेबल सर्जरी से हटाया जाता है. 1 महीने तक सेक्स न करना व एक्सरसाइज न करना जैसी सावधानियां इस सर्जरी के बाद जरूरी हैं. इन्फेक्शन, ब्लड क्लोट या हाइड्रोसील का दोबारा आना इस सर्जरी के बाद के कुछ रिस्क हैं. इस तरह की किसी भी परेशानी दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

Dr. Purushottam Sah

Dr. Purushottam Sah

पुरुष चिकित्सा
40 वर्षों का अनुभव

Dr. Anurag Kumar

Dr. Anurag Kumar

पुरुष चिकित्सा
19 वर्षों का अनुभव

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