दमा (अस्थमा) - Asthma in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

March 14, 2017

June 14, 2023

दमा
दमा

अस्थमा क्या है?

अस्थमा या दमा फेफड़ों के वायुमार्ग की एक इंफ्लेमेटरी बीमारी है। अस्थमा सांस लेना मुश्किल बनाता है और कुछ फिजिकल एक्टिविटीज को मुश्किल या असंभव भी बना सकता है।

भारतीय शहरों में अब यह काफी आम समस्या बन चुकी है।

अस्थमा को समझने के लिए यह समझना जरूरी है कि जब आप सांस लेते हैं तब क्या होता है।

आम तौर पर, आपके द्वारा ली जाने वाली प्रत्येक सांस के साथ हवा आपके नाक या मुंह से होकर आपके गले, फिर वायुमार्ग और अंततः आपके फेफड़ों तक पहुंचती है।

आपके फेफड़ों में बहुत सारे छोटे वायु मार्ग हैं जो हवा से ऑक्सीजन को आपके रक्त तक पहुंचाने में मदद करते हैं।

अस्थमा के लक्षण तब होते हैं जब आपके वायुमार्ग की परत सूज जाती है और उनके आसपास की मांसपेशियां कस जाती हैं। तब वायुमार्ग बलगम से भर जाता है, जिससे वहां से जाने वाली हवा की मात्रा कम हो सकती है।

इस सब से अस्थमा अटैक हो सकता है। अस्थम अटैक में खांसी और सीने में जकड़न होती है जो अस्थमा का एक विशिष्ट लक्षण है।

भारत में अस्थमा की स्थिति - How common is Asthma in India in Hindi?

ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट 2018 के अनुसार भारत के 130 करोड़ लोगों में से लगभग 6% बच्चों और 2% वयस्कों को अस्थमा है। अधिकांश लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है और अमीर और गरीब लोगों के लिए उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं में व्यापक अंतर है। इसके कारण अस्थमा अलगअलग आर्थिक वर्ग के लोगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित कर रहा है।

भारत में बड़ी संख्या में लोग अभी भी अस्थमा को कलंक मानते हैं और इसलिए इस बीमारी को छिपाते हैं। कई लोगों का मानना है कि इनहेलर की लत लग जाती है। कई रोगी लक्षण होने पर उपचार करते हैं, या जब लक्षण असहनीय हो जाते हैं, और लक्षण खत्म होने पर इलाज रोक देते हैं। इन बाधाओं के बावजूद लगातार किये जा रहे शिक्षा कार्यक्रमों की वजह से ब्रोन्कियल अस्थमा के लिए इनहेलर का इस्तेमाल धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

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दमा (अस्थमा) के प्रकार - Types of Asthma in Hindi

अस्थमा के कई प्रकार हैं। सबसे आम प्रकार ब्रोन्कियल अस्थमा है, जो फेफड़ों में मौजूद ब्रोंकाइ को प्रभावित करता है।

अस्थमा के अतिरिक्त रूपों में "चाइल्डहुड अस्थमा" (बचपन में शुरू होने वाला) और "एडल्ट-ऑनसेट अस्थमा" (वयस्कों  में शुरू होने वाला) शामिल हैं। एडल्ट-ऑनसेट अस्थमा में लक्षण कम से कम 20 वर्ष की आयु तक नहीं होते हैं।

अन्य विशिष्ट प्रकार के अस्थमा इस प्रकार हैं -

  1. एलर्जिक अस्थमा
  2. नॉनएलर्जिक अस्थमा
  3. ऑक्यूपेशनल अस्थमा
  4. एक्सरसाइज-इंड्यूस्ड ब्रोन्कोकंस्ट्रिक्शन (ईआईबी)
  5. एस्पिरिन इंड्यूस्ड अस्थमा
  6. नोक्टर्नल अस्थमा
  7. कफ-वैरिएंट अस्थमा (सीवीए)

दमा (अस्थमा) के लक्षण - Asthma Symptoms in Hindi

अस्थमा का सबसे आम लक्षण है सांस लेते समय घरघराहट होना या सींटी जैसी आवाज़ आना।

दमा के अन्य लक्षणों में शामिल हैं -

अस्थमा से पीड़ित हर कोई इन विशेष लक्षणों का अनुभव नहीं करता है। आपको कौन से लक्षण होंगे वह इस पर निर्भर करेगा कि आपको किस प्रकार का अस्थमा है।

यदि आपको लगता है कि आपके लक्षण दमा का संकेत हैं तो अपने डॉक्टर से तुरंत परामर्श लें। ऐसा जरूरी नहीं है कि अस्थमा का पहला संकेत अस्थमा का दौरा ही हो।

अस्थमा (दमा) के कारण - Asthma Causes in Hindi

शोधकर्ताओं का मानना है कि अस्थमा के लिए सिर्फ कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं है, बल्कि यह विभिन्न कारकों के मेल से होती है। इन कारकों में शामिल हैं -

  • आनुवंशिकी - यदि माता-पिता या भाई-बहन में से किसी को अस्थमा है, तो आपको इसके होने की अधिक आशंका है।
  • वायरल संक्रमण का इतिहास - बचपन में गंभीर वायरल संक्रमण वाले लोगों में दमा विकसित होने की अधिक आशंका होती है।
  • बचपन में इम्यूनिटी कम बनना - एक थ्योरी है कि जब बच्चे अपने शुरुआती महीनों और वर्षों में बैक्टीरिया के संपर्क में बहुत कम आते हैं, तो उनकी इम्यूनिटी अस्थमा और अन्य एलर्जी से जुड़ी बीमारियों से लड़ने के लिए उतनी मजबूत नहीं बन पाती है।
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दमा (अस्थमा) से बचाव - Prevention of Asthma in Hindi

क्योंकि शोधकर्ताओं ने अभी तक अस्थमा के सटीक कारण की पहचान नहीं की है, इसलिए यह जानना चुनौतीपूर्ण है कि भड़काऊ स्थिति को कैसे रोका जाए।

हालाँकि, अस्थमा के हमलों को रोकने के बारे में अधिक जानकारी ज्ञात है। इन रणनीतियों में शामिल हैं -

  • ट्रिगर से बचना। रसायन, गंध, या उत्पादों से स्पष्ट स्टीयर अतीत में साँस लेने में समस्या का कारण बना।
  • एलर्जी के संपर्क को कम करना। यदि आपने एलर्जी की पहचान की है, जैसे कि धूल या मोल्ड, जो अस्थमा के दौरे को ट्रिगर करता है, तो उन्हें सबसे अच्छा होने से बचें।
  • एलर्जी शॉट्स लेना। एलर्जेन इम्यूनोथेरेपी एक प्रकार का उपचार है जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बदलने में मदद कर सकता है। नियमित शॉट्स के साथ, आपका शरीर आपके द्वारा सामना किए जाने वाले किसी भी ट्रिगर के प्रति कम संवेदनशील हो सकता है।
  • निवारक दवा लेना। आपका डॉक्टर आपको दैनिक आधार पर दवा लेने के लिए लिख सकता है। इस दवा का उपयोग किसी आपातकालीन स्थिति में आपके द्वारा उपयोग किए जाने के अलावा किया जा सकता है।

आपका डॉक्टर आपको अस्थमा एक्शन प्लान लगाने में मदद कर सकता है ताकि आप जान सकें कि कौन से उपचार का उपयोग करना है और कब करना है।

दमा (अस्थमा) का परीक्षण - Diagnosis of Asthma in Hindi

अस्थमा की जांच कैसे होती है?

अस्थमा की जांच के लिए शारीरिक परिक्षण, फेफड़ों के कार्य का पता लगाने के लिए टेस्ट, और कई अन्य टेस्ट किये जाते हैं हैं जैसे एलर्जी टेस्ट और कई तरह के इमेजिंग टेस्ट।

इनके बारे में विस्तार से आगे बताया गया है - 

शारीरिक परिक्षण

अन्य संभावित स्तिथियां जैसे कि श्वशन संक्रमण या सीओपीडी आदि, इनपर रोकथाम बनाए रखने के लिए, डॉक्टर आपकी शारीरिक जांच कर सकते हैं। इस परिक्षण में डॉक्टर आपसे आपके रोग के संकेत और लक्षणों के बारे में और अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के बारे में पूछेंगे।

फेंफड़ों के कार्य की जांच करने के लिए टेस्ट

आपको फेफड़ों की कार्यक्षमता को मापने के लिए भी टेस्ट देना पड़ सकता है, ताकि ये बात निर्धारित की जा सके कि जब आप सांस लेते हैं तो कितनी वायु फेफड़ों के अंदर प्रवाहित होती है। इसमें ये टेस्ट शामिल हो सकते हैं:

  • स्पायरोमेट्री (Spirometry) – इसमें गहरी सांस लेने के दौरान देखा जाता है कि आप कितनी तेजी से सांस ले सकते हैं और छोड़ सकते हैं। इस टेस्ट से ब्रोंकियल ट्यूबों के संकुचन का अनुमान लगाया जाता है।
  • पीक फ्लो (Peak flow) – पीक फ्लो एक सामान्य मीटर होता है जो जांच करता है, कि कितनी तेजी से आप सांस ले सकते हैं। सामान्य स्तर से कम पीक-फ्लो रीडिंग्स बताती हैं कि आपके फेफड़े ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, जिससे अस्थमा और गंभीर रूप से बिगड़ सकता है। डॉक्टर आपको निर्देशित कर सकते हैं, कि लो पीक फ्लो (low peak flow) रीडिंग को कैसे सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है।
  • फेंफड़ों के कार्य का परिक्षण (Lung function tests) – यह टेस्ट अक्सर ब्रोकॉडायलेटर की दवाएं लेने से पहले और बाद में किया जाता है। एल्ब्यूटेरल और वायुमार्ग खोलने के लिए इन दवाओं का प्रयोग किया जाता है। अगर ब्रोकॉडायलेटर लेने से फेफड़ों के कार्यों में सुधार होता है, तो आपको अस्थमा होने की संभावना हो सकती है।

अतिरिक्त टेस्ट

अस्थमा के निदान के लिए किए गए अन्य टेस्ट जिनमें शामिल हैं :-

  • मेथाकोलिन चैलेंज (Methacholine challenge) – मेथाकोलिन को अस्थमा के मुख्य कारणों में गिना जाता है, यह नाक के वायुमार्ग को हल्के से कस के संकुचित कर देता है। अगर आपका शरीर मेथाकोलीन पर प्रतिक्रिया देता है, तो आपको अस्थमा होने की संभावना हो सकती है। अगर आपके फेफड़ों का शुरूआती टेस्ट सामान्य रहा हो तब भी यह टेस्ट लिया जा सकता है।
  • नाइट्रिक ऑक्साइड टेस्ट (Nitric oxide test) – हालांकि यह टेस्ट हर जगह पर उपलब्ध नहीं होता, इसका काम सांस में नाइट्रिक ऑक्साइड गैस की मात्रा को मापने का होता है। आपके नाइट्रिक ऑक्साइड का स्तर सामान्य से ज्यादा होने पर आपकी नाक के वायुमार्ग संक्रमित हो सकते हैं, जो कि अस्थमा के संकेत होते हैं।
  • इमेजिंग टेस्ट – फेफड़ों या साइनस का एक हाई-रिजोलूशन सीटी स्कैन और छाती का एक्स-रे से किसी भी प्रकार की संरचनात्मक असामान्यताओं या रोगों की पहचान की जा सकती है। ये रोग (जैसे संक्रमण आदि), सांस लेने में कठिनाईयां पैदा कर देते हैं और समस्याओं को बढ़ा देते हैं।
  • एलर्जी टेस्टिंग (Allergy testing) – एलर्जी टेस्टिंग में खून की जांच और त्वचा की जांच आदि शामिल होती है। इस टेस्ट की मदद से एलर्जी की पहचान की जाती है, जैसे पालतू जानवरों से एलर्जी, धूल, मोल्ड या पोलन आदि से होने वाली एलर्जी की जांच करना। अगर आवश्यक हो तो एलर्जी के कारण की पहचान की जा सकती है, जो "एलर्जन इम्यूनोथेरेपी" की मदद लेने की सलाह दे सकती है।
  • स्प्यूटम ईयोसिनोफिल्स (Sputum eosinophils) – इस टेस्ट में मरीज की खांसी के दौरान निकलने वाली लार और थूक (स्प्यूटम) के मिश्रम में कुछ सफेत रक्त कोशिकाओं (ईयोसिनोफिल्स) की जांच की जाती है। जब अस्थमा के लक्षण विकसित होने लगते हैं, तो उस दौरान सफेद रक्त कोशिकाएं मरीज के बलगम या थूक में मौजूद होती हैं, और उसमें ये गुलाबी रंग की डाई (ईयोसिन) के समान दिखती हैं।
  • व्यायाम और अस्थमा युक्त जुकाम के लिए प्रोवोकेटिव टेस्ट (Provocative testing for exercise and cold-induced asthma) – इस टेस्ट में, कोई फुर्तिली शारीरिक गतिविधी करने से पहले और बाद में डॉक्टर आपके वायुमार्गों की रुकावटों को मापकर उनकी जांच करते हैं। इसके अलावा ठंडी हवा में सांस लेने से पहले और बाद में भी डॉक्टर अवरुद्ध वायुमार्गों की जांच कर सकते हैं।

अस्थमा (दमा) का इलाज - Asthma Treatment in Hindi

अस्थमा का उपचार कैसे किया जाता है?

अस्थमा के उपचार के दो पहलू आपको पता होने चाहिए - पहला, कैसे अस्थमा के लक्षणों या अस्थमा अटैक से जल्द राहत पाई जा सके, और दूसरा, कैसे इसे आगे के लिए नियंत्रित किया जा सके। अगर आपको यह जानकारी होगी, तो आप अपने डॉक्टर की मदद से अस्थमा और उसके लक्षणों पर अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में काबू पा सकेंगे। 

इसके अलावा, आपको यह स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए की कब आप स्वयं अस्थमा के लक्षणों से निपट सकते हैं, और कब आपको चिकित्सा की तुरंत ज़रूरत है। अगर आप ऐसा करने मे सक्षम होंगे, तो आपको अस्थमा के कारण कोई आपातकालीन स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा।

1. अस्थमा की दवाएं 

अस्थमा की दवाइयाँ आपकी जिंदगी बचा सकती हैं, और आपको अस्थमा होने के बावजूद भी एक सक्रिय जीवन जीने में समर्थ बना सकती हैं। अस्थमा के इलाज के लिए दो प्रकार की दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है -

  1. स्टेरॉयड और अन्य एंटी-इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स – सूजन और जलन को कम करने वाली दवाएं और विशेष रूप से इन्हेल्ड स्टेरॉयड (नाक के माध्यम से ली जाने वाली दवा) अस्थमा के ज्यादातर मरीजों के लिए एक महत्वपूर्ण उपचार माना जाता है। ये जीवनरक्षक दवाएं वायुमार्ग में सूजन और बलगम बनने को कम करके अस्थमा के प्रभाव को कम करती हैं। इसके परिणामस्वरूप वायुमार्ग कम संवेदनशील हो जाते हैं, जिससे अस्थमा के लक्षणों की संभावना कम हो जाती है।
  2. ब्रोंकॉडायलेटर्स – ब्रोंकॉडायलेटर्स वायुमार्ग के चारों तरफ कसी हुई मांसपेशियों को आराम देकर अस्थमा से राहत दिलाते हैं। ब्रोंकॉडायलेटर्स दो प्रकार के होते हैं - 
  • शॉर्ट एक्टिंग ब्रोंकॉडायलेटर्स इन्हेलर - इसको अक्सर "रेस्क्यू इनहेलर" (rescue inhaler; नाक के माध्यम से बचाव के लिए ली जाने वाली दवा) के रूप में जाना जाता है। इसका प्रयोग इन समस्याओं से जल्द राहत देने के लिए उपयोग किया जाता है - खांसी, सांस लेने में कठिनाई, छाती में जकड़न, अस्थमा की वजह से सांस फूलना। व्यायाम करने वाले व्यक्ति जिनको अस्थमा है, वे भी इसका प्रयोग व्यायाम शुरू करने से पहले और बाद में करते हैं। अस्थमा के उपचार के लिए इसका नियमित रूप से प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है। अगर शॉर्ट-एक्टिंग ब्रोंकॉडायलेटर्स का उपयोग आप सप्ताह में दो बार करना पड़ता है, तो इसका मतलब है कि आप अस्थमा को ढंग से नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
  • लॉन्ग-एक्टिंग ब्रोंकॉडायलेटर्स – कई बार इसका प्रयोग इन्हेल्ड स्टेरॉयड या कोर्टिकोस्टेरॉयड के साथ मिलाकर किया जाता है। इसे अस्थमा के लक्षणों पर नियंत्रण पाने के लिए, या जब किसी व्यक्ति को प्रतिदिन चल रहे इन्हेल्ड स्टेरॉयड के उपचार के बावजूद भी अस्थमा के लक्षण दिख रहे हों, उसे नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

2. अस्थमा इन्हेलर

अस्थमा इनहेलर्स फेफड़ों में अस्थमा की दवाएं पहुंचाने का सबसे सामान्य और बेहतर तरीका माना जाता है। वे अलग-अलग प्रकारों में उपलब्ध हैं, जिनको उपयोग करने के लिए अलग-अलग तकनीकों की जरूरत होती है। कुछ इन्हेलर्स एक प्रकार की दवा प्रदान करते हैं, तो कुछ इन्हेलर्स में दो अलग-अलग दवाइयाँ मिलती हैं।

3. अस्थमा नेब्यूलाइजर

अगर आपको छोटे इन्हेलर्स को प्रयोग करते समय कठिनाई हो रही है या आप ठीक प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं तो डॉक्टर आपके लिए अस्थमा नेब्यूलाइजर लिख सकते हैं। इस मशीन में एक मास्क लगा होता है तो आम तौर पर शिशुओं, छोटे बच्चों और अधिक वृद्ध व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता है, या उन व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता है जिनको सांस लेने में कठिनाई होती है। नेब्यूलाइजार दवाओं को तरल से भाप में बदल देता है, जिससे दवाएं आसानी से फेंफड़ों तक पहुंचाई जाती है। इसको प्रयोग करने में इन्हेलर से कुछ मिनट ज्यादा का समय लगता है।

4. प्रेडनीसोन और अस्थमा अटैक

अगर आपको अस्थमा का गंभीर अटैक हुआ है, तो आपके डॉक्टर ओरल कोर्टिकोस्टेरॉयड्स का एक छोटा कोर्स आपके लिए लिख सकते हैं। इसको दो सप्ताह तक प्रयोग करने पर कोर्टिकोस्टेरॉयड के दुष्प्रभाव होने की संभावना कम है। मगर इसे एक महीने से ज्यादा प्रयोग करने से इसके दुष्प्रभाव अधिक गंभीर और स्थायी भी हो सकते हैं।

अस्थमा के लक्षणों का सफलतापूर्वक नियंत्रण और उपचार करने के बाद,आपके डॉक्टर द्वारा दी जाने वाली चिकित्सा का उदेश्य होगा कि भविष्य में आपको प्रेडनीसन दवा की जरूरत कम पड़े। रोजाना एक कोर्टिकोस्टरॉयड लेना अस्थमा की रोकथाम करने का सबसे बेहतर और सामान्य तरीका है।

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क्या अस्थमा पूरी तरह ठीक हो सकता है? - Can Asthma be cured permanently in Hindi?

अस्थमा का कोई परमानेंट इलाज नहीं है। लेकिन इसके उपचार के लिए अब कई बेहद असरदार विकल्प मौजूद हैं, यहाँ तक कि कुछ डॉक्टरों का कहना है कि आज अस्थमा का उपचार इतना प्रभावी है कि बहुत मरीज अपने लक्षणों को पूरी तरह कंट्रोल में रख सकते हैं।

दमा (अस्थमा) के नुकसान - Asthma Complications in Hindi

अस्थमा से होने वाले नुकसान और अन्य परेशानियां क्या हैं?

अस्थमा के नुकसान में निम्न शामिल हैं -

  • ऐसे लक्षण जो रोजमर्रा के काम, नींद आदि में बाधा डालते हैं।
  • अस्थमा बढ़ जाने पर स्कूल या काम से बार-बार छुट्टी लेने की आवश्यकता।
  • ब्रोकियल ट्यूबों का स्थायी रूप से पतला हो जाना जो सांस लेने में समस्या पैदा करता है।
  • अस्थमा के लक्षण गंभीर होने पर आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होना और अस्पताल मं भर्ती होने की जरूरत पड़ना।
  • अस्थमा को कंट्रोल करने के लिए लंबे समय तक ली जाने वाली दवाओं के दुष्प्रभाव होना।
  • अल्प कालिक और दीर्घ कालिक अस्थमा के उपचार में काफी अंतर होता है, दवाएं ठीक से ना ली जाएं तो भी जटिलताएं उतपन्न हो जाती हैं।


संदर्भ

  1. American Thoracic Society. What Is Asthma?. Am J Respir Crit Care Med Vol 188, P7-P8, 2013. ATS Patient Education Series [Internet]
  2. Asthma and Allergy Foundation of America. [Internet]. Maryland, United States; Asthma
  3. Lötvall J, Akdis CA, Bacharier LB, et al. Asthma endotypes: a new approach to classification of disease entities within the asthma syndrome. J Allergy Clin Immunol. 2011; 127:355-360. PMID: 21281866
  4. National Heart, Lung, and Blood Institute [Internet]: U.S. Department of Health and Human Services; Asthma
  5. Lange P. Prognosis of adult asthma.. Monaldi Arch Chest Dis. 1999 Aug;54(4):350-2. PMID: 10546480

दमा (अस्थमा) के डॉक्टर

Dr. Anu Goyal Dr. Anu Goyal कान, नाक और गले सम्बन्धी विकारों का विज्ञान
25 वर्षों का अनुभव
Dr. Manish Gudeniya Dr. Manish Gudeniya कान, नाक और गले सम्बन्धी विकारों का विज्ञान
8 वर्षों का अनुभव
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दमा (अस्थमा) की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Asthma in Hindi

दमा (अस्थमा) के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

दमा (अस्थमा) पर आम सवालों के जवाब

सवाल लगभग 5 साल पहले

मेरे पति को रात 3 बजे के करीब खांसी होने लगती है। उन्हें बचपन में अस्थमा था। जैसे-जैसे यह बड़े होते गए यह प्रॉब्लम कम होती गई और फिर एकदम से रूक गई। अब उनकी उम्र 48 साल है, क्या उन्हें दोबारा अस्थमा हो सकता है और क्या रात को उन्हें अस्थमा अटैक ही आता है? अगर हां, तो अभी हमें क्या करना चाहिए?

Dr. R.K Singh MBBS , मधुमेह चिकित्सक

जी हां, अस्थमा का एक लक्षण खांसी भी है लेकिन इसका मुख्य लक्षण सांस लेने में दिक्कत है। हो सकता है जुकाम की वजह से उनकी छाती में कफ जम हो गया हो। बिना जांच किए ये नहीं बताया जा सकता है कि आपके पति को खांसी क्यों हो रही है। इसके लिए चेस्ट स्पेशलिस्ट या पल्मोनोलॉजिस्ट को दिखाएं। अस्थमा की बीमारी दोबारा हो सकती है।

सवाल लगभग 5 साल पहले

मुझे एलर्जी की वजह से अस्थमा अटैक आया है। अटैक आने पर एक बार इनहेलर के इस्तेमाल से आराम नहीं मिल पाता है। मुझे इनहेलर के 2-3 डोज लेने पड़ते हैं। क्या 2-3 डोज लेना सही है?

Dr. Uday Nath Sahoo MBBS , आंतरिक चिकित्सा

अस्थमा के अटैक से बचने के लिए आप डाइट में प्रोटीन और वसा युक्त भोजन, ठन्डे पेय पदार्थ, मांस, अंडा आदि न खाएं और स्मोकिंग व शराब के सेवन से भी बचें। आपका इनहेलर अटैक को कंट्रोल नहीं कर पा रहा है तो हो सकता है कि आपकी स्थिति गंभीर रूप ले चुकी हो। आप तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

सवाल लगभग 5 साल पहले

मेरी पत्नी को कल शाम अस्थमा अटैक आया था। अस्थमा के लिए वह डोज में 2 पफ साल्बुटामोल इनहेलर लेती है। उसने कल अटैक के दौरान 2 पफ लिए थे जिसका कोई असर नहीं हुआ और शाम के समय स्थिति और बिगड़ गई थी। इसके बाद उसने अगले स्टेज पर 5 मिनट में डोज के 10 पफ लिए जिसके बाद उसे आराम मिला। मैं जानना चाहता हूं कि 12 घंटे में कितनी बार इनहेलर पफ लेना चाहिए?

Dr. , सामान्य चिकित्सा

अस्थमा अटैक को ट्रिगर करने वाली चीजों से दूर रहें ताकि पहले की तरह उन्हें दोबारा इतना तेज अटैक न पड़े। आपकी पत्नी को अस्थमा का अटैक आया था और अटैक के दौरान इनहेलर ने पूरी तरह से असर नहीं किया तो ये बात नॉर्मल नहीं है। आपकी पत्नी की स्थिति गंभीर हो सकती है। आप जल्द से जल्द उन्हें पल्मोनोलॉजिस्ट को दिखाएं। साल्बुटामोल इन्हेलर के पफ को 12 घंटे में 2 से 3 बार ही लेना होता है और बाकी साल्बुटामोल पफ जरूरत के हिसाब से ही लिया जाता है। 

सवाल लगभग 5 साल पहले

मुझे अस्थमा है, कभी-कभी मेरी सांस फूलने लगती है। मैं अपनी प्रॉब्लम को कैसे ठीक कर सकता हूं?

Dr. Tarun kumar MBBS , अन्य

अस्थमा को कंट्रोल में रखने के लिए एंटी-ऑक्सीडेंट युक्त फल और सब्जियां खाएं और इसी के साथ विटामिन-ए, विटामिन-सी और विटामिन-ई युक्त फल खाएं, सुबह योगा करें, रात को सोने से पहले एक गिलास गुनगुना पानी पी कर सोएं, एलर्जी से बचें और सकारात्मक एवं खुश रहा करें। सांस फूलने की प्रॉब्लम के लिए डॉक्टर की सलाह से इनहेलर लें। अस्थमा की समस्या में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा युक्त चीजों का सेवन कम करना चाहिए। ठंडे पेय, आइसक्रीम जैसी ठंडी चीजों का सेवन बिलकुल ना करें। अंडे, मछली, मांस या चॉकलेट का अधिक सेवन अस्थमा की स्थिति को बिगाड़ सकता है। अचार और मसालेदार भोजन के सेवन से बचें। दमा के अटैक से बचने के लिए शराब और धूम्रपान का सेवन कभी नहीं करें। इन सब बातों का ध्यान रख कर आप अपनी प्रॉब्लम को कंट्रोल कर सकते हैं।