प्राणायाम श्वास व्यायाम नहीं है, बल्कि शरीर में प्राण पैदा और परिसंचालित करने की एक विधि है। अस्थमा के दृष्टिकोण से, शायद यह सबसे महत्वपूर्ण पहलू है योग का। अस्थमा में बुनियादी अंतर्निहित समस्या फेफड़ों की सूजन है, और प्राणायाम से फेफड़ों में सूजन कम हो जाती है।
अस्थमा का उपचार केवल फेफड़ों को खोलना नहीं है, बल्कि फेफड़ों की सूजन से छुटकारा पाना है। प्राण जीवन शक्ति उत्पन्न करता है, और जितनी ज़्यादा आप में यह शक्ति होगी, उतना ही आप विभिन्न उत्तेजनाओं को दूर कर सकते हैं और उनका सामना कर सकते हैं। आपके सिस्टम में भी अधिक ताकत और स्थिरता आ जाएगी।
"प्राण" या "जीवन-शक्ति" एक सामान्य शब्द है और हर कोई जानता है कि "शारीरिक ऊर्जा" क्या है - हमें तुरंत पता चल जाता है जब हमारी जीवनशक्ति कम होती है, या जब हम अच्छा महसूस करते हैं। योग में इस जीवन शक्ति को बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन वैज्ञानिक आज तक इसको न ही समझ पाए हैं और न ही इसकी व्याख्या ठीक से कर पाए हैं।
जीवन-शक्ति बढ़ाने में प्राणायाम सबसे अधिक सहायता कर सकता है, क्योंकि योग प्राण को समझता है। प्राणयाम न केवल प्राण पैदा करने में मदद करता है बल्कि प्राण का संरक्षण करता है और इसका जागरूकता के साथ इस्तेमाल करता है। प्राणायाम श्वसन की मांसपेशियों को भी विकसित करता है, और आपकी मांसपेशियों पर जितना ज्यादा नियंत्रण होता है, उतना आप अधिक आत्मविश्वास महसूस करेंगे जब आपको अस्थमा का अटैक हो।
प्राणायाम की शुरुआत एक अच्छे गुरु के साथ ही करें। दमा को नियंत्रित रखने के लिए आप निम्न प्राणायाम कर सकते हैं -
एक बार जब अस्थमा के आसन और प्राणायाम में एक बुनियादी आधार बन जाए तो आप षट्कर्म पर जा सकते हैं।