अस्थमा एक श्वसन संबंधी रोग है, जो लंबे समय तक रोगी को प्रभावित करता है। ये फेफड़ों के श्वसन मार्ग को प्रभावित करता है, जिससे उसकी श्लेष्मा झिल्ली कई पर्यावरणीय कारकों के प्रति संवेदनशील हो जाती है, जो अधिकतर स्वस्थ लोगों के लिए नुकसानदायक नहीं होते।
अस्थमा अटैक आने पर व्यक्ति की श्वासनलियां सूज जाती हैं, जिससे श्वसन मार्ग संकुचित होता है और फेफड़ों तक हवा जाना कम हो जाती है। अस्थमा के सबसे आम लक्षण हैं, खांसी के दौरे पड़ना, सांस लेने में दिक्कत, छाती में जकड़न महसूस होना, सांस फूलना और घरघराहट। ये लक्षण दिन में किसी भी समय अचानक हो सकते हैं, लेकिन ये ठंड के मौसम में और सुबह के समय अधिक देखे जाते हैं।
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अस्थमा के लक्षण आमतौर पर हवा में मौजूद एलर्जी करने वाले पदार्थों (पराग, धूल-मिट्टी, जानवर के बाल आदि) के संपर्क में आने से उत्तेजित होते हैं। खराब मौसम और फ्लू व जुकाम जैसी बीमारियों से समस्या बढ़ सकती है। कुछ मामलों में, ऐसी भावनाओं और एक्सरसाइज से भी व्यक्ति को अस्थमा का अटैक आ सकता है, जो सांस लेने के तरीके को प्रभावित करती हैं। अस्थमा के हल्के अटैक कुछ मिनट तक रह सकते हैं, लेकिन इसके गंभीर प्रकार घंटों तक समस्या पैदा कर सकते हैं और इनके लिए हॉस्पिटल जाने की आवश्यकता होती है।
अस्थमा का पता लगाने के लिए लक्षणों की जांच की जाती है और अस्थमा अटैक का तरीका व समय देखा जाता है। फेफड़ों के कार्य की जांच करने के लिए कुछ श्वसन संबंधी टेस्ट भी किए जा सकते हैं। समस्या को उत्तेजित करने वाले कारक का पता लगाने के लिए एलर्जी टेस्ट भी किए जा सकते हैं।
ऐसी कुछ होम्योपैथिक दवाएं उपलब्ध हैं, जो अस्थमा के लक्षणों को कम करने व जीवनशैली को सुधारने में मदद करती हैं और इन दवाओं के कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होते हैं। नक्स वोमिका, आर्सेनिकम एल्बम, कार्बो वेजीटेबिलिस और नेट्रम सल्फ्यूरिकम ऐसी होम्योपैथिक दवाएं हैं, जो क्रोनिक अस्थमा को ठीक करने के लिए उपयोग की जाती हैं।