क्या है खर्राटे?
अक्सर सोते समय कुछ व्यक्ति सांस लेते और छोड़ते समय कठोर व छरछरी आवाज निकालते हैं, उसको खर्राटे कहा जाता है। खर्राटे की आवाज तब पैदा होते है, जब हवा का बहाव गले की त्वचा में स्थित ऊतकों में कंपन पैदा कर देता है। खर्राटे सांस अंदर लेते समय आते हैं। खर्राटों की आवाज नाक या मुंह, किसी से भी आ सकती है। यह आवाज सोने के बाद किसी भी समय शुरू और बंद हो सकती हैं।
अधिकांश लोग सोते समय कभी ना कभी खर्राटे ले ही लेते हैं। ज्यादातर पुरूषों में खर्राटे मारने की प्रक्रिया सामान्य मानी जाती है। आमतौर पर खर्राटों की समस्या का कारण अनुवांशिक होता है। यदि परिवार का एक सदस्य खर्राटे मारता है तो अन्य सदस्यों को यह समस्या होने की अधिक संभावना होती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ खर्राटे सामान्य रूप से होने लग जाते हैं। लगभग 40 प्रतिशत वयस्क पुरूष और 24 प्रतिशत वयस्क महिलाओं में खर्राटे की समस्या देखी जाते हैं। 70 साल की उम्र के बाद पुरूषों में खर्राटे आने की प्रक्रिया कम हो जाती है।
पीठ के बल सोने से खर्राटे आने की संभावना अधिक हो जाती है। शराब और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करने से गले की मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं। इससे भी खर्राटे आने लग जाते हैं। जुकाम या अन्य एलर्जी के कारण बलगम का जमाव भी खर्राटों का कारण बन सकता है।
खर्राटे की आवाज बहुत अधिक हो सकती है, यहां तक कि खुद खर्राटे मारने वाला व्यक्ति उनसे जाग सकता है। अधिकांश मामलों में लोगों को खुद पता नहीं होता कि वे खर्राटे मारते हैं। जो व्यक्ति खर्राटे मारते हैं, उन्हें नींद से जागने के बाद सूखा मुंह और गले में जलन का एहसास हो सकता है।
हल्के खर्राटे नींद में कोई बाधा नहीं डालते, ज्यादा तेज खर्राटों के कारण शरीर में काफी समस्याएं हो सकती हैं जैसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया, नींद में कमी आदि। इन समस्याओं के अलावा खर्राटे कई प्रकार की बिमारीयों के भी जोखिम पैदा कर देते हैं जैसे, हृदय रोग, स्ट्रोक, डायबिटिज और अन्य प्रकार की कई बिमारीयां।
खर्राटे मारना कितनी आम बात है?
खर्राटे कोई भी व्यक्ति बार-बार या कभी कभार मार सकता है। अक्सर जो व्यक्ति नियमित रूप से खर्राटे नहीं मारते, उनको किसी वायरल बीमारी के बाद, शराब पीकर सोने के बाद या किसी अन्य दवाई का सेवन करने के बाद उनको खर्राटे मारने की आदत लग सकती है।
खर्राटों का शारीरिक बनावट से कोई लेना-देना नहीं होता। अक्सर हमें लगता है कि, उंचे खर्राटे एक मोटी गर्दन वाला मोटा व्यक्ति ही मार सकता है, लेकिन एक छोटा और पतला आदमी जिसकी गर्दन पतली हो, वह भी उतने ही उंचे खर्राटे मार सकता है। सामान्य रूप से, जैसे उम्र और वजन बढ़ता जाता है खर्राटें मारने की संभावना भी बढ़ जाती है।
ऐसा अनुमान लगाया जाता है, कि कुल व्यस्क लोगों की आबादी में से 20 प्रतिशत लोग खर्राटों से प्रभावित हैं। जिनमें से 60 प्रतिशत लोग 40 साल से ऊपर की उम्र वाले होते हैं।