आपने अक्सर लोगों को नींद में खर्राटे लेते सुना होगा। कुछ लोग नींद में बार-बार करवट लेते हैं। नींद में किए गए इस तरह के व्यवहार का लोग कभी मजाक बनाते हैं तो कभी चिढ़ाते भी हैं। ऐसे में लोगों के मन में अलग तरह की झिझक पैदा हो जाती है। वो अपनी इस बीमारी की वजह से हंसी का पात्र बन जाते हैं। बहुत कम लोगों को इस बीमारी की विस्तृत जानकारी है।
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प्रतिरोधी स्लीप एपनिया
प्रतिरोधी स्लीप एपनिया, स्लीप एपनिया का सबसे आम प्रकार है। ये श्वास मार्ग में रुकावट पैदा होने से होता है। इसमें इंसान सोने के कुछ ही देर बाद खर्राटे लेना शुरू कर देता है, कई बार सांसों में घुटन जैसी आवाजें भी आती हैं। स्लीप एपनिया के मरीज जोर-जोर से खर्राटे लेते हैं पर ये जरूरी नहीं कि सभी मरीजों को खर्राटे संबंधी परेशानी हो।
अक्सर ये पाया गया है कि जिन लोगों को स्लीप एपनिया होता है, उनका वजन सामान्य से ज्यादा होता है। ज्यादा वजन के कारण इनका श्वास मार्ग छोटा हो जाता है। इसके अलावा जिन बच्चों के टॉन्सिल और एडनोइड्स का आकार बड़ा होता है उनमें भी स्लीप एपनिया की आशंका अधिक होती है।
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पतली जीभ दिलाएगी निजात
पतली जीभ वाले लोगों को प्रतिरोधी स्लीप एपनिया से आराम मिलता है। यूनिवर्सिटी ऑफ पैनसिलवेनिया के स्कूल ऑफ मेडिसिन द्वारा एक स्टडी जारी की गई है। स्टडी के अनुसार किसी मरीज की जीभ अगर पतली हो जाए तो उसे प्रतिरोधी स्लीप एपनिया के प्राथमिक लक्षणों से निजात मिलती है। इससे उनकी नींद बेहतर होती है और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है।
प्रतिरोधी स्लीप एपनिया के अन्य लक्षण
इस बीमारी में लोगों की सांस नली सोने के समय ब्लॉक हो जाती है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। कुछ छोटे मामलों में इसका पता भी नहीं चल पाता है। कुछ लोगों में इसके लक्षण बढ़ जाते हैं। लोग नींद के दौरान बार-बार जागते हैं। सुबह सिरदर्द महसूस होता है, हमेशा थकान रहती है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो ये बीमारी हाई बीपी, हृदय रोग और टिशू डैमेज भी कर सकती है।
प्रतिरोधी स्लीप एपनिया का टेंपररी इलाज
प्रतिरोधी स्लीप एपनिया के टेंपररी इलाज के लिए सीपीएपी मशीन का उपयोग किया जाता है। कुछ मामलों में वजन घटाने से भी लोगों को लाभ मिला है। कुछ अन्य मामलों में देखा गया कि जिन मरीजों का जबड़ा बदला गया हो या टॉन्सिल बड़े हो गए हों समय के साथ उनके गले में बढ़ी हुई वसा उनकी तकलीफ को भी बढ़ा देती है।
नई स्टडी के अनुसार फैट बढ़ जाने से जीभ मोटी हो जाती है, जो स्लीप एपनिया का सबसे आम कारण है। ज्यादा वजन के व्यक्ति के ऊपरी श्वास द्वार को जब एमआरआई स्कैन से जांचा गया तो काफी ज्यादा मात्रा में वसा दिखी। जैसे ही ये लोग वजन कम करते हैं, जीभ का फैट भी कम हो जाता है और इस बीमारी के बिगड़ते लक्षणों से भी आराम मिलने लगता है।
मरीजों पर की गई शोध के रिजल्ट
शोध के दौरान पता चला कि स्लीप एपनिया के मरीजों की जीभ अपेक्षाकृत ज्यादा बड़ी होती है। ये मरीज ज्यादातर बढ़ते वजन की बीमारी से परेशान थे। बाद में ये भी पता चला कि व्यायाम से वजन घटा और जबड़े का फैट कम होने से श्वास द्वार बड़ा हुआ, जिससे स्लीप एपनिया के बुरे लक्षणों से आराम मिला।
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