लंग कैंसर क्या होता है?
जब कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़कर एक ट्यूमर बना देती हैं, इसे कैंसर कहा जाता है। जब इसकी शुरुआत फेड़ों की कोशिकाओं में होती है, इसे फेफड़ों का कैंसर या लंग कैंसर कहा जाता है।
अधिकतर मामलों में फेफड़े के कैंसर का प्रमुख कारण सिगरेट पीना पाया गया है। हालांकि, आजकल लंग कैंसर उन लोगों में भी देखा जा रहा है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है।
फेफड़ों के कैंसर के कोई विशिष्ट शुरुआती लक्षण नहीं होते हैं। हालांकि, लंग कैंसर का सबसे सामान्य लक्षण खांसी है, जो धीरे धीरे गंभीर होती जाती है और ठीक नहीं होती है।
फेफड़ों के कैंसर के उपचार के विकल्पों में सर्जरी, कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा शामिल हैं। लंग कैंसर के प्रकार, स्टेज और अन्य कारकों के आधार पर डॉक्टर सही ट्रीटमेंट का निर्णय लेते हैं।
भारत में लंग कैंसर
फेफड़ों का कैंसर होना दुनियाभर में अब बहुत ही आम हो गया है और कैंसर से होने वाली मौतों का एक बड़ा कारण है। कैंसर के सभी नए मामलों में से 13 प्रतिशत और कैंसर से संबंधित 19 प्रतिशत मृत्यु के लिए फेफड़े का कैंसर ज़िम्मेदार है।
GLOBOCAN 2012 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सभी आयु और दोनों लिंगों में फेफड़ों के कैंसर की अनुमानित घटनायें 70,275 थीं। घटना दर के संदर्भ में ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और मुंह के कैंसर के बाद फेफड़ों का कैंसर, विभिन्न प्रकार के कैंसर (नॉन-मोलेनोमा स्किन कैंसर को छोड़कर) के बीच चौथे स्थान पर था। कैंसर की घटना के मामले में पुरुषों में लंग कैंसर दूसरे स्थान पर था, जबकि महिलाओं में छठे स्थान पर था।
एक दशक पहले तक, सभी फेफड़ों के कैंसर के रोगियों में से 10% से कम धूम्रपान नहीं करते थे। यह प्रतिशत अब बढ़कर लगभग 20% तक चला गया है, जो काफी अधिक है। प्रदूषण का बढ़ता हुआ स्तर इसका एक कारण हो सकता है।
भारत में फेफड़े के कैंसर होने पर जीवित रहने का दर क्या है?
यह कैंसर धीरे धीरे व्यक्ति की जान ले लेता है, इसलिए इसे 'साइलेंट किलर' कहा जाता है। इसका मुख्य कारण धूम्रपान है। प्रारंभिक स्तर पर ही इस रोग का निदान करने से व्यक्ति के जीवित रहने की संभावना बढ़ सकती है।
केवल 15% फेफड़े के कैंसर का शुरुआती स्तर पर निदान किया जाता है, जहां 5 साल की जीवित रहने की दर लगभग 54% है। फेफड़े के कैंसर के लगभग 70% रोगी शुरुआती चरण में किये गए निदान के बाद कम से कम एक वर्ष तक जीवित रह सकते हैं। ट्यूमर के अन्य अंगों में फैल जाने पर अर्थात उच्च चरण / चरण चार में पांच साल जीवित रहने का दर घटकर केवल 4 प्रतिशत रह जाता है।