स्मॉल सेल लंग कैंसर क्या है?
जब हमारे फेफड़ों में मौजूद कोशिकाओं में अनियंत्रित या असामान्य वृद्धि होने लगती है तो इसे ही फेफड़ों का कैंसर कहा जाता है। फेफड़ों के कैंसर को मुख्य रूप से दो वर्गों में बांटा जा सकता है- स्मॉल सेल लंग कैंसर (एससीएलसी) और नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (एनएससीएलसी)।
स्मॉल सेल लंग कैंसर बहुत ज्यादा कॉमन नहीं है। फेफड़ों के कैंसर के करीब 10 से 15 प्रतिशत मरीजों में यह डायग्नोज होता है। इन दोनों ही तरह के फेफड़ों के कैंसर के लक्षण करीब-करीब एक जैसे ही होते हैं लेकिन अंतर सिर्फ इतना है कि स्मॉल सेल लंग कैंसर, नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर की तुलना में ज्यादा आक्रामकता के साथ फैलता है। इसका नतीजा ये होता है कि बीमारी की डायग्नोसिस ज्यादातर मामलों में तभी हो पाती है जब कैंसर कोशिकाएं शरीर के बाकी हिस्सों में भी फैल चुकी होती हैं और मरीज की रिकवरी की संभावना नाजुक हो जाती है।
स्मॉल सेल लंग कैंसर के प्रकार कौन से हैं?
माइक्रोस्कोप के जरिए देखने पर कोशिकाएं कैसी दिखती हैं इसके आधार पर स्मॉल सेल लंग कैंसर मुख्य रूप से 2 प्रकार का होता है। वे हैं:
- स्मॉल सेल कार्सिनोमा (ओट सेल कैंसर)
- कम्बाइन्ड स्मॉल-सेल कार्सिनोमा
स्मॉल सेल लंग कैंसर के लक्षण क्या हैं?
ऐसे कई संकेत हैं जो स्मॉल सेल लंग कैंसर के खतरे की ओर इशारा करते हैं:
- सांस लेने में दिक्कत महसूस होना
- खांसी जो ठीक न हो या फिर खांसते वक्त मुंह से खून आए (कम मात्रा में भी)
- लंबे समय तक बना रहने वाला सिरदर्द
- अनजाने में वजन का कम होना
- अचानक भूख में कमी आना, यदि आप किसी दवाई का सेवन न कर रहे हों
- लगातार सीने में दर्द होता रहे जो गहरी सांस लेने पर और ज्यादा बढ़ जाए
- बिना किसी कारण के थकान महसूस हो, नींद की कमी
- चेहरे और हाथ में सूजन
- आवाज में बदलाव
- गर्दन में दर्द, कंधे में दर्द, पीठ और कमर में दर्द और पैरों में कमजोरी महसूस होना
स्मॉल सेल लंग कैंसर के जोखिम कारक क्या हैं?
मेडिकल रिसर्च के मुताबिक,
- स्मॉल सेल लंग कैंसर के करीब 95 प्रतिशत मरीज ऐसे होते हैं जिनमें कभी न कभी धूम्रपान की लत रही होती है। वे लोग जो खुद धूम्रपान न करते हों लेकिन इसके धुएं के संपर्क में लगातार बने रहते हैं- यह भी बहुत ज्यादा खतरनाक है।
- जिन इलाकों में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर हो वहां पर रहना भी स्मॉल सेल लंग कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
- रेडॉन गैस या कई और प्रकार के केमिकल जैसे- ऐस्बेस्टॉस, आर्सेनिक, निकेल, क्रोमियम आदि के संपर्क में कभी कोई व्यक्ति रहा हो तो उनमें भी एससीएलसी होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।
- इसके अतिरिक्त बढ़ती उम्र और परिवार में फेफड़ों के कैंसर का इतिहास भी अपने आप ही स्मॉल सेल लंग कैंसर के जोखिम कारक को बढ़ाने का काम करता है।
स्मॉल सेल लंग कैंसर के कौन-कौन से स्टेज या चरण हैं?
कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि और फैलाव के आधार पर एससीएलसी को 2 चरणों में विभाजित किया जा सकता है:
- स्टेज 1: सीमित चरण फेफड़ों का कैंसर। इस सीमित स्टेज में कैंसर, छाती के किसी एक तरफ ही सीमित रहता है। इस दौरान मरीज को लसीका (लिम्फ) में दर्द महसूस हो सकता है क्योंकि इस चरण में लसीका पर्व प्रभावित हो सकते हैं।
- स्टेज 2: स्मॉल सेल लंग कैंसर, अगर बाद के चरण में डायग्नोज होता है तो इस स्टेज को एक्सटेन्सिव स्टेज यानी विस्तृत चरण फेफड़ों का कैंसर कहते हैं। इस विस्तृत चरण में ट्यूमर मास बहुत बड़ा होता है और यह छाती के साथ ही शरीर के अन्य हिस्सों तक भी फैल जाता है जिससे शरीर की कई क्रियाएं प्रभावित होती हैं। इस चरण में, मरीज की रिकवरी बेहद मुश्किल हो जाती है।
स्मॉल सेल लंग कैंसर का इलाज कैसे होता है?
स्मॉल सेल लंग कैंसर या एससीएलसी के इलाज का सबसे कॉमन तरीका कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी है। ज्यादातर मामलों में, सर्जरी स्मॉल सेल लंग कैंसर के इलाज का विकल्प नहीं होती है। लिहाजा किसी भी तरह के संकेत या लक्षण जो मरीज को परेशान कर रहे हों उसके मद्देनजर हमें बेहतर सर्तक रहने की जरूरत है। जैसे ही कोई संकेत दिखे तुरंत अपने डॉक्टर या फिजिशियन से संपर्क करें।
फेफड़ों के कैंसर की श्रृंखला में यह पहला आर्टिकल है। इस पूरे महीने के दौरान हम कई आर्टिकल्स लेकर आएंगे जिनमें फेफड़ों के कैंसर के बारे में अनजाने लेकिन महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बताया जाएगा। फेफड़ों का कैंसर- दुनियाभर में कैंसर के कारण होने वाली मौतों का सबसे आम कारण है।