नवंबर के महीने को दुनियाभर में 'लंग कैंसर अवेयरनेस मंथ' के रूप में मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को फेफड़ों में होने वाले कैंसर के प्रति जागरूक करना है। शोध के अनुसार लंग कैंसर दुनिया भर में दूसरा सबसे अधिक होने वाला कैंसर है और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर भी अधिक है। इसीलिए विश्व स्तर पर ‘लंग कैंसर अवेयरनेस मंथ’ एक महत्वपूर्ण पहल है।
2013 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के शोधकर्ताओं ने कई अध्ययन करके यह निष्कर्ष निकाला कि हवा में मौजूद कण लंग कैंसर का कारण हो सकते हैं। इसी वर्ष, चीन में एक 8 वर्षीय लड़की में लंग कैंसर का पता चला था, जो चीन में सबसे कम उम्र की लंग कैंसर की पेशेंट थी। डॉक्टरों का मानना था कि उस छोटी बच्ची को वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों का कैंसर हुआ था। डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया के कुछ देशों में वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा बहुत अधिक बढ गया है। इन देशों में मुख्य रूप से कम व मध्यम आय वाले देश शामिल हैं।
हवा के जरिए कैसे होता है फेफड़ों का कैंसर:
2013 में, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) ने पुष्टि की थी कि बाहरी वायु प्रदूषण कैंसर का एक कारण है। प्रदूषित वायु और धूल में मौजूद सबसे सूक्ष्म कणों को पीएम 10 और पीएम 2.5 के नाम से जाना जाता है, जो लंग कैंसर की स्थिति से संबंधित होते हैं। हालांकि अभी तक इस बारे में स्पष्ट रूप से यह नहीं समझा गया है कि कैसे ये सूक्ष्म कण कोशिकाओं में डीएनए को क्षति पहुंचा सकते हैं और कैंसर का कारण बनते हैं।
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कैसे बचें फेफड़ों में कैंसर के जोखिम से:
वायु प्रदूषण से बचने के लिए आप निम्न तरीकों को अपनाएं:
- घर में इनडोर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
- घर में एयर फ्रेशनर और मोमबत्तियों का इस्तेमाल न करें।
- एयर कंडीशनर और हीटर को साफ करते रहें।
- चादर और खिलौनों की नियमित सफाई करें ताकि उन पर जमी धूल से नुकसान न पहुंचे।
- अगर अच्छी हवा चल रही है तो खिड़कियां खोल दें ताकि घर में भी हवा आ सके।
- प्रदूषण का स्तर अधिक होने पर बाहर व्यायाम करने से बचें।
- गर्मी में वायु प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा होता है इसलिए जरूरी काम करने के लिए सुबह जल्दी या देर शाम को ही निकलने की कोशिश करें।
- ऑफिस या घर जाने के लिए बाइक या कार पूल (किसी के साथ शेयर करना) करें।
- ट्रैफिक वाली जगहों पर जाने से बचें।
- अगर आप किसी ऐसी जगह पर हैं जहां प्रदूषण से बचना मुश्किल है तो अपने मुंह और नाक पर रूमाल या कपड़ा लगाकर चलें। इससे प्रदूषित धुएं और गैस को शरीर के अंदर पहुंचने से रोकने में मदद मिलती है।
- एंटीऑक्सीडेंट युक्त चीजें जैसे कि फल और सब्जियां खाएं। इससे भी वायु प्रदूषण के कारण फ्री रेडिकल्स से शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव से बचने में मदद मिल सकती है।
- जितना हो सके अपने घर को वायु प्रदूषण से दूर रखें।
- लकड़ी या कचरा न जलाएं।
- घर के अंदर धूम्रपान न करें और सभी सार्वजनिक स्थानों को तंबाकू मुक्त बनाने में सहयोग दें।
अब तो आप जान गए न कि किस तरह प्रदूषित हवा में सांस लेने से आप अपने फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऊपर बताई गई बातों का ध्यान रखकर आप इस मुश्किल परिस्थिति से बच सकते हैं।
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