जी हां, ऐसा हो सकता है। अधिकतर मामलों में फेफड़ों के कैंसर का पता तब तक नहीं चलता जब तक कि यह शरीर में फैल नहीं जाता, जबकि कुछ लोगों को लंग कैंसर के कुछ शुरुआती लक्षण दिखाई देते हैं जैसे सीने में दर्द, खांसी और सांस लेने में तकलीफ होना। इन लक्षणों के दिखाई देने के बाद आप इसकी जांच के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं, तो तब यह पहली स्टेज पर हो सकता है और इस स्थिति में इसका इलाज काफी प्रभावी होता है।
जी हां, फेफड़ों के कैंसर की वजह से व्यक्ति की जान जा सकती है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि लंग कैंसर कौन-सी स्टेज पर है। अगर लंग कैंसर पहली स्टेज पर होता है, तो इसका मतलब है कि सिर्फ एक फेफड़े में ट्यूमर पाया गया है, लिम्फ नोड्स में नहीं। दूसरी स्टेज पर कैंसर संक्रमित फेफड़ों के आसपास मौजूद लिम्फ नोड्स में फैल जाता है। तीसरी स्टेज पर संक्रमित फेफड़े की तरफ स्थित श्वास नली और दूसरे फेफड़े या गर्दन में मौजूद लिम्फ नोड्स में फैल जाता है। चौथी स्टेज जो कि सबसे घातक होती है, इसमें कैंसर पूरे शरीर और फेफड़ों के अन्य भागों में फैल जाता है।
इस स्टेज पर इसे ठीक नहीं किया जा सकता। चौथी स्टेज के लंग कैंसर में मरीज के लक्षणों को कम करने के लिए दवा दी जाती है, ताकि वह लंबे समय तक जी सके। अभी आपको दूसरे स्टेज का लंग कैंसर है, जिसका इलाज कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और दवा की मदद से किया जा सकता है। आप नियमित रूप से डॉक्टर से सलाह लेते रहें।
डाना-फार्बर कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, फेफड़े के कैंसर से ग्रस्त लगभग 25 प्रतिशत लोगों को पीठ में दर्द की समस्या रहती है। जब लोग इसके लिए चेकअप करवाने जाते हैं, तो सबसे पहले उन्हें पीठ में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। पीठ में दर्द फेफड़े के कैंसर या किसी बीमारी के फैलने का संकेत हो सकता है।
जी हां, फेफड़ों का कैंसर बहुत ही जानलेवा है। महिला और पुरुष दोनों में सबसे ज्यादा होने वाला आम कैंसर 'फेफड़ों का कैंसर' है। कैंसर का पता लगने के बाद भी आधे से ज्यादा लोगों की मौत लंग कैंसर की वजह से हो जाती है। ग्लोबोकान (GLOBOCAN) 2012 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सभी आयु और दोनों लिंगों में फेफड़ों के कैंसर की अनुमानित घटनाएं 70,275 थीं।
जी हां, लंग कैंसर से ग्रस्त मरीज के वजन में कमी आ सकती है, ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि कैंसर से लड़ने के लिए शरीर साइटोकिन्स नामक पदार्थ का उत्पादन करता है। इस पदार्थ की वजह से वजन घटना, मांसपेशियों को नुकसान पहुंचना और भूख कम लगने जैसी समस्या हो सकती है। इसी के साथ वजन कम होने का एक अन्य कारण कैंसर का इलाज भी है। लंग कैंसर के इलाज में रेडिएशन और कीमोथेरेपी की वजह से भूख में कमी आ सकती है।
नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के अनुसार, लंग कैंसर के लक्षण बढ़ने की वजह से इससे ग्रस्त मरीज की स्थित खराब हो सकती है। जब स्थिति और खराब होती जाती है, तो सांस लेने में दिक्कत, वजन घटना और चक्कर आने जैसी समस्या हो सकती है।
फेफड़ों के कैंसर से स्वरयंत्र तंत्रिका भी प्रभावित होती है। लंग कैंसर स्वरतंत्र को प्रभावित करता है जिसकी वजह से गला बैठ सकता है और आवाज में भी बदलाव आ सकता है। गला बैठना कई तरह की स्थितियों का एक सामान्य लक्षण है जो कि सबसे आम लेरिन्जाइटिस की समस्या में होता है। लेरिन्जाइटिस स्वर यन्त्र (वॉइस बॉक्स) में होने वाली सूजन है, जो इसके अत्यधिक प्रयोग या संक्रमण के कारण होती है। लैरिंक्स के अंदर स्वर तंत्रियां होती हैं, जिनके खुलने व बंद होने से उत्पन्न होने वाली कंपन ध्वनि बनती है। लेरिन्जाइटिस में आपकी स्वर तंत्रियों में सूजन हो जाती है, जिसके कारण आवाज में परिवर्तन आता है। कई बार तो आवाज को पहचानना भी लगभग मुश्किल हो जाता है। लंग कैंसर की वजह से लेरिन्जाइटिस भी हो सकता है, लेकिन एक बार फिर भी आप अपने पिता जी को डॉक्टर से सलाह लेने के लिए कहें।