एसिडिटी (पेट में जलन) - Acidity in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

July 10, 2017

January 24, 2024

एसिडिटी
एसिडिटी

एसिडिटी (पेट में जलन​) क्या है?

एसिडिटी या पेट में जलन महसूस होना एक सामान्य समस्या है, जो मुख्य रूप से छाती या सीने में जलन पैदा करती है। आम तौर से ये जलन छाती के निचले हिस्से के आस-पास महसूस होती है। पेट के अम्लीय पदार्थों का खाने की नली (ग्रासनली या इसोफेगस) में आ जाना एसिडिटी का मुख्य कारण होता है। 

पेट में "हाइड्रोक्लोरिक एसिड" नामक अम्ल होता है। यह अम्ल भोजन को टुकड़ों में तोड़ता है, और बैक्टीरिया जैसे रोगजनकों से बचाता है। पेट की अंदरूनी परत शक्तिशाली होती है, जो हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के प्रति अनुकूलित होती है, मगर इसोफेगस की परतें इस अम्ल के प्रति अनुकूलित नहीं होती इसलिए उसमें जलन महसूस होने लग जाती है।

बार-बार होने वाली एसिडिटी की समस्या को गर्ड (एसिड भाटा रोग) कहा जाता है।

एसिडिटी क्या खाने से होती है?

जब आप खाना निगलते हैं तो आपके एसोफैगस (निचला एसोफेजल स्फिंक्टर) के नीचे मांसपेशियों का एक हिस्सा ढीला पड़ता है ताकि खाना और तरल पदार्थ आपके पेट में जा सके. खाना खाने के बाद ये मांसपेशी फिर से टाइट हो जाती है.

एसिडिटी तब होती है जब पेट का एसिड वापस ग्रासनली में आ जाता है.

एसिडिटी (पेट में जलन) के लक्षण - Acidity (Pet me jalan) Symptoms in Hindi

एसिडिटी के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं -

  • सीने में जलन – यह ग्रासनली में एक जलन जैसी महसूस होती है। लेटने और झुकने पर यह और बद्तर हो जाती है। यह कुछ घंटों तक लगातार हो सकती है, और भोजन करने के बाद बढ़ जाती है।
  • सीने में जलन का दर्द गर्दन या गले के अंदर तक भी महसूस होने लग सकता है। कई बार पेट का अम्लीय द्रव गले तक भी वापस आ जाता है, जिससे जलन के साथ-साथ मुंह और गले का स्वाद भी बिगड़ जाता है।
  • अत्याधिक डकार आना और मुंह का स्वाद कड़वा होना। 
  • मतली या उलटी
  • पेट फूलना।
  • लगातार सूखी खांसी आना।
  • घरघराहट।
  • गले की समस्याएं जैसे कि गले में खराश होना, या आवाज़ भारी होना। 
  • गले में लंबे समय से दर्द।
  • निगलने में कठिनाई या दर्द।
  • छाती या ऊपरी पेट में दर्द
  • पेट के एसिड के कारण दातों की परत को नुकसान हो सकता है।
  • सांसों में बदबू
  • काला मल या मल में खून।
  • लगातार हिचकी आना।
  • बिना किसी कारण के वजन घटना।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

निम्न परिस्थियां होने पर डॉक्टर के पास जाना चाहिए -

  • अगर एसिडिटी या पेट में जलन की समस्या अधिक गंभीर और बार-बार होने लगी है।
  • निगलने में कठिनाई या दर्द महसूस होना, खासकर ठोस भोजन या गोलियां आदि निगलने में।
  • अगर आपका वजन तेजी से घट रहा हो जिसके कारण का पता ना हो।
  • अगर आपको काफीसमय से खांसी है, या गले में घुटन जैसा महसूस होता है।
  • अगर आप 2 हफ्तों से भी ज्यादा समय से एंटी-एसिड दवाएं ले रहे हैं, लेकिन एसिडिटी की समस्या अभी भी बनी हुई है।
  • अगर आपका स्वर बैठ गया है, घरघराहट महसूस हो रही है या आपका अस्थमा और गंभीर हो गया है तो डॉक्टर को दिखाएं।
  • अगर आपकी बेचैनी आपकी रोजाना की जीवनशैली और गतिविधियों में बाधा डालने लगी है।
  • अगर आपको छाती में दर्द के साथ-साथ गर्दन, जबड़े, टागों या बाजू आदि में दर्द महसूस हो रहा है।
  • दर्द के साथ-साथ अगर आपको सांस लेने में कठिनाई, कमजोरी, नाड़ी अनियमित होना या पसीना आने से समस्याएं हैं।
  • अगर आपको अत्याधिक पेट में दर्द है।
  • अगर आपको दस्त की समस्या है, या काले रंग का मल आता है, या मल में खून आता है।

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पेट में जलन (एसिडिटी) के कारण - Acidity Causes in Hindi

एसिडिटी (पेट में जलन) क्यों होती है?

  • हर किसी को कभी ना कभी एसिडिटी का समस्या होती ही है। आम तौर से ये खान-पान से जुड़ी होती है। 
  • गर्भावस्था में भी एसिड रिफ्लक्स हो जाता है, क्योंकि इस दौरान अंदरूनी अंगों पर अतिरिक्त दबाव पड़ने लग जाता है। गर्भावस्था में अधिक खाने की वजह से भी एसिडिटी हो सकती है। (और पढ़ें - गर्भावस्था में एसिडिटी)
  • अधिक तले हुऐ खाद्य पदार्थ भी एसिडिटी का कारण बन सकते हैं।
  • ज़्यादा तला हुआ खाना खाने से भी पेट की समस्या हो सकती है। तला हुआ खाना पचने में ज्यादा समय लगाता है और पेट में अधिक देर तक रहता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वसा भोजन को आंतों तक जाने की गति को धीमा कर देती है। इससे पेट में अम्ल बनने लगता है और एसिडिटी हो जाती है।

अन्य जोखिम कारक जिनमें शामिल हैं:

  • मोटापा
  • धूम्रपान (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के सरल तरीके)
  • दूसरे व्यक्ति द्वारा किया गए धूम्रपान के संपर्क में आना
  • नमक का अत्याधिक सेवन।
  • फाइबर युक्त आहार का कम सेवन।
  • शारीरिक व्यायाम में कमी।
  • कुछ दवाएं, जिनमें मुख्य रूप से अस्थमा, दर्दनिवारक, सेडेटिव और एंटिडिप्रेसेंट्स की दवाएं शामिल हैं।
  • शराब या कैफीन युक्त पेय पदार्थ पीना।
  • ज़रुरत से ज़्यादा भोजन करना, या सोने से तुरंत पहले खाना। ज़्यादा खाने से पेट में अम्ल ज्यादा बनने लगता है और एसिडिटी हो जाती है।

एसिडिटी (पेट में जलन) से बचाव - Prevention of Acidity (pet me jalan) in Hindi

एसिडिटी होने से कैसे रोकें?

कुछ खाद्य पदार्थों और खाने की आदतों में बदलाव लाकर एसिडिटी होने से रोकी जा सकती है।

एसिडिटी (पेट में जलन) रोकने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं -

  • अधिक से अधिक फल और सब्जियों का सेवन करनें (जो अम्लीय नही होते)
  • एक बार खाने की बजाए, थोड़ा थोड़ा भोजन कई बार कर लेना।
  • रात को सोने से करीब 1 से 2 पहले भोजन करना।
  • शरीर का स्वस्थ वजन बनाए रखना।
  • व्यायाम करना। (और पढ़ें - एक्सरसाइज के फायदे)
  • एक दिन में करीब 3 लीटर से ज्यादा पानी पीना। (और पढ़ें - कितना पानी पीना चाहिए)
  • खाना खाने से 30 मिनट पहले और खाना खाने के 1 घंटे बाद तक पानी ना पीना।
  • टाइट बेल्ट व कपड़े नहीं पहनने चाहिए।

एसिडिटी का परीक्षण - Diagnosis of Acidity in Hindi

एसिडिटी का निदान कैसे किया जाता है?

आम तौर पर जीवन शैली में बदलाव और एसिडिटी की दवाएं देने के बाद सीने में जलन के लक्षणों में किसी प्रकार का सुधार ना होता देखकर इसका निदान हो जाता है।

एसिडिटी और सीने में जलन सामान्य समस्या है और इनका निदान करना भी काफी आसान होता है। हालांकि कई बार इनके कारण निमोनियादिल का दौरा और अन्य छाती संबंधी समस्याओं का भ्रम भी हो सकता है।

निम्न प्रकार की जांच करने की आवश्यकता हो सकती है:

  • एंडोस्कोपी – विशेष प्रकार के कैमरा से तस्वीरें लेना।
  • बायोप्सी – लेबोरेट्री में जांच के लिए ऊतक का सेंपल लेना। 
  • बेरियम एक्स-रे – इसमें पहले मरीज को एक विशेष प्रकार का चुनायुक्त तरल पिलाया जाता है, और उसके बाद मरीज के इमेंजिंग टेस्ट लिए जाते हैं, उस विशेष चुना की मदद से अंदरूनी अंगों की तस्वीरें साफ आती हैं।
  • इसोफेजियल मेनोमेट्री – इसमें इसोफेगस के दबाव को मापा जाता है।
  • इंपीडेंस मोनिटरींग – इसमें इसोफेगस में अम्ल की गति दर का माप लिया जाता है।
  • पीएच मॉनिटरींग – पेट की सामग्री में अम्ल के स्तर की जांच करना।

एसिडिटी (पेट में जलन) का उपचार - Acidity Treatment in Hindi

एसिडिटी का इलाज क्या है?

पेट में जलन या एसिडिटी के उपचार में अक्सर जीवनशैली में बदलाव, दवाएं और बहुत ही कम मामलों में सर्जरी करने की आवश्यकता पड़ती है। इसके उपचार का मुख्य लक्ष्य लक्षणों को कम करना, जीवन की गुणवत्ता को सुधारना, इसोफेगस को ठीक करना और किसी भी प्रकार की जटिलताओं से बचाव करना।

दवाएं –

  • साधारण एंटी-एसिड – यह दवाएं हर केमिस्ट के यहाँ मिलती हैं। ये दवाएं कभी-कभी होने वाली एसिडिटी की समस्या को नियंत्रित करने के लिए काफी होती हैं। ये दवाएं आपके पेट द्वारा बनाए गए अम्ल को बेअसर करने का काम करती हैं।
  • अम्ल कम करने वाली दवाएं – आपके पेट में बन रहे अम्ल की मात्रा में कमी करने के लिए मुख्य रूप से दो प्रकार की दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। ये दवाएं लक्षणों को कम करती हैं, और इसोफेगस में हुई क्षति को ठीक कर देती हैं। इन दवाओं में प्रोटोन पंप इनहिबिटर (Proton pump inhibitors), हिस्टामिन-2 रिसेप्टर एंटागोनिस्ट (Histamine-2 receptor antagonists) शामिल हैं।
  • पोर्किनेटिक एजेंट्स (Prokinetic agents) – ये दवाएं इसोफेगस और पेट को खाली कर देते हैं, जिससे नली में रिफ्लक्स होने के लिए उनमें कुछ नहीं बच पाता।
  • म्यूकोसल प्रोटेक्टिव एंजेंट्स (Mucosal protective agents) – इन दवाओं का प्रयोग इसोफेगस में एक सुरक्षात्मक परत बनाने के लिए किया जाता है, जिससे अम्ल इसोफेगस में जलन उत्पन्न नहीं कर पाता है।

सर्जरी –

कुछ परिस्थियों में सर्जरी का भी विकल्प हो सकता है, जैसे:

  • अगर उपरोक्त उपचारों से किसी प्रकार की मदद ना मिले, या उनके कारण कोई साइड इफेक्ट होनें लगें।
  • अगर आप लंबे समय तक दवाएं नहीं लेना चाहते तो सर्जरी विकल्प हो सकता है।

सर्जरी द्वारा इसोफेगस के निचले स्फिंक्टर (वॉल्व) के बंद होने के दबाव को बढ़ाया जाता है, जिससे अम्लीय प्रतिवाह की रोकथाम हो जाती है।  निगलने आदि में कठिनाई होने पर भी सर्जरी की आवश्यक्ता पड़ सकती है।

जीवनशैली में बदलाव –

आहार और पोषण के साथ एसिडिटी के लक्षणों को नियंत्रित करने के अलावा, आप जीवन शैली में कुछ बदलाव करके भी इसके लक्षणों को मैनेज कर सकते हैं:

  • अम्ल उत्पादन में कमी करने के लिए एंटीएसिड्स व अन्य प्रकार की दवाएं लेना।
  • चुईंगम चबाना (लेकिन वह पेपरमिंट फ्लेवर वाली नहीं होनी चाहिए)
  • खाना खाने के करीब 2 घंटे बाद तक लेटे नहीं।
  • बिस्तर पर जाने से 3-4 घंटे पहले खाना खा लें।
  • ज़रुरत से अधिक मात्रा में भोजन ना करें।
  • एक बार में पेट भरकर खाने की बजाए थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कई बार खा लेना एसिडिटी के लक्षणों को कम करने का एक अच्छा तरीका है।
  • सोते समय अपने सिर की तरफ को पैरो की तुलना में उंचाई पर रखनें से एसिडिटी के लक्षणों में कमी की जा सकती है।

एसिडिटी से क्या प्रॉब्लम होती है?

एसिडिटी होने पर सामान्य परेशानियां हो सकती हैं जैसे-

  • पेट में जलन, दर्द या बेचैनी जो आपके पेट से लेकर छाती तक या आपके गले तक भी जा सकती है.
  • रिगर्जिटेशन - एक खट्टा या कड़वा स्वाद वाला एसिड जो आपके गले या मुंह में जमा हो जाता है.

इसके अलावा भी एसिडिटी से कई परेशानियां हो सकती हैं, जैसे -;

  • सूजन
  • खूनी या काला मल या खूनी उल्टी
  • बर्पिंग
  • डिस्फेगिया - आपके गले में खाने के फंसने की अनुभूति
  • हिचकियां जो लगातार आती हैं 
  • जी मचलना
  • बिना किसी कारण के वजन कम होना
  • घरघराहट, सूखी खांसी, स्वर बैठना या पुराने गले में खराश

एसिडिटी में कौन सी दवा लेनी चाहिए?

एसिडिटी की परेशानी को दूर करने के लिए कई दवाई केमिस्ट के पास बिना डॉक्टर की पर्ची के मिल सकती हैं जैसे-

  • एंटासिड्स - यह दवा पेट में बन रहे एसिड को बेअसर करके पेट को आराम पहुंचाती है, लेकिन यह दवा पेट के एसिड से अन्नप्रणाली को पहुंचे नुकसान को ठीक नहीं कर सकती है.
  • एच-2 रेसेप्टर एंटागोनिस्ट्स- यह पेट के एसिड को कम करने में मदद करती है, हालांकि यह एंटासिड्स की तरह तुरंत काम नहीं करती है. लेकिन पेट को राहत पहुंचाने में काफी कारगर साबित होती है.
  • प्रोटॉन पंप अवरोधक, जैसे लैंसोप्राजोल और ओमेप्राजोल, जिससे पेट के एसिड को कम करने में मदद मिलती है.

अगर आपको ओवर द काउंटर (बिना डॉक्टर की पर्ची के दवाई मिलना) दवाइयों से एसिडिटी में आराम नहीं मिल रहा है तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है.

एसिडिटी का परमानेंट इलाज क्या है? एसिडिटी को जड़ से खत्म कैसे करें ?

एसिडिटी से छुटकारा पाने के लिए कुछ सुझाव दिए गए है, जिनमें शामिल हैं-

  • ढीले कपड़े पहनना
  • सीधे खड़े होना
  • अपने ऊपरी शरीर को ऊपर उठाना
  • बेकिंग सोडा को पानी में मिलाकर पीना
  • अदरक भी काफी फायदेमंद हो सकता है
  • लीकोरिस की खुराक लेना
  • सेब का सिरका पीना
  • एसिड को पतला करने में मदद करने के लिए च्युइंग गम चबाना
  • सिगरेट और उसके धुएं से दूर रहना
  • ओवर-द-काउंटर दवाएं ले सकते हैं


संदर्भ

  1. National Health Service [Internet]. UK; Heartburn and acid reflux.
  2. National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases [internet]: US Department of Health and Human Services; Acid Reflux (GER & GERD) in Adults.
  3. Frederik Hvid-Jensen, Rikke B Nielsen, Lars Pedersen, Peter Funch-Jensen, Asbjørn Mohr Drewes, Finn B Larsen, Reimar W Thomsen. Lifestyle factors among proton pump inhibitor users and nonusers: a cross-sectional study in a population-based setting. Clin Epidemiol. 2013; 5: 493–499.PMID: 24348070
  4. Lauren B. Gerson. Treatment of Gastroesophageal Reflux Disease During Pregnancy. Gastroenterol Hepatol (N Y). 2012 Nov; 8(11): 763–764.
  5. Health Harvard Publishing, Published: April, 2011. Harvard Medical School [Internet]. Proton-pump inhibitors. Harvard University, Cambridge, Massachusetts.

एसिडिटी (पेट में जलन) के डॉक्टर

Dr.Vasanth Dr.Vasanth सामान्य चिकित्सा
2 वर्षों का अनुभव
Dr. Khushboo Mishra. Dr. Khushboo Mishra. सामान्य चिकित्सा
7 वर्षों का अनुभव
Dr. Gowtham Dr. Gowtham सामान्य चिकित्सा
1 वर्षों का अनुभव
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एसिडिटी (पेट में जलन) की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Acidity in Hindi

एसिडिटी (पेट में जलन) के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

एसिडिटी (पेट में जलन) पर आम सवालों के जवाब

सवाल लगभग 5 साल पहले

मुझे रोज एसिडिटी की प्रॉब्लम होती है। हालांकि, मैं इसके लिए कई तरह दवाईयां भी लेता हूं लेकिन फिर भी मुझे यह समस्या रहती है। मुझे क्या करना चाहिए?

Dr. Rahul Poddar MBBS, DNB, MBBS, DNB , सामान्य शल्यचिकित्सा

एसिडिटी से छुटकारा पाने के लिए आपको कुछ चीजों से परहेज करना चाहिए। जब तक आपको यह समस्या है आप पेट में एसिड बनाने वाली चीजें न खाएं । सामान्य तौर पर, यह समस्या वसायुक्त खाना खाने, टमैटो सॉस, शराब, चॉकलेट, पुदीना, लहसुन, प्याज और कैफीन आदि के सेवन से और भी बढ़ सकती है। आप हरी सब्जियां खाएं और रात के समय कम खाना खाएं, ओवरईटिंग से बचें, खाना खाने के तुरंत बाद बिस्तर पर न लेटें, सोने से तकरीबन 3 घंटे पहले ही खाना खा लिया करें।

सवाल लगभग 5 साल पहले

मुझे कुछ महीनों से एसिडिटी की प्रॉब्लम है। मैं बस स्मोकिंग करता हूं, एसिडिटी से छुटकारा पाने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

Dr. Tarun kumar MBBS , अन्य

आपको गैस्ट्रिक प्रॉब्लम है। आपको अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करने की जरूरत है जैसे कि आप समय पर खाना खाएं, खाने में गोभी, शिमला मिर्च, खट्टे फलों को कुछ समय के लिए लेना बंद कर दें, खाना खाते समय पानी न पिएं, लगभग 40 मिनट के बाद और जरूरत के मुताबिक ही पानी पिएं, खाने के तुरंत बाद न लेटें और रात को  8 बजे से पहले ही खाना खा लिया करें। रात को खाना खाने के कम से कम 1 घंटे बाद बिस्तर पर सोने जाएं। हमेशा भूख का 75 फीसदी खाना खाएं। आप अपने 3 टाइम के खाने को 5 से 6 बार में बांट लें और थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाएं। तली-भुनी चीजों को खाने से बचें। इन सभी बातों का ध्यान रखें, आपकी प्रॉब्लम धीरे-धीरे ठीक हो जाएगी।

सवाल लगभग 5 साल पहले

मेरी उम्र 28 साल है और मुझे पिछले 3 महीनों से गंभीर एसिडिटी की प्रॉब्लम हो रही है। अब मेरी स्थिति बहुत गंभीर हो गई है और मैं पूरी तरह से दवाईयों पर निर्भर हूं। इसके लिए मैं टैबलेट Topcid 40, Zantac and Histac लेता हूं। मैं ज्यादा खाता भी नहीं हूं तो फिर इसका क्या कारण हो सकता है? और इसका उपाय क्या है?

Dr Anjum Mujawar MBBS, MBBS , आकस्मिक चिकित्सा

ज्यादा तले, तीखे खाने या अधिक भोजन करने की वजह से पेट में एसिडिटी हो सकती है। दवा लेने के साथ आप अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करके एसिडिटी की प्रॉब्लम से बच सकते हैं। इसके लिए आप खाना समय पर खाया करें, रात को सोने से 2 से 3 घंटे पहले ही खाना खा लिया करें, तीखे पदार्थ, शराब व स्मोकिंग से बचें और पानी ज्यादा से ज्यादा पिएं। अगर इसके बाद भी आपकी प्रॉब्लम ठीक नहीं होती है तो आगे की जांच और ट्रीटमेंट के लिए आप गैस्ट्रोलॉजिस्ट से जाकर मिलें।

सवाल लगभग 5 साल पहले

मुझे पिछले 2 दिनों से एसिडिटी की प्रॉब्लम है। ऐसा लगता है कि खाना ठीक से गले से नीचे नहीं उतर पा रहा है और खाने और पानी पीने पर गले में जलन और सीने में भारीपन सा महसूस होने लगता है। मुझे क्या करना चाहिए?

Dr. Chirag Bhingradiya MBBS , पीडियाट्रिक

यह गैस्ट्राइटिस के साथ गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स सिंड्रोम (गर्ड) का एक लक्षण है। दवाईयों की मदद से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह से आप दवा लेना शुरू कर सकते हैं। आप अपनी डाइट में कॉफी, कोल्ड ड्रिंक्स, चाय, खट्टे पदार्थों आदि चीजों का सेवन न करें।