हाइपरएसिडिटी, जिसे आमतौर पर एसिडिटी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें पेट के अंदर एसिड का अत्यधिक स्राव पेट में जलन और दर्द, भूख न लगना, उल्टी, पेट फूलना और सीने में जलन तथा दर्द जैसे लक्षण पैदा करता है। यदि इस स्थिति को सही तरह से प्रबंधित न किया जाए, तो यह गैस्ट्रिक अल्सर, अपच, वजन बढ़ने, सूजन और दर्द जैसी परेशानियों को जन्म दे सकती है। हाइपरएसिडिटी आमतौर पर कई बाहरी कारकों जैसे - अनुचित आहार, धूम्रपान और शराब आदि के सेवन से होती है। शारीरिक गतिविधियों की कमी, अनियमित खान-पान, तनाव और कुछ दवाओं के लंबे समय तक उपयोग से भी एसिडिटी का खतरा बढ़ जाता है। गर्भावस्था, मोटापा, जीवाणु संक्रमण, उम्र बढ़ना और उपवास भी कई ऐसे कारकों में से हैं जिनकी वजह से हाइपरएसिडिटी हो सकती है।

(और पढ़ें - पेट में जलन होने पर क्या करना चाहिए)

पारंपरिक रूप से, प्रोटॉन पंप इन्हिबिटिंग दवाओं का उपयोग एसिडिटी के इलाज के लिए किया जाता है। हालांकि लंबे समय तक यह दवाईयाँ खाने से कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे कूल्हे और रीढ़ में ऑस्टियोपोरोसिस संबंधी फ्रैक्चर और आंत्र संबंधी तथा अन्य तरह के संक्रमण होना इत्यादि।

वहीं होम्योपैथिक डॉक्टर कई अधिक सुरक्षित और प्रभावी दवाएं प्रदान करते हैं जो एसिडिटी और इससे जुड़े अन्य लक्षणों को ठीक करने में इस्तेमाल की जा सकती है। इनमें से कुछ दवाओं में पल्सेटिला प्रेटेंसिस, सल्फ्यूरिकम एसिडम, अर्जेन्टम नाइट्रिकम, नक्स वोमिका, कैल्केरिया कार्बोनिका, आईरिस वर्सिकलर, कार्बो वेजिटेबिलिस, रोमानिया स्यूडो एकेसिया, एट्रोपिनम, लाइकोपोडियम क्लेवेटम और नैट्रम कार्बोनिकम भी शामिल हैं।

(और पढ़ें - एसिडिटी के घरेलू उपाय)

  1. होम्योपैथी में एसिडिटी का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me Acidity ka upchar kaise hota hai?
  2. एसिडिटी की होम्योपैथिक दवा - Acidity ki homeopathic medicine
  3. होम्योपैथी में एसिडिटी के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Acidity ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
  4. एसिडिटी के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Acidity ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
  5. एसिडिटी के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Acidity ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
एसिडिटी की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

कई होम्योपैथिक दवाईयाँ एसिडिटी और इससे जुड़े कई लक्षण जैसे - सीने में जलन, पेट दर्द, सोने में परेशानी, मतली और उल्टी के लिए भी उपयोगी हैं। होम्योपैथिक दवाओं को इस स्तर तक पतला किया जाता है जहां वे अपने औषधीय गुणों को तो बरकरार रखती हैं लेकिन किसी भी तरह के दुष्प्रभाव का कारण नहीं बनती और सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों में इसका इस्तेमाल करना सुरक्षित माना जाता है।

(और पढ़ें - मतली को रोकने के घरेलू उपाय)

कई क्लिनिकल ​​अध्ययनों में यह साबित हुआ है की होम्योपैथिक दवाईयाँ एसिडिटी और हाइपरसिटी के इलाज के लिए प्रभावशाली और सुरक्षित है। गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी) एक ऐसी बीमारी है जो हाइपरएसिडिक स्थितियों को जन्म दे सकती है। अन्नप्रणाली में पेट के एसिड का प्रवाह मतली, उल्टी, अत्यधिक चिड़चिड़ापन और असामान्य रूप से तनाव जैसे लक्षण पैदा कर सकता है। क्लिनिकल ​​अध्ययनों से पता चला है कि कुछ आहार और जीवन शैली संबंधी बदलाव के साथ होम्योपैथिक दवाईयाँ जीईआरडी के उपचार में मदद कर सकती हैं और इसके कारण होने वाली एसिडिटी को भी ठीक कर सकती है।

(और पढ़ें - तनाव दूर करने के घरेलू उपाय)

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एसिडिटी के लिए निम्नलिखीत होम्योपैथिक दवाएं उपयोग की जा सकती है:

  • पल्सेटिला प्रेटेंसिस (Pulsatilla Pratensis)
    सामान्य नाम:
     विंड फ्लावर (Windflower)
    लक्षण: पल्सेटिला प्रैटेंसिस मुख्य रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जिनकी श्लेष्म झिल्ली प्रभावित हो जाती है, जिससे गाढ़ा डिस्चार्ज (स्राव) होता है। यह कुछ अन्य लक्षणों से भी छुटकारा दिलाती है जैसे कि:

गर्मी, भोजन के बाद, वसायुक्त भोजन का सेवन करने, शाम को, गर्म मौसम, बाईं तरफ या शरीर के दर्द रहित हिस्से की तरफ पैर नीचे करके लेटने पर ये लक्षण बढ़ सकते हैं। ठंडे पेय अथवा भोजन, ठंडे मौसम, खुली और ताजी हवा में यह लक्षण बेहतर होते हैं।

  • सल्फ्यूरिकम एसिडम (Sulphuricum Acidum)
    सामान्य नाम: सल्फ्यूरिक एसिड (Sulphuric acid)
    लक्षण: सल्फ्यूरिकम एसिडम मुख्य रूप से पेट दर्द के इलाज के लिए उपयोगी है और इससे पेट दर्द से जुड़े कई लक्षणों में भी मदद मिल सकती है, जैसे:

    • सीने में जलन
    • खट्टी डकार और उल्टी
    • पेट में ठंडक महसूस होना

सुबह और शाम को गर्मी या ठंड की अधिकता से लक्षण बढ़ सकते हैं, जबकि प्रभावित क्षेत्र की तरफ लेटने और गर्मी से लक्षणों में सुधार होता है।

  • अर्जेन्टम नाइट्रिकम (Argentum Nitricum)
    सामान्य नाम:
    नाइट्रेट ऑफ़ सिल्वर (Nitrate of silver)
    लक्षण: अर्जेन्टम नाइट्रिकम पेट दर्द, जोर से डकार लेना, शरीर के प्रभावित भाग में कंपकंपी और पेट फूलने जैसी समस्याओं के लिए सबसे उपयुक्त है। निम्नलिखित कुछ अन्य लक्षण हैं जिनका उपचार इस दवा के उपयोग से किया जा सकता है:

    • डकार आना, जो कई गैस्ट्रिक रोगों को बढ़ावा देता है
    • मतली और उल्टी
    • जलन और लगातार दर्द होना
    • पेट में अल्सर जो की दर्द का कारण बन सकता है (और पढ़ें - पेट में अल्सर के घरेलू उपाय)
    • पेट की श्लेष्म झिल्ली में सूजन
    • बाईं तरफ पसलियों के नीचे दर्द होना
    • पेट में कंपन वाली सनसनी महसूस होना
    • आमाशय में दर्द जो फैलता है और पूरे पेट में दर्द होने लगता है

भोजन के बाद, मासिक धर्म के दौरान, ठंडे भोजन और मिठाई के सेवन से, रात के दौरान और गर्मी के कारण लक्षण खराब हो सकते हैं। यह लक्षण भावनाओं से भी प्रभावित होते हैं, लेकिन उन्हें ताजी हवा और ठंड के मौसम में सुधारा जा सकता है। डकार लेने से भी इन लक्षणों में सुधार आ सकता है।

  • नक्स वोमिका (Nux Vomica)
    सामान्य नाम:
    पाइजन नट (Poison-nut)
    लक्षण: नक्स वोमिका का उपयोग मुख्य रूप से अपच के इलाज के लिए किया जाता है और यह निम्नलिखित लक्षणों से भी छुटकारा दिला सकती है:

    • सुबह और खाने के बाद मतली आना
    • पेट में भारीपन और दर्द जो भोजन के बाद बिगड़ सकता है
    • पेट फूलना और उल्टी होना
    • कॉफी की खपत के कारण अपच होना
    • खाने के बाद कई घंटों तक पेट फुला रहना (और पढ़ें - पेट में गैस का होम्योपैथिक इलाज)

इसके लक्षण सुबह में बढ़ सकते हैं और शाम को कम हो सकते हैं। मानसिक परिश्रम, भोजन, नशीले पदार्थ, मसालों का सेवन और सूखा तथा ठंडा मौसम इन लक्षणों को बढ़ा सकता है। ये लक्षण नींद पूरी करने के बाद, आराम के दौरान और मानसून के मौसम के दौरान ठीक रहते हैं।

नॉन एरोसिव रिफ्लक्स रोग (गर्ड रोग का एक प्रकार) वाले पुरुष और महिला प्रतिभागियों पर हुए एक क्लिनिकल ​​अध्ययन में एसिडिटी के उपचार में होम्योपैथिक दवाओं को उपयोगी पाया गया। इस अध्ययन में शामिल सभी सदस्य 18 से 60 वर्ष के आयु वर्ग में थे जिन्हे 6 सप्ताह से सीने में जलन और उल्टी की परेशानी थी और 1 सप्ताह में कम से कम 2 बार यह लक्षण दीखते थे। इन प्रतिभागियों को अलग-अलग समूहों में विभाजित किया गया और उनका विभिन्न होम्योपैथिक दवाओं से इलाज किया गया। इनमें नक्स वोमिका, पल्सेटिला निग्रिकेंस, अर्जेन्टम नाइट्रिकम, सल्फ्यूरिकम एसिडम और अन्य दवाइयां शामिल थी। एसिडिटी के कई लक्षणों का इलाज करने में ये दवाएं सफल हुई जैसे कि सीने में जलन, पेट फूलना, डकार आना, उलटी, जी मिचलाना, मतली और पेट भरा हुआ महसूस होना, आदि।

(और पढ़ें - पाचन तंत्र के रोग का इलाज)

  • कैल्केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica)
    सामान्य नाम: कार्बोनेट ऑफ लाइम (Carbonate of lime)
    लक्षण: कैल्केरिया कार्बोनिका सीने में दर्द, मतली और हाइपरएसिडिटी को ठीक करने में मदद कर सकती है। यह निम्नलिखित लक्षणों से राहत देने में भी सहायक है:
    • बार-बार खट्टी डकार आना और उल्टी होना
    • अधिक परिश्रम करने के बाद भूख न लगना
    • सीने में जलन और जोर से दर्द होना
    • पेट में ऐंठन और दर्द, ठंडे पानी के सेवन से ऐंठन गंभीर हो सकती है
    • खाना खाने के बाद इसके लक्षण बढ़ जाना

मानसिक या शारीरिक परिश्रम, ऊंचाई पर चढ़ना, ठंडे तापमान के संपर्क में आना या ठंडे भोजन या पेय का सेवन और खड़े रहना इसके लक्षणों को बढ़ा सकता है। शुष्क जलवायु की परिस्थितियों और प्रभावी हिस्से की तरफ लेटने से स्थिति में सुधार आ सकता है।

(और पढ़ें - पेट में सूजन का आयुर्वेदिक इलाज)

  • आइरिस वर्सिकलर (Iris Versicolor)
    सामान्य नाम: ब्लू फ्लैग (Blue flag)
    लक्षण: आइरिस वर्सिकोलर जठरांत्र संबंधी स्थितियों के उपचार के लिए एक मूल्यवान दवा है। इस दवा का उपयोग करके निम्नलिखित लक्षणों का इलाज किया जाता है:

ये लक्षण शाम को, रात में और आराम करने के बाद बढ़ सकते हैं। लगातार शरीर में हल- चल रहने से इन लक्षणों में सुधार हो सकता है।

  • कार्बो वेजीटेबिलिस (Carbo Vegetabilis​)
    सामान्य नाम: वेजिटेबल चारकोल (Vegetable charcoal)
    लक्षण: कार्बो वेजीटेबिलिस उन व्यक्तियों के लिए सबसे उपयुक्त उपाय है जो पेट और शरीर के कुछ हिस्सों में भारीपन और जलन महसूस करते हैं। यह विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए उपयोग होती है जो अपनी पिछली बीमारी से पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं। इसके उपयोग से निम्नलिखित लक्षणों का इलाज भी किया जाता है:
    • नींद और अत्यधिक डकार आना
    • पेट फूलने के कारण दर्द होना जो लेटने पर बढ़ जाता है
    • खाने या पीने के बाद डकार आना और परेशानी होना
    • पेट में दर्द और जलन जो पेट में गड़बड़ी के कारण छाती तक फैल जाती है
    • सुबह के समय मतली आना
    • पाचन धीमा होना, जिसके कारण, खाद्य पदार्थ शरीर में पाचन और अवशोषण से पहले विघटित हो जाते हैं

शाम और रात में ये लक्षण गंभीर होते हैं। इसके अलावा ये लक्षण ठंड के मौसम में और वसायुक्त भोजन, कॉफी, दूध, शराब या मक्खन के सेवन के बाद भी बढ़ सकते हैं। डकार लेने से बेहतर महसूस हो सकता है।

  • रॉबिनिया स्यूसडाकिया (Robinia Pseudacacia)
    सामान्य नाम:
    येलो लोकस्ट (Yellow locust)
    लक्षण: रॉबिनिया स्यूसडाकिया एसिडिटी और अधिक डकार आने वाले व्यक्तियों के लिए सबसे अच्छे उपचारों में से एक है। यह रात में बढ़ने वाली जलन और पेट दर्द को कम करने में प्रभावी है। बच्चों में एसिडिटी के इलाज के लिए इसका उपयोग करना सुरक्षित है। इसके उपयोग से निम्नलिखित लक्षणों का इलाज भी किया जा सकता है:
    • मतली और खट्टी डकारें
    • उल्टी आना
    • पेट और आंत्र की अत्यधिक सूजन
    • पेट फूलना
       
  • अट्रोपियम (Atropinum) 
    सामान्य नाम:
    एट्रोपिन (Atropine)
    लक्षण: यह उपाय पेट के अल्सर और अग्न्याशय की सूजन के उपचार में उपयोगी है।इसके उपयोग से निम्नलिखित लक्षणों का इलाज भी किया जा सकता है:
    • उल्टी, खासकर कुछ गर्म पीने के बाद
    • नाभि के आसपास दर्द
    • जठरांत्र संबंधी क्षेत्र में सूजन, जो पेट का आखिरी हिस्सा होता है
       
  • लाइकोपोडियम क्लैवाटम (Lycopodium Clavatum)
    सामान्य नाम: क्लब मॉस (Club moss)
    लक्षण: लाइकोपोडियम क्लैवाटम दर्द, गैस और कमजोरी वाले व्यक्तियों के लिए एक अच्छी दवा है। निम्नलिखित कुछ अन्य लक्षण हैं जिनका उपचार लाइकोपोडियम क्लैवाटम के उपयोग से किया जा सकता है:
    • खट्टी डकारें आना और पाचन कमजोर होना
    • खाना खाने के बाद पेट में दबाव महसूस होना
    • हल्के भोजन के बाद भी पेट भर जाने की भावना
    • अधूरी डकार जो घंटों तक गले में रहती हैं, जिससे जलन होती है

लक्षण 4 से 8 बजे के बीच में और गर्म वातावरण में बढ़ सकते हैं और आधी रात को कम हो जाते हैं। शरीर में हल-चल, गर्म भोजन और पेय इन लक्षणों को दूर करने में मदद करते हैं।

  • नैट्रियम कार्बोनिकम (Natrium Carbonicum)
    सामान्य नाम: कार्बोनेट ऑफ सोडियम (Carbonate of sodium)
    लक्षण: इस दवा को मुख्य रूप से कमजोरी और थकावट को दूर करने में उपयोग किया जाता है। इसके उपयोग से निम्नलिखित लक्ष्यों में भी सुधार आ सकता है:

    • कमजोर पाचन शक्ति जिसके कारण पेट में गड़बड़ रहने की शिकायत हो सकती है।
    • कड़वा स्वाद और अत्यधिक डकार आना
    • अपच (और पढ़ें - अपच के घरेलू उपाय)

मौसम में बदलाव, मानसिक तनाव, गर्मी, संगीत और बैठने से यह लक्षण बढ़ सकते हैं और चलने-फिरने से इन लक्षणों में सुधार हो सकता है।

(और पढ़ें - एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज)

होम्योपैथिक दवाओं के साथ आपको कुछ बातों को ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है, इसके लिए आपको निम्नलिखित खान-पान और जीवनशैली के बदलाव करने चाहिए:

क्या करें:

  • एसिडिटी में, अपनी भोजन और पेय का सेवन करने की इच्छा को संतुष्ट करने से भी मदद मिल सकती है।
  • अपनी स्थिति के अनुसार उपयुक्त और पौष्टिक आहार का सेवन करें।
  • अपनी दिनचर्या में कुछ शारीरिक गतिविधियों को शामिल करें, विशेष रूप से वे जो ताजी हवा के संपर्क में हो।

क्या न करें:

  • मसालेदार भोजन न करें और औषधीय गुणों वाली जड़ी-बूटियों से भी बचें।
  • शराब और कॉफी न पिएं।
  • क्रोध और शोक जैसी भावनाओं और ऐसी किसी भी गतिविधि से बचें जो मन और शरीर को तनाव दें।

(और पढ़ें - तनाव को दूर करने के लिए जूस)

उपयोग से पहले होम्योपैथिक दवाएं बहुत अधिक घोल करके तैयार की जाती है, जिससे उनमें मूल तत्व बहुत कम प्रभावी हो जाता है। यह उन्हें विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए विष-मुक्त, सुरक्षित और प्रभावी विकल्प बनाता है।

पारंपरिक चिकित्सा के विपरीत, ये एसिडिटी के लक्षणों का इलाज करने के अलावा प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत बनाती है। होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग सभी आयु वर्ग के लोगों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित रूप से किया जा सकता है और इससे नशा तथा निर्भरता नहीं होती है। इस प्रकार, यह एसिडिटी और इससे जुड़े लक्षणों के उपचार में एक लाभदायक विकल्प है। हालांकि, हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए एक अनुभवी डॉक्टर की देखरेख में इन दवाओं को लेना सबसे अच्छा है।

(और पढ़ें - रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ)

खान-पान और जीवनशैली एसिडिटी के प्रमुख कारण हैं। हालांकि एसिडिटी एक आम समस्या है, लेकिन यदि लम्बे समय तक इसका इलाज न करवाया जाए तो यह गैस्ट्रिक अल्सर और पेट फूलने जैसी जटिलताओं का कारण बन सकती है। पेट में अत्यधिक एसिड के कारण होने वाले दर्द और परेशानी से अपने काम पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है और इससे नींद भी बिगड़ती है।

(और पढ़ें - पेट में गैस बनने पर क्या खाना चाहिए)

पारंपरिक दवाएं इसमें मदद कर सकती हैं लेकिन दवा बंद करने के बाद इस समस्या का फिर से शुरू हो जाना आम है। होम्योपैथिक इलाज की मदद से समस्या के मूल कारण को ठीक किया जा सकता है और लंबे समय तक इससे छुटकारा पाया जा सकता है। दवा लेने के लिए किसी अनुभवी होम्योपैथिक डॉक्टर से संपर्क करें और एसिडिटी से हमेशा के लिए छुटकारा पाएं। 

Dr. Anmol Sharma

Dr. Anmol Sharma

होमियोपैथ
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Sarita jaiman

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होमियोपैथ
11 वर्षों का अनुभव

Dr.Gunjan Rai

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11 वर्षों का अनुभव

DR. JITENDRA SHUKLA

DR. JITENDRA SHUKLA

होमियोपैथ
24 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

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