एसिडिटी के लिए निम्नलिखीत होम्योपैथिक दवाएं उपयोग की जा सकती है:
गर्मी, भोजन के बाद, वसायुक्त भोजन का सेवन करने, शाम को, गर्म मौसम, बाईं तरफ या शरीर के दर्द रहित हिस्से की तरफ पैर नीचे करके लेटने पर ये लक्षण बढ़ सकते हैं। ठंडे पेय अथवा भोजन, ठंडे मौसम, खुली और ताजी हवा में यह लक्षण बेहतर होते हैं।
सुबह और शाम को गर्मी या ठंड की अधिकता से लक्षण बढ़ सकते हैं, जबकि प्रभावित क्षेत्र की तरफ लेटने और गर्मी से लक्षणों में सुधार होता है।
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अर्जेन्टम नाइट्रिकम (Argentum Nitricum)
सामान्य नाम: नाइट्रेट ऑफ़ सिल्वर (Nitrate of silver)
लक्षण: अर्जेन्टम नाइट्रिकम पेट दर्द, जोर से डकार लेना, शरीर के प्रभावित भाग में कंपकंपी और पेट फूलने जैसी समस्याओं के लिए सबसे उपयुक्त है। निम्नलिखित कुछ अन्य लक्षण हैं जिनका उपचार इस दवा के उपयोग से किया जा सकता है:
- डकार आना, जो कई गैस्ट्रिक रोगों को बढ़ावा देता है
- मतली और उल्टी
- जलन और लगातार दर्द होना
- पेट में अल्सर जो की दर्द का कारण बन सकता है (और पढ़ें - पेट में अल्सर के घरेलू उपाय)
- पेट की श्लेष्म झिल्ली में सूजन
- बाईं तरफ पसलियों के नीचे दर्द होना
- पेट में कंपन वाली सनसनी महसूस होना
- आमाशय में दर्द जो फैलता है और पूरे पेट में दर्द होने लगता है
भोजन के बाद, मासिक धर्म के दौरान, ठंडे भोजन और मिठाई के सेवन से, रात के दौरान और गर्मी के कारण लक्षण खराब हो सकते हैं। यह लक्षण भावनाओं से भी प्रभावित होते हैं, लेकिन उन्हें ताजी हवा और ठंड के मौसम में सुधारा जा सकता है। डकार लेने से भी इन लक्षणों में सुधार आ सकता है।
इसके लक्षण सुबह में बढ़ सकते हैं और शाम को कम हो सकते हैं। मानसिक परिश्रम, भोजन, नशीले पदार्थ, मसालों का सेवन और सूखा तथा ठंडा मौसम इन लक्षणों को बढ़ा सकता है। ये लक्षण नींद पूरी करने के बाद, आराम के दौरान और मानसून के मौसम के दौरान ठीक रहते हैं।
नॉन एरोसिव रिफ्लक्स रोग (गर्ड रोग का एक प्रकार) वाले पुरुष और महिला प्रतिभागियों पर हुए एक क्लिनिकल अध्ययन में एसिडिटी के उपचार में होम्योपैथिक दवाओं को उपयोगी पाया गया। इस अध्ययन में शामिल सभी सदस्य 18 से 60 वर्ष के आयु वर्ग में थे जिन्हे 6 सप्ताह से सीने में जलन और उल्टी की परेशानी थी और 1 सप्ताह में कम से कम 2 बार यह लक्षण दीखते थे। इन प्रतिभागियों को अलग-अलग समूहों में विभाजित किया गया और उनका विभिन्न होम्योपैथिक दवाओं से इलाज किया गया। इनमें नक्स वोमिका, पल्सेटिला निग्रिकेंस, अर्जेन्टम नाइट्रिकम, सल्फ्यूरिकम एसिडम और अन्य दवाइयां शामिल थी। एसिडिटी के कई लक्षणों का इलाज करने में ये दवाएं सफल हुई जैसे कि सीने में जलन, पेट फूलना, डकार आना, उलटी, जी मिचलाना, मतली और पेट भरा हुआ महसूस होना, आदि।
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- कैल्केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica)
सामान्य नाम: कार्बोनेट ऑफ लाइम (Carbonate of lime)
लक्षण: कैल्केरिया कार्बोनिका सीने में दर्द, मतली और हाइपरएसिडिटी को ठीक करने में मदद कर सकती है। यह निम्नलिखित लक्षणों से राहत देने में भी सहायक है:
- बार-बार खट्टी डकार आना और उल्टी होना
- अधिक परिश्रम करने के बाद भूख न लगना
- सीने में जलन और जोर से दर्द होना
- पेट में ऐंठन और दर्द, ठंडे पानी के सेवन से ऐंठन गंभीर हो सकती है
- खाना खाने के बाद इसके लक्षण बढ़ जाना
मानसिक या शारीरिक परिश्रम, ऊंचाई पर चढ़ना, ठंडे तापमान के संपर्क में आना या ठंडे भोजन या पेय का सेवन और खड़े रहना इसके लक्षणों को बढ़ा सकता है। शुष्क जलवायु की परिस्थितियों और प्रभावी हिस्से की तरफ लेटने से स्थिति में सुधार आ सकता है।
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- आइरिस वर्सिकलर (Iris Versicolor)
सामान्य नाम: ब्लू फ्लैग (Blue flag)
लक्षण: आइरिस वर्सिकोलर जठरांत्र संबंधी स्थितियों के उपचार के लिए एक मूल्यवान दवा है। इस दवा का उपयोग करके निम्नलिखित लक्षणों का इलाज किया जाता है:
ये लक्षण शाम को, रात में और आराम करने के बाद बढ़ सकते हैं। लगातार शरीर में हल- चल रहने से इन लक्षणों में सुधार हो सकता है।
- कार्बो वेजीटेबिलिस (Carbo Vegetabilis)
सामान्य नाम: वेजिटेबल चारकोल (Vegetable charcoal)
लक्षण: कार्बो वेजीटेबिलिस उन व्यक्तियों के लिए सबसे उपयुक्त उपाय है जो पेट और शरीर के कुछ हिस्सों में भारीपन और जलन महसूस करते हैं। यह विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए उपयोग होती है जो अपनी पिछली बीमारी से पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं। इसके उपयोग से निम्नलिखित लक्षणों का इलाज भी किया जाता है:
- नींद और अत्यधिक डकार आना
- पेट फूलने के कारण दर्द होना जो लेटने पर बढ़ जाता है
- खाने या पीने के बाद डकार आना और परेशानी होना
- पेट में दर्द और जलन जो पेट में गड़बड़ी के कारण छाती तक फैल जाती है
- सुबह के समय मतली आना
- पाचन धीमा होना, जिसके कारण, खाद्य पदार्थ शरीर में पाचन और अवशोषण से पहले विघटित हो जाते हैं
शाम और रात में ये लक्षण गंभीर होते हैं। इसके अलावा ये लक्षण ठंड के मौसम में और वसायुक्त भोजन, कॉफी, दूध, शराब या मक्खन के सेवन के बाद भी बढ़ सकते हैं। डकार लेने से बेहतर महसूस हो सकता है।
- रॉबिनिया स्यूसडाकिया (Robinia Pseudacacia)
सामान्य नाम: येलो लोकस्ट (Yellow locust)
लक्षण: रॉबिनिया स्यूसडाकिया एसिडिटी और अधिक डकार आने वाले व्यक्तियों के लिए सबसे अच्छे उपचारों में से एक है। यह रात में बढ़ने वाली जलन और पेट दर्द को कम करने में प्रभावी है। बच्चों में एसिडिटी के इलाज के लिए इसका उपयोग करना सुरक्षित है। इसके उपयोग से निम्नलिखित लक्षणों का इलाज भी किया जा सकता है:
- मतली और खट्टी डकारें
- उल्टी आना
- पेट और आंत्र की अत्यधिक सूजन
- पेट फूलना
- अट्रोपियम (Atropinum)
सामान्य नाम: एट्रोपिन (Atropine)
लक्षण: यह उपाय पेट के अल्सर और अग्न्याशय की सूजन के उपचार में उपयोगी है।इसके उपयोग से निम्नलिखित लक्षणों का इलाज भी किया जा सकता है:
- उल्टी, खासकर कुछ गर्म पीने के बाद
- नाभि के आसपास दर्द
- जठरांत्र संबंधी क्षेत्र में सूजन, जो पेट का आखिरी हिस्सा होता है
- लाइकोपोडियम क्लैवाटम (Lycopodium Clavatum)
सामान्य नाम: क्लब मॉस (Club moss)
लक्षण: लाइकोपोडियम क्लैवाटम दर्द, गैस और कमजोरी वाले व्यक्तियों के लिए एक अच्छी दवा है। निम्नलिखित कुछ अन्य लक्षण हैं जिनका उपचार लाइकोपोडियम क्लैवाटम के उपयोग से किया जा सकता है:
- खट्टी डकारें आना और पाचन कमजोर होना
- खाना खाने के बाद पेट में दबाव महसूस होना
- हल्के भोजन के बाद भी पेट भर जाने की भावना
- अधूरी डकार जो घंटों तक गले में रहती हैं, जिससे जलन होती है
लक्षण 4 से 8 बजे के बीच में और गर्म वातावरण में बढ़ सकते हैं और आधी रात को कम हो जाते हैं। शरीर में हल-चल, गर्म भोजन और पेय इन लक्षणों को दूर करने में मदद करते हैं।
मौसम में बदलाव, मानसिक तनाव, गर्मी, संगीत और बैठने से यह लक्षण बढ़ सकते हैं और चलने-फिरने से इन लक्षणों में सुधार हो सकता है।
(और पढ़ें - एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज)