हमारे देश में खेती-बाड़ी कि शुरुआत के बाद से, विभिन्न प्रकार के अनाज ने हमारे आहार में प्रमुख भूमिका निभाई हैं और हमें असीमित स्वास्थ्य लाभ दिए हैं। अनाज में जटिल कार्बोहाइड्रेट के गुण पाए जाते हैं, जो आपको पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करते हैं और कैंसर, कब्ज, बृहदान्त्र विकार (Colon disorder), उच्च रक्त शर्करा के स्तर को रोकने में मदद करते हैं। इनमें अधिक मात्रा में प्रोटीन, वसा, लिपिड, विटामिन और एंजाइम होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य को समृद्ध करने में मदद करते हैं।
अनाज नियासिन (विटामिन बी3), आयरन, राइबोफ्लेविन (विटामिन बी2) और थायमिन (विटामिन बी1) से समृद्ध होते हैं और अधिकांश अनाज में अधिक मात्रा में फाइबर सामग्री भी होती है - विशेष रूप से जौ, जई और गेहूं में। अनाज में चोकर भी मौजूद होते हैं जो रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में सहायक होते हैं और हमें हृदय की बीमारियों से दूर रखते हैं। अनाज को अपने भोजन में शामिल करने का मतलब है उच्च मात्रा में प्रोटीन का सेवन करना। अक्सर नाश्ते में आनाज का सेवन दूध के साथ किया जाता है जो प्रोटीन से भरपूर होता है। शिशुओं के लिए, आयरन से समृद्ध अनाज को सबसे बेहतरीन माना जाता है।
अनाज का इतिहास - History of Grains in Hindi
विश्व के इतिहास में, सभ्यताओं का विकास एवं मानव आहार के विकास में, अनाज की खेती ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अनाज का अंग्रेजी शब्द सेरिअल रोमन देवी सेरेस के नाम से लिया गया है जो कि कृषि और फसल की देवी हैं। ऐसा कहा जाता है कि लगभग 12,000 साल पहले, दक्षिण-पश्चिम एशिया के उपजाऊ क्रिसेंट क्षेत्र में रहने वाले प्राचीन खेती वाले समुदायों ने पहली बार अनाज की खेती की थी जिनमें शामिल थे गेहूं और जौ। अनाज का इस्तेमाल भोजन के रूप में दुनिया भर में किया जाता है। हम सभी जानते हैं की विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह के मुख्य आहार होते हैं। इसकी वजह है अलग-अलग देशों में अनाज की उत्पादन की मात्रा अलग-अलग होती है।
उदाहरण के तौर पर - यूरोपीय देश और भारत में मुख्य आहार के रूप में गेंहू का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है। अगर हम वहीं दूसरी तरफ देखे तो चीन, जापान, दक्षिण-पूर्व एशिया, बंगलादेश, पाकिस्तान, ब्राजील, म्यांमार और भारत के तटवर्तीय इलाकों में मुख्य आहार के रूप में चावल का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। उत्तर- मध्य अमेरिका और अफ़्रीका में मुख्य खाद्य अनाज मक्का है, जबकि भारत और अफ्रीका में बाजरे का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। अनाज को अलग अलग जगहों पर विभिन्न तरीकों से इस्तेमाल किया जाता है, उसकी वजह अलग वातावरण, अलग जलवायु और अपनी-अपनी पसंद है।
अनाज के नुकसान - Grains Side Effects in Hindi
जब हम अनाज का अधिक मात्रा में इस्तेमाल करते हैं, उस वक़्त इसके कुछ दुष्परिणाम भी होते हैं। हमे व्यावसायिक अनाजों से बचना चाहिए क्योकिं इनमें अधिक मात्रा में नमक, चीनी, वसा (फ़ैट) होती है। अधिक चोकर वाले उत्पाद पेट में दर्द, सूजन तथा पेट फूलना जैसी बिमारी पैदा कर सकते हैं। यदी आप इस तरह के उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं तो अपके शरीर में आयरन और जिंक की अवशोषण की क्षमता भी कम हो जाती है।
अधिकतर साबुत अनाज प्राकृतिक रूप से अम्लीय होते हैं, जिसकी वजह से ये ऊतक और रक्त में अम्ल पैदा करते हैं। अनियंत्रित अनाज के सेवन से हम समय से पहले बुढ़ापा और गठिया जैसी बिमारी से ग्रस्त हो सकते हैं। क्योंकि सलाद, सब्ज़ी और फल की तुलना में अनाज को पचाना मुश्किल होता है। इसलिए क्रोनिक बिमारियों से बचने के लिए हल्के मात्रा में अनाज के सेवन की सलाह दी जाती है।
अनाज के दाने को हल्का पका कर लेना चाहिए, क्योंकी इसे अधिक पकाने से उमनें मौजूद खनिज, एंजाइम तथा विटामिन नष्ट हो जाते हैं। इसलिए अनाज को हमेशा बेकिन या भाप से पका कर खाना चाहिए। यदी आप कोएलियाक बिमारी (Coeliac disease, इसे सीलिएक रोग भी कहा जाता है) या इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome) जैसे बिमारी से ग्रसित हैं तो इस स्थिति में दाने वाले अनाज लेने से बचें।