निमोनिया एक संक्रमण है जो एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों [अल्वियोली (कूपिका)] को द्रव या मवाद से भरकर सुजा देता है जिससे बलग़म या मवाद वाली खांसी, बुखार, ठण्ड लगना और साँस लेने में तकलीफ हो सकती है। (और पढ़ें – बुखार के घरेलू उपचार)
निमोनिया साधारण से जान-लेवा हो सकता है। यह शिशुओं, युवा बच्चों, 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए ज़्यादा हानिकारक होता है।
अधिकांश प्रकार के निमोनिया संक्रामक होते हैं। दोनों वायरल और बैक्टीरियल निमोनिया (निमोनिया के प्रकारों के लिए नीचे देखें) छींकने या खांसने से अन्य लोगों में फ़ैल सकते हैं लेकिन कवक निमोनिया ऐसे नहीं फैलता।
भारत में निमोनिया-
2016 में विश्व निमोनिया दिवस (नवम्बर 12) से पहले आई एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में निमोनिया से सबसे ज़्यादा भारत में शिशुओं और बच्चों की मौतें हुई हैं।
भारत में हर साल करीब 1 लाख 90 हज़ार 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत निमोनिया के कारण होती है।
विश्वीय टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Program) के तहत इस वर्ष भारत में बच्चों की रक्षा के लिए एक नया टीका पेश किया गया है जिसे न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (पीसीवी: PCV) कहा जाता है। न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (पीसीवी; PCV) को हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में परीचित करवाया गया है।