निमोनिया एक ऐसा संक्रमण है, जिसके कारण फेफड़ों में मौजूद हवा के थैलों में सूजन हो जाती है। इन थैलों में द्रव या मवाद भर जाता है, जिससे बलगम वाली खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में तकलीफ होना जैसे लक्षण होते हैं। वैसे तो निमोनिया एक आम बीमारी है जिसका इलाज किया जा सकता है, लेकिन कई मामलों में इसके कारण रोगी की मौत भी जाती है।
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निमोनिया के कई प्रकार होते हैं, जिनके लिए डॉक्टर अलग-अलग प्रकार की दवाओं का उपयोग करते हैं। इसके लक्षणों के लिए भी कई घरेलू उपाय किए जा सकते हैं। कुछ लोगों को निमोनिया होने का जोखिम अधिक होता है और उन्हें इससे बचने के लिए टीकाकरण करवाना चाहिए। 2 वर्ष की आयु से कम उम्र के बच्चों को भी निमोनिया होने का खतरा अधिक होता है, इसीलिए उन्हें भी निमोनिया के लिए टीकाकरण की आवश्यकता होती है।
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निमोनिया का पता लगाने के लिए डॉक्टर शारीरिक जांच, एक्स-रे, बलगम की जांच और सीटी स्कैन जैसे टेस्ट किए जा सकते हैं।
यदि सही समस्य पर उचित इलाज न किया जाए, तो निमोनिया के कारण व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ, फेफड़ों में फोड़ा और एंडोकार्डिटिस (Endocarditis: दिल की अंदरूनी परत में होने वाला एक संक्रमण) जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
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इस लेख में निमोनिया में क्या करना चाहिए और इसके लिए डॉक्टर के पास कब जाएं के बारे में बताया गया है।