जब कंधे में कुछ समस्या होती है, तो कंधे के हिलने-ढुलने में बाधा उत्पन्न होने लगती है। दर्द और बेचैनी के अलावा इससे आपके जीवन में और कई परेशानियां हो सकती हैं।
कंधों का जोड़ शरीर का सबसे गतिशील जोड़ है जो कंधे को आगे और पीछे ले जाने का काम करते हैं। कंधे के जोड़ की मदद से बाजुओं को चारों ओर तथा इर्द-गिर्द घूमने में मदद मिलती हैं।
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कंधे के हिलने-ढुलने व घूमने की सीमा रोटेटर कफ (कंधों को घुमानेवाली पेशी) द्वारा निर्धारित की जाती है। रोटेटर कफ चार टेंडन्स से मिलकर बना होता है। टेंडन वे रेशेदार ऊतक होते हैं, जो हड्डियों को मांसपेशियों से जोड़ते हैं। अगर रोटेटर कफ के आस-पास के टेंडन्स क्षतिग्रस्त या उनमें सूजन आई हुई है, तो बाजुओं को सिर को ऊपर की तरफ उठाने में दर्द या कठिनाई अनुभव हो सकती है।
कंधे किसी भी प्रकार के शारीरिक श्रम से क्षति ग्रस्त हो सकते हैं, जैसे खेल-कूद, काफी देर तक या बार-बार एक ही मूवमेंट करना। कुछ ऐसे रोग भी हैं, जिनसे कंधों में दर्द होने लगता है। इनमें गर्दन की सरवाइकल हड्डियां, साथ ही लिवर, हृदय या पित्ताश्य संबंधी रोग शामिल हैं।
उम्र बढ़ने के साथ-साथ कंधों में दर्द होने की संभावना भी बढ़ जाती है। विशेष रूप से 60 साल से ज़्यादा उम्र में यह समस्या आम हो जाती है, क्योंकि उम्र के साथ-साथ कंधे के आस-पास के ऊतक नष्ट या खराब होने लगते हैं।
कंधों में दर्द के ज्यादातर मामलों का इलाज घरेलू नुस्खों से किया जा सकता है, हालांकि, "फिजिकल थेरेपी" (physical therapy), दवाएं या सर्जरी भी आवश्यक हो सकती है।