कंधे हमारे शरीर के हिलने डुलने वाले जोड़ों में सबसे महत्वपूर्ण हिस्से हैं, जो हमें विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को करने में सक्षम बनाते हैं। किसी भी कार्य को करने में असुविधा या ऐसी स्थिति जिसमें कंधे में लगातार दर्द के साथ-साथ पीड़ा या लालिमा रहती है, तो इलाज करवाने की आवश्यकता पड़ती है।
बार बार कंधे का उपयोग करने से नरम ऊतकों या काम में आने वाली हड्डियों की संरचनाओं में गड़बड़ी या अस्थिरता हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप कंधे में दर्द होने लगता है। कंधे के दर्द का सबसे आम कारण रोटेटर कफ टेंडोनाइटिस या स्विमर्स शोल्डर है। यह तब होता है जब सामान्य टूट - फूट के कारण कंधों के टेंडन्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। कंधे के दर्द के कुछ अन्य कारण निम्नलिखित हैं:
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बर्साइटिस:
श्लेषपुटी (bursae - ये तरल पदार्थ से भरी थैलिया होती हैं जो शरीर के जोड़ों में गद्दे की तरह काम करती हैं) की सूजन को बर्साइटिस कहा जाता है। -
आर्थराइटिस:
एक प्रकार की जोड़ों की सूजन को आर्थराइटिस कहा जाता है। (और पढ़ें - आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज) -
फ्रैक्चर:
कंधे के जोड़ों की हड्डियों में से किसी एक का अलग होना या फ्रैक्चर होना। -
फ्रोजन शोल्डर:
कंधे के जोड़ों के आसपास के नरम ऊतकों में सूजन जिससे अकड़न और गतिशीलता कम होती है। बुढ़ापे तथा कैल्शियम, विटामिन बी 12 और विटामिन डी की कमी आदि फ्रोजन शोल्डर के सामान्य कारण हैं। -
एनजाइना:
एनजाइना एक ऐसी समस्या है जिसमें हृदय में रक्त के प्रवाह की मात्रा कम हो जाती है। इस समस्या से सीने के दर्द के साथ कंधे में दर्द होता है। -
पिंच्ड नर्व:
नस या नसों के समूह को नुकसान पहुंचना या चोट लगना। यह चोट संकुचन, दबाव या खिंचाव के कारण लग सकती है। (और पढ़ें - चोट लगने पर क्या करें)
होम्योपैथी में कंधे के दर्द के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं, भले ही इसका कारण कुछ भी हो और यदि उपचार जल्द से जल्द शुरू किया जाए तो यह काफी प्रभावी हो सकती है। हालांकि, चोटों का इलाज अक्सर एलोपैथिक उपचार से किया जाता है, जो लंबा हो सकता है और दुष्प्रभाव भी पैदा कर सकता है। होम्योपैथी में अर्निका, कोक्युलस इंडिकस, नैट्रम कार्बोनिकम, कालमिया लैटीफोलिया जैसी दवाएं कंधे के जोड़ों में अकड़न और कंधे में दर्द पैदा करने वाली समस्या के लिए प्रभावी उपचार है।
(और पढ़ें - कंधे के दर्द के घरेलू उपाय)