कंधे को शरीर के सबसे सक्रिय अंगों के रूप में जाना जाता है। वर्तमान समय में दुनियाभर में कंधे में दर्द एक सामान्य समस्या बन गई है। ये दर्द कंधे के जोड़ में और इसके आसपास महसूस होता है।
अगर कंधे पर कोई चोट या दिक्कत हो तो रोजमर्रा के काम करने में परेशानी आती है। कंधे को संतुलन और मजबूती प्रदान करने वाले रोटेटर कफ टेंडन में सूजन या क्षति होने पर कंधे में दर्द होता है। ये कंधे में दर्द का सबसे सामान्य कारण है और इसे रोटेटर कफ टेनडिनिटिस कहा जाता है। कंधे के जोड़ में आमवात (आर्थराइटिस), अवबहुका (फ्रोजन शोल्डर), कंधे की हड्डी के खिसकने या अलग होने या इसे नुकसान पहुंचने या फ्रैक्चर होने के कारण भी कंधे में दर्द हो सकता है।
आयुर्वेद में कंधे के दर्द के इलाज के लिए हरिद्रा (हल्दी), अदरक, रसोनम (लहसुन), विडंग, चक्रमर्द, अश्वगंधा, बाला जैसी जड़ी बूटियां और औषधियों में योगराज गुग्गुल एवं दशमूल कषाय का इस्तेमाल किया जाता है। कंधे में दर्द से संबंधित विभिन्न स्थितियों के उपचार के लिए नास्य कर्म (नाक से औषधि डालने की विधि), पाचन (पाचन में सुधार), स्नेहन (तेल लगाने की विधि), स्वेदन (पसीना लाने की विधि) और लेप (प्रभावित हिस्से पर औषधीय लेप लगाना) की चिकित्सा दी जाती है।