माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम - Myelodysplastic Syndrome in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

November 10, 2018

November 23, 2020

माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम
माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम

माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम क्या है?

माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम दुर्लभ विकारों का एक समूह है, जिसमें शरीर पर्याप्त स्वस्थ रक्त कोशिकाओं को नहीं बना पाता है। कभी-कभी इसे "बोन मेरो फेलियर डिसऑर्डर" भी कहते हैं। कई लोगों को यह समस्या 65 या उससे ज्यादा उम्र में होने लगती है, लेकिन यह व्यस्क युवाओं को भी हो सकती है। माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में आम है। ये सिंड्रोम एक प्रकार का कैंसर है।

माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम के संकेत और लक्षण क्या हैं?

माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम के लक्षणों में थकानसांस लेने में दिक्कत, शरीर पीला पड़ना (क्योंकि लाल रक्त कोशिकाएं कम होने लगती हैं), असामान्य रूप से फफोले पड़ना या रक्त बहना आदि शामिल हैं।

(और पढ़ें - खून बहना बंद कैसे करें)

माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम का कारण क्या है?

स्वस्थ व्यक्ति में बोन मेरो नई और अपरिपक्व रक्त कोशिकाएं बनाता है, जो कुछ समय के बाद परिपक्व हो जाती हैं। माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम तब होता है, जब इस प्रक्रिया में कुछ बाधा आने लगती है, जिससे रक्त कोशिकाएं परिपक्व नहीं हो पाती हैं।

सामान्य तरीके से विकसित होने के बजाए, ये रक्त कोशिकाएं बोन मेरो में या खून में पहुंचने के बाद खत्म होने लगती हैं। समय के साथ ये कोशिकाएं स्वस्थ लोगों की तुलना में अधिक अपरिपक्व और दोषपूर्ण हो जाती हैं, जिससे एनीमिया के कारण थकान, ल्यूकोपेनिया के कारण संक्रमण और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कारण ब्लीडिंग जैसी समस्याएं होती हैं।

कुछ माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम का कारण पता नहीं चल पाता है, जबकि कुछ का कारण कीमो और रेडिएशन थेरेपी हो सकता है। इसके अलावा टॉक्सिस केमिकल जैसे तम्बाकू, बेंजीन और कीटनाशकों के संपर्क में आने से भी यह समस्या हो सकती है।

(और पढ़ें - एनीमिया के घरेलू उपाय)

माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम का निदान कैसे होता है?

आपको माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम है या नहीं, इस बात का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपके लक्षणों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े प्रश्न पूछ सकते हैं। इसे मेडिकल​ हिस्ट्री चेक करना कहते हैं। इसके अलावा वे निम्न तरीके भी अपना सकते हैं :

  • लक्षणों के अन्य संभावित कारणों की जांच के लिए शारीरिक परीक्षण करना
  • विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं को गिनने के लिए ब्लड टेस्ट करना
  • विश्लेषण करने के लिए अस्थि मज्जा यानी बोन मैरो का एक नमूना लेना। इस प्रक्रिया के लिए डॉक्टर या एक तकनीशियन नमूना प्राप्त करने के लिए कूल्हे की हड्डी या ब्रेस्टबोन में एक विशेष सुई डालते हैं।

इसके अलावा डॉक्टर अस्थि मज्जा से कोशिकाओं के आनुवंशिक विश्लेषण के लिए सुझाव दे सकते हैं।

माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम का इलाज कैसे होता है?

माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम के उपचार का लक्ष्य रोग की प्रगति को धीमा करना और लक्षणों को प्रबंधित करना है। यदि किसी व्यक्ति में लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर नियमित परीक्षण और लैब टेस्ट की मदद से यह चेक कर सकते हैं कि बीमारी बढ़ रही है या नहीं। अगर हालत ज्यादा गंभीर हैं, तो डॉक्टर लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं या प्लेटलेट्स को बदलने के लिए खून चढ़ा सकते हैं। इसके अलवा स्थिति के अनुसार दवाई और बोन मैरा ट्रांसप्लांट का भी सुझाव दिया जा सकता है। फिलहाल, माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम पर शोध जारी है।

(और पढ़ें - सफेद रक्त कोशिकाएं कैसे बढ़ाएं​)



संदर्भ

  1. National Health Service [Internet]. UK; Myelodysplastic syndrome (myelodysplasia).
  2. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Myelodysplastic Syndromes.
  3. American Cancer Society [Internet] Atlanta, Georgia, U.S; Signs and Symptoms of Myelodysplastic Syndromes.
  4. Leukaemia Foundation. MDS diagnosis. Australia; [Internet]
  5. Leukaemia Foundation. MDS treatment. Australia; [Internet]

माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम के डॉक्टर

Dr. Srikanth M Dr. Srikanth M रक्तशास्त्र
25 वर्षों का अनुभव
Dr. Kartik Purohit Dr. Kartik Purohit रक्तशास्त्र
13 वर्षों का अनुभव
डॉक्टर से सलाह लें

शहर के हेमेटोलॉजिस्ट खोजें

  1. सूरत के हेमेटोलॉजिस्ट