आटिज्‍म - Autism in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

November 21, 2017

August 24, 2023

आटिज्‍म
आटिज्‍म

आटिज्म क्या है ?

आटिज्म एक मस्तिष्क का विकार है जो अक्सर इससे ग्रस्त व्यक्ति का दूसरों के साथ संबंधित होना कठिन बनाता है। आटिज्म में, मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्र एक साथ काम करने में विफल हो जाते हैं। इसे आटिज्म स्पेक्ट्रम विकार भी कहा जाता है।

ऑटिज्‍म से ग्रस्त व्यक्ति बाकि लोगों से अलग सुनते, देखते और महसूस करते हैं। यदि आप ऑटिस्टिक हैं, तो आपको पूरे जीवन ऑटिज्‍म रहेगा। यह कोई बीमारी नहीं है और इसे ठीक नहीं किया जा सकता है।

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सभी ऑटिस्टिक लोगों को कुछ ना कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है लेकिन यह सबको अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करता है। कुछ ऑटिस्टिक लोगों को सीखने की अक्षमता, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं या अन्य स्थितियां होती हैं, जिसका मतलब है कि लोगों को विभिन्न प्रकार से सहायता की आवश्यकता होती है। सही तरह से सहायता करने पर, ऑटिस्टिक व्यक्ति को काफी मदद मिल सकती है।

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आटिज्‍म के प्रकार - Types of Autism in Hindi

ऑटिज्‍म के कितने प्रकार हैं ?

आटिज्म स्पेक्ट्रम विकार के तीन प्रकार हैं -

  1. ऑटिस्टिक डिसऑर्डर (क्लासिक ऑटिज्म) (Autistic Disorder)
    आटिज्म शब्द सुनते ही अधिकांश लोग इसी प्रकार के आटिज्म के बारे में सोचते हैं। ऑटिस्टिक डिसऑर्डर से ग्रस्त लोग आमतौर पर देरी से बोलते हैं और सामाजिक व संचार की चुनौतियों का सामना करते हैं और असामान्य व्यवहार और रुचियां भी रखते हैं। ऑटिस्टिक डिसऑर्डर वाले कई लोगों को बौद्धिक समस्याएं भी होती हैं।
     
  2.  एस्पर्जर सिन्ड्रोम (Asperger Syndrome)
    एस्पर्जर सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों को आमतौर पर ऑटिस्टिक डिसऑर्डर के कुछ लक्षण होते हैं। उन्हें सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और उनकी असामान्य व्यवहार और रुचियां भी हो सकती हैं। हालांकि, उन्हें आमतौर पर भाषा सम्बंधित या बौद्धिक समस्याएं नहीं होती हैं।
     
  3. परवेसिव डेवलपमेंटल विकार (Pervasive Developmental Disorder)
    जिन लोगों में ऑटिस्टिक डिसऑर्डर या एस्पर्जर सिंड्रोम के कुछ लक्षण होते हैं उन्हें परवेसिव डेवलपमेंटल विकार हो सकता है। ऐसे लोगों में आमतौर पर ऑटिस्टिक डिसऑर्डर वाले लोगों की तुलना में लक्षण कम होते हैं या उनकी तीव्रता कम होती है। लक्षण केवल सामाजिक और संचार की चुनौतियों का कारण बन सकते हैं।
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आटिज्‍म के लक्षण - Autism Symptoms in Hindi

ऑटिज्‍म के लक्षण क्या हैं ?

सामाजिक संचार और संपर्क समस्याएं -

  • अपने नाम पर प्रतिक्रिया देने में विफल रहना।
  • गले से लगाने या पकड़ने पर विरोध करना और अकेले खेलना पसंद करना।
  • नज़रें मिलाने से बचना और चेहरे के अभिभावों का न होना।
  • न बोलना या बोलने में देरी करना या पहले ठीक से बोलने वाले शब्द या वाक्यों को न बोल पाना।
  • वार्तालाप को शुरू नहीं कर पाना या जारी नहीं रख पाना या केवल अनुरोध के लिए बातचीत शुरू करना।
  • एक असामान्य लय से बोलना, एक गीत की आवाज़ या रोबोट जैसी आवाज़ का उपयोग करना।
  • शब्दों या वाक्यांशों को दोहराना लेकिन उनके उपयोग की समझ न होना।
  • सरल प्रशनों या दिशाओं को समझने में असमर्थता।
  • अपनी भावनाओं को व्यक्त न करना और दूसरों की भावनाओं से अनजान रहना।
  • निष्क्रिय, आक्रामक या विघटनकारी होने के कारण सामाजिक संपर्क से बचना।

व्यवहार सम्बन्धी लक्षण -

  • कुछ गतिविधियों को दोहराना, जैसे - हिलना, घूमना या हाथ फड़फड़ाना या खुद को नुक्सान पहुंचाने वाली गातीधियाँ (जैसे सिर पटकना)।
  • विशिष्ट दिनचर्या या अनुष्ठान विकसित करना और थोड़े ही बदलाव में परेशान हो जाना।
  • लगातार हिलते रहना।
  • असहयोगी व्यवहार करना या बदलने के लिए प्रतिरोधी होना।
  • समन्वय की समस्याएं या अजीब गतिविधियां करना (जैसे पैर के पंजों पर चलना)।
  • रौशनी, ध्वनि और स्पर्श के प्रति असामान्य रूप से संवेदनशील होना और दर्द महसूस न करना।
  • कृत्रिम खेलों में शामिल न होना।
  • असामान्य तीव्रता या ध्यान लगाकर कोई कार्य या गतिविधि करते रहना।
  • भोजन की अजीब पसंद होना, जैसे कि केवल कुछ खाद्य पदार्थों को खाना या कुछ खास बनावट वाले पदार्थों का ही सेवन करना।

आटिज्‍म के कारण और जोखिम कारक - Autism Causes & Risk Factors in Hindi

आटिज्म क्यों होता है?

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार का कोई भी ज्ञात कारण नहीं है। विकार की जटिलता और तीव्रता हर किसी में भिन्न होते हैं इसीलिए इसके कई कारण माने जाते हैं। आनुवांशिकी और पर्यावरण कारण दोनों ही आटिज्म में एक महत्व्पूर्ण भूमिका निभाते हैं।

आनुवंशिक समस्याएं
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार में कई अलग-अलग जीन शामिल होते हैं। कुछ बच्चों में, आटिज्म किसी आनुवंशिक विकार से सम्बंधित हो सकता है। दूसरों के लिए, आनुवंशिक परिवर्तन बच्चे को ऑटिज्म के प्रति अतिसंवेदनशील बना सकते हैं या पर्यावरणीय जोखिम कारक बना सकते हैं। कुछ आनुवंशिक समस्याएं पारिवारिक होती हैं, जबकि अन्य अपने आप होती हैं।

पर्यावरणीय कारक
शोधकर्ता वर्तमान में यह खोज कर रहे हैं कि क्या वायरल संक्रमण, गर्भावस्था की जटिलताएं या वायु प्रदूषण ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार की वजह बनते हैं या नहीं।

आटिज्म के जोखिम कारक क्या हैं?

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार सभी जातियों और राष्ट्रीयताओं के बच्चों को प्रभावित करता है, लेकिन कुछ कारक इसके जोखिम को बढ़ाते हैं। जैसे -

  1. लिंग - लड़कियों के मुकाबले लड़कों को आटिज्म होने की संभावना चार गुना ज़्यादा होती है।
  2. परिवार का इतिहास - अगर एक परिवार में कोई बच्चा आटिज्म से ग्रस्त है तो दूसरे बच्चे को भी इससे ग्रस्त होने का अधिक खतरा होता है।
  3. अन्य विकार - कुछ मेडिकल समस्याओं वाले बच्चों को आटिज्म के होने का जोखिम अधिक होता है।
  4. समय से पहले पैदा हुए बच्चे - 26 सप्ताह से पहले पैदा हुए बच्चों को आटिज्म होने का ज़्यादा खतरा हो सकता है।
  5. माता-पिता की आयु - ज़्यादा उम्र के माता-पिता से हुए बच्चे को आटिज्म होने की सम्भावना हो सकती है लेकिन अभी इस विषय पर शोध आवश्यक है।
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आटिज्‍म से बचाव - Prevention of Autism in Hindi

आटिज्म से कैसे बचा जा सकता है ?

आटिज्म होने से रोका नहीं जा सकता है लेकिन आप इसके कुछ जोखिम को कम कर सकते हैं यदि आप निम्नलिखित जीवनशैली के परिवर्तनों का प्रयास करते हैं -

  1. स्वस्थ रहें - नियमित जाँच करवाएं, अच्छी तरह संतुलित भोजन और व्यायाम करें। सुनिश्चित करें कि आपकी अच्छी जन्मपूर्व देखभाल हुई है और सभी सुझाए गए विटामिन व पूरक आहार लें।
  2. गर्भावस्था के दौरान दवाएं न लें - गर्भावस्था में किसी भी प्रकार की दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से पूछें। खासकर दौरों को रोकने वाली दवाएं।
  3. शराब न लें - गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन न करें।
  4. मौजूदा स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उपचार लें - यदि आपको सीलिएक रोग (Celiac Disease) या पीकेयू (PKU; Phenylketonuria) है, तो उसे नियंत्रण में रखने के लिए अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें।
  5. टीका लगवाएं  - सुनिश्चित करें कि गर्भवती होने से पहले आपको जर्मन खसरा (German Measles) - जिसे रुबेला (Rubella) भी कहते हैं - का टीका लगाया गया है क्योंकि यह रूबेला-संबंधित आटिज्म को रोक सकता है।

आटिज्‍म का परीक्षण - Diagnosis of Autism in Hindi

आटिज्म का निदान कैसे किया जाता है ?

आटिज्म का निदान करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि अन्य विकारों का निदान करने के लिए मौजूद परीक्षणों के जैसे इसके लिए कोई परीक्षण नहीं है। डॉक्टर इसका निदान करने के लिए बच्चे के व्यवहार और विकास को देखते हैं।

आटिज्म का निदान दो चरणों में होता है -

  1. विकास संबंधी जांच
  2. विस्तृत नैदानिक ​​मूल्यांकन

विकास संबंधी जांच
विकास संबंधी जांच एक छोटी सी परीक्षा होती है, यह बताने के लिए कि क्या बच्चा मूलभूत कौशल सीख रहा है या नहीं। विकास संबंधी जाँच के दौरान डॉक्टर माता-पिता से कुछ प्रशन पूछ सकते हैं या बच्चे के साथ बात करने के लिए कह सकते हैं और यह देख सकते हैं कि वह कैसे सीखते हैं, बोलते हैं, व्यवहार करते हैं और चलते हैं। इनमें से किसी भी क्षेत्र में देरी एक समस्या का संकेत हो सकती है।

यह महत्वपूर्ण है कि डॉक्टर विकास संबंधी विलंब के लिए सभी बच्चों की जाँच करें, लेकिन विशेष रूप से उन बच्चों पर नज़र रखें जिन्हें आटिज्म का जोखिम ज़्यादा है। यदि चिकित्सक किसी समस्या के लक्षण देखते हैं तो एक विस्तृत नैदानिक ​​मूल्यांकन की आवश्यकता होती है।

विस्तृत नैदानिक मूल्यांकन
निदान का दूसरा चरण एक विस्तृत मूल्यांकन होता है। इसमें बच्चे के व्यवहार और विकास की जाँच की जाती है व माता-पिता से भी सवाल पूछे जा सकते हैं। इसमें सुनवाई और दृष्टि की जाँच, आनुवांशिक परीक्षण, न्यूरोलॉजिकल परीक्षण और अन्य चिकित्सा परीक्षण शामिल हो सकते हैं।

कुछ मामलों में, प्राथमिक देखभाल चिकित्सक आगे मूल्यांकन और निदान के लिए बच्चे को एक विशेषज्ञ के पास ले जाने की सलाह दे सकते हैं। जैसे -

  1. बच्चे के विकास और बच्चों में विशेष प्रशिक्षण देने के विशेषज्ञ।
  2. मस्तिष्क, रीढ़ और तंत्रिकाओं के विशेषज्ञ।
  3. मानव मस्तिष्क के विशेषज्ञ।

आटिज्‍म का इलाज - Autism Treatment in Hindi

आटिज्म का इलाज कैसे किया जाता है ?

आटिज्म का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कई तरीकों से सीखने की क्षमता और मानसिक विकास को बढ़ाना संभव है। यह तरीके निम्नलिखित हैं -

व्यवहारिक प्रशिक्षण और प्रबंधन
व्यवहारिक प्रशिक्षण और प्रबंधन व्यवहार व संचार को बेहतर बनाने के लिए सकारात्मक तरीकों, आत्म-सहायता और सामाजिक कौशल प्रशिक्षण का उपयोग करता है। कई प्रकार के उपचार विकसित किए गए हैं, जिनमें एप्लाइड व्यवहार विश्लेषण (applied behaviour analysis), ऑटिस्टिक और संबंधित संचार विकलांग बच्चों का उपचार और शिक्षा शामिल हैं।

विशिष्ट चिकित्सा
इसमें भाषण, व्यावसायिक और शारीरिक उपचार शामिल हैं। ये चिकित्सा आटिज्म के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं और सभी बच्चों के उपचार में शामिल किये जाने चाहिए। भाषण थेरेपी बच्चों को प्रभावी ढंग से संवाद करने में मदद कर करती है। व्यावसायिक और शारीरिक उपचार समन्वय को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। व्यावसायिक उपचार बच्चे को इंद्रियों की सूचनाओं को बेहतर समझ पाने में मदद कर सकता है।

दवाएं
आटिज्म में दवाओं का उपयोग उससे सम्बंधित समस्याओं जैसे डिप्रेशन, चिंता और सक्रियता का इलाज करने के किया जाता है।

आटिज्‍म की जटिलताएं - Autism Complications in Hindi

आटिज्म की क्या जटिलताएं हैं ?

आटिज्म की निम्नलिखित जटिलताएं हो सकती हैं -

  1. भावनात्मक समस्याएं - यदि आपको आटिज्म है, तो आप बहुत अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। यहाँ तक कि तेज़ आवाज़ या उज्ज्वल रोशनी भी आपके लिए एक महत्वपूर्ण भावनात्मक बेचैनी पैदा कर सकते हैं। ऐसा हो सकता है कि आप कुछ उत्तेजनाओं पर बिल्कुल प्रतिक्रिया नहीं कर पाएं जैसे अत्यधिक गर्मी, ठंडा या दर्द।
     
  2. दौरे - आटिज्म से ग्रस्त लोगों में दौरे होना आम है। वे अक्सर बचपन या आपके किशोरावस्था की शुरुआत में इसका सामना करते हैं।
     
  3. मानसिक स्वास्थ्य - आटिज्म होने से आपको डिप्रेशन, चिंता, प्रेरक व्यवहार और मनोदशा में बदलाव का खतरा हो सकता है।
     
  4. ट्यूमर - ट्यूबर्स स्केलेरोसिस एक दुर्लभ विकार है जो आपके अंगों में बढ़ने वाले ट्यूमर को विकसित करता है, जिसमें आपका मस्तिष्क भी शामिल हैं। ट्यूब्ररस स्केलेरोसिस और एएसडी के बीच का सम्बन्ध अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है


संदर्भ

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आटिज्‍म की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Autism in Hindi

आटिज्‍म के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

आटिज्‍म पर आम सवालों के जवाब

सवाल लगभग 5 साल पहले

मेरी उम्र 28 साल है और मैं प्रेग्नेंट हूं। क्या गर्भावस्था के दौरान शिशु को ऑटिज्म हो सकता है?

Dr. Kumawat Vijay Kumar MBBS , सामान्य चिकित्सा

प्रेगनेंसी के दौरान कुछ दवाइयों या रसायनों के संपर्क में आने की वजह से गर्भवती महिला के शिशु में ऑटिस्टिक होने के जोखिम अधिक होते हैं। इन जोखिमों के कारणों में शराब, मातृ चयापचय की स्थिति जैसे डायबिटीज, मोटापा और गर्भावस्था के दौरान एंटीसीजर दवाओं का उपयोग शामिल है।

सवाल लगभग 5 साल पहले

मेरी मासी के बेटे को ऑटिज्म है। वह गुमसुम और हमेशा अकेले रहता है और हंसता भी नहीं है। क्या ऑटिस्टिक बच्चे हंसते भी नहीं हैं?

Dr. Yogesh Kumar MBBS , सामान्य चिकित्सा

अबोध बच्चों में मुस्कुराना एक विशेष संकेत होता है। बच्चे की मुस्कुराहट उसकी भावनात्मक और अच्छे स्वास्थ की स्थिति को व्यक्त करती है, जिससे माता-पिता उनकी देखभाल के प्रति सचेत रह पाते हैं। एक नए अध्ययन की रिपोर्ट से पता चला है कि शिशु के एक साल का होने के बाद उसमें आटिज्म के लक्षण दिखाई देते हैं और जो बच्चे इससे ग्रस्त होते हैं। वे सामान्य बच्चों की तुलना में कम मुस्कुराते हैं।

सवाल लगभग 5 साल पहले

मेरे भाई को बचपन से ही ऑटिज्म है। बड़े होने के बाद उसके लक्षण भी बढ़ गए हैं। कल उसे पैनिक अटैक आया था। मैं जानना चाहता हूं कि क्या ऑटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति को पैनिक अटैक भी आ सकता है?

Dr. Prakash kumar MBBS , सामान्य चिकित्सा

वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि ऑटिज्म से ग्रस्त 11 से 84 प्रतिशत युवाओं को चिंता विकार संबंधी समस्या हो सकती है। इसी के साथ उन्हें अचानक से डर लगना, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, दिल की धड़कन का तेज होना, तनाव, बेचैनी या नींद न आने जैसी कई तरह की समस्याएं भी हो सकती हैं। ऑटिज्म से ग्रस्त लगभग 40 प्रतिशत लोग चिंता विकार से जूझ रहे होते हैं। यह एक व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक और शारीरिक रूप से प्रभावित कर सकता है और चिंता की वजह उन्हें पैनिक अटैक आ सकता है।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मैं कुछ दिन पहले एक सत्र में गया था, जहां ऑटिज्म के बारे में बताया जा रहा था कि जो बच्चे ऑटिज्म से पीड़ित होते हैं, वो किसी तरह की वस्तु में रुचि नहीं रखते। मेरा बेटा भी ऐसा ही है, लेकिन वह अच्छी तरह से बोल पाता है। क्या उसे भी आटिज्म हो सकता है?

Dr. Chinmaya Bal MBBS , सामान्य चिकित्सा

अगर कोई व्यक्ति ऑटिज्म से ग्रस्त होता है, तो उसे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। ऑटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति में निम्न तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे- सरल प्रश्नों या दिशाओं को समझने में असमर्थ होना। अपनी भावनाओं को व्यक्त न करना और दूसरों की भावनाओं से अनजान रहना। निष्क्रिय, आक्रामक या विघटनकारी होने के कारण सामाजिक संपर्क से बचना। इसी के साथ आप उनमें कुछ व्यवहार संबंधी लक्षण भी नजर आ सकते हैं, जिनमें कुछ गतिविधियों को दोहराना, जैसे - हिलना, घूमना या हाथ फड़फड़ाना या खुद को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियां (जैसे सिर पटकना) शामिल हैं। असामान्य तीव्रता या ध्यान लगाकर कोई कार्य या गतिविधि करते रहना। भोजन को लेकर अजीब तरह की पसंद होना, जैसे कि कुछ ही खाद्य पदार्थों को खाना या कुछ खास बनावट वाले पदार्थों का ही सेवन करना। अगर आपको लगता है कि आपके बेटे को ऑटिज्म है, तो आप उसे पीडियाट्रिक और साइकेट्रिस्ट के पास ले जाएं।