प्रेगनेंसी के दौरान कुछ दवाइयों या रसायनों के संपर्क में आने की वजह से गर्भवती महिला के शिशु में ऑटिस्टिक होने के जोखिम अधिक होते हैं। इन जोखिमों के कारणों में शराब, मातृ चयापचय की स्थिति जैसे डायबिटीज, मोटापा और गर्भावस्था के दौरान एंटीसीजर दवाओं का उपयोग शामिल है।
अबोध बच्चों में मुस्कुराना एक विशेष संकेत होता है। बच्चे की मुस्कुराहट उसकी भावनात्मक और अच्छे स्वास्थ की स्थिति को व्यक्त करती है, जिससे माता-पिता उनकी देखभाल के प्रति सचेत रह पाते हैं। एक नए अध्ययन की रिपोर्ट से पता चला है कि शिशु के एक साल का होने के बाद उसमें आटिज्म के लक्षण दिखाई देते हैं और जो बच्चे इससे ग्रस्त होते हैं। वे सामान्य बच्चों की तुलना में कम मुस्कुराते हैं।
वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि ऑटिज्म से ग्रस्त 11 से 84 प्रतिशत युवाओं को चिंता विकार संबंधी समस्या हो सकती है। इसी के साथ उन्हें अचानक से डर लगना, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, दिल की धड़कन का तेज होना, तनाव, बेचैनी या नींद न आने जैसी कई तरह की समस्याएं भी हो सकती हैं। ऑटिज्म से ग्रस्त लगभग 40 प्रतिशत लोग चिंता विकार से जूझ रहे होते हैं। यह एक व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक और शारीरिक रूप से प्रभावित कर सकता है और चिंता की वजह उन्हें पैनिक अटैक आ सकता है।
अगर कोई व्यक्ति ऑटिज्म से ग्रस्त होता है, तो उसे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। ऑटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति में निम्न तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे- सरल प्रश्नों या दिशाओं को समझने में असमर्थ होना। अपनी भावनाओं को व्यक्त न करना और दूसरों की भावनाओं से अनजान रहना। निष्क्रिय, आक्रामक या विघटनकारी होने के कारण सामाजिक संपर्क से बचना। इसी के साथ आप उनमें कुछ व्यवहार संबंधी लक्षण भी नजर आ सकते हैं, जिनमें कुछ गतिविधियों को दोहराना, जैसे - हिलना, घूमना या हाथ फड़फड़ाना या खुद को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियां (जैसे सिर पटकना) शामिल हैं। असामान्य तीव्रता या ध्यान लगाकर कोई कार्य या गतिविधि करते रहना। भोजन को लेकर अजीब तरह की पसंद होना, जैसे कि कुछ ही खाद्य पदार्थों को खाना या कुछ खास बनावट वाले पदार्थों का ही सेवन करना। अगर आपको लगता है कि आपके बेटे को ऑटिज्म है, तो आप उसे पीडियाट्रिक और साइकेट्रिस्ट के पास ले जाएं।
ऑटिज्म मस्तिष्क का विकार है। इससे ग्रस्त व्यक्ति दूसरों के साथ घुलने-मिलने में परेशानी महसूस करता है। ऑटिज्म में, मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्र एक साथ काम करने में विफल हो जाते हैं। इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार भी कहा जाता है। ऑटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति बाकी लोगों से अलग सुनते, देखते और महसूस करते हैं। यदि कोई व्यक्ति ऑटिस्टिक है, तो उसे पूरे जीवन ऑटिज्म रहेगा। यह कोई बीमारी नहीं है, इसलिए इसके लिए दवा भी नहीं है। इसे कंट्रोल करने की कोशिश की जा सकती है। आप अपने बेटे को साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाएं और नियमित रूप से उसकी काउंसलिंग करवाते रहें।
ईईजी टेस्ट में आटिज्म के लिए आपको उचित परिणाम नहीं मिल सकते। जिस समय यह टेस्ट करवाया जा रहा होता है, यह सिर्फ उस समय की मानसिक स्थिति को ही रिपोर्ट करता है। इसलिए इस टेस्ट में ऑटिज्म के एक परीक्षण में आपको सही परिणाम नहीं मिल सकते। इसके ज्यादातर लक्षणों का पता व्यक्ति के व्यवहार से चलता है। ऑटिज्म पता लगाने के लिए कोई टेस्ट उपलब्ध नहीं है और न ही इसका निदान ब्लड टेस्ट से किया जा सकता है। ऑटिज्म के लिए आप अपने बेटे को साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाएं और नियमित रूप से उसकी काउंसलिंग करवाते रहें।
जी हां, आपके बेटे को ऑटिज्म हो सकता है। आप उसकी संचार संबंधी समस्या के लिए लैंग्वेज थेरेपिस्ट से सलाह लें और कम से कम 2 महीने तक थेरेपी जारी रखें। साथ ही अपने बेटे को साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाएं और नियमित रूप से उसकी काउंसलिंग करवाते रहें।