वल्वा का कैंसर क्या है?
वल्वा का कैंसर एक ऐसा कैंसर है जो महिलाओं के जननांग के बाहरी हिस्से में होता है। इस हिस्से को वल्वा कहा जाता है और ये भाग मूत्रमार्ग और योनि पर सतह पर होता है। इस प्रकार के कैंसर में वल्वा पर एक गांठ या घाव हो जाता है, जिसके कारण खुजली होने लगती है। वैसे तो ये किसी भी उम्र की महिला को हो सकता है, लेकिन ये बड़ी उम्र की महिलाओं में अधिक आम है। ये कैंसर आमतौर पर बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है।
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वल्वा के कैंसर के लक्षण क्या हैं?
वल्वा का कैंसर होने पर महिलाओं को कुछ लक्षण अनुभव होते हैं, जैसे वल्वा में खुजली, वल्वा पर घाव या गांठ, दर्द होना, वल्वा पर पानी वाले उभार होना, वल्वा पर हाथ लगाने में दर्द, वल्वा की त्वचा के रंग में बदलाव आना, मासिक धर्म के बिना रक्तस्त्राव और वल्वा की त्वचा का मोटा होना।
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वल्वा का कैंसर क्यों होता है?
कोई भी प्रकार का कैंसर तब होता है जब कोशिकाएं अनियंत्रित होकर बढ़ने लगती हैं। इन कोशिकाओं के अनियंत्रित बढ़ने के कारण गांठें या ट्यूमर बनने लगते हैं जो बड़े होते जाते हैं और शरीर के अंगों व कार्य को नुकसान पहुंचाते हैं। कई ट्यूमर अपनी जगह पर ही रहते हैं और फैलते नहीं, लेकिन घातक ट्यूमर फैलने लगते हैं और शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं।
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वल्वा के कैंसर का इलाज कैसे होता है?
वल्वा के कैंसर के इलाज के लिए आमतौर पर सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और बायोलॉजिक थेरेपी का उपयोग किया जाता है। इसके उपचार के लिए मुख्यतः सर्जरी करने का प्रयास किया जाता है और इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि महिला को यौन रूप से कोई नुकसान न हो। अगर इस कैंसर का पता शुरूआती चरणों में लग जाता है, तो किसी बड़ी सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती लेकिन अगर कैंसर फैल गया है, तो बड़ी सर्जरी की जाती है। इसके अलावा अगर ट्यूमर या घाव बड़े हैं, तो सर्जरी से पहले उन्हें छोटा करने के लिए रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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