यह तो आप जान ही गए हैं कि वर्टिगो शरीर का बैलेंस बिगड़ने की एक सेंसेशन फीलिंग है. वर्टिगो होने के पीछे सिर या गर्दन पर चोट लगने के साथ-साथ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है -
इंफेक्शन
वेस्टिबुलर नर्व में किसी तरह का वायरल इंफेक्शन होना वर्टिगो का कारण हो सकता है. इसे वेस्टिबुलर न्यूरिटिस या लैबीरिंथाइटिस कहा जाता है. तेज और बार-बार चक्कर आना इसके लक्षण हैं.
मेनिएरे डिजीज
अंदरूनी कान में अधिक फ्लूइड इकट्ठा होने से भी चक्कर आते हैं. वर्टिगो के ये लक्षण कुछ घंटे तक रह सकते हैं. इस अवस्था को मेनिएरे डिजीज कहा जाता है.
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माइग्रेन
माइग्रेन भी वर्टिगो का कारण हो सकता है. इसमें तेज सिर में दर्द, चक्कर, जी मिचलाना व उल्टी आना जैसे लक्षण कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटे तक रह सकते हैं.
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सिर या गर्दन पर चोट लगना
सिर या गर्दन पर कोई गहरी चोट या चोट के कारण वेस्टिबुलर नर्व सिस्टम में समस्या होने से भी बार-बार चक्कर आने की समस्या हो सकती है.
बिनाइन पैरॉक्सिसमल पोजिशनल वर्टिगो
बिनाइन पैरॉक्सिसमल पोजिशनल वर्टिगो को आम समस्या माना गया है. इसमें सिर हिलाने से भी चक्कर आते हैं. जब कैल्शियम पार्टिकल्स कान के अंदर इकट्ठे हो जाते हैं, तब ब्रेन को पर्याप्त सिग्नल नहीं मिलते. इससे शरीर का संतुलन बिगड़ता है और चक्कर आते हैं.
कुछ दवाइयों के सेवन से
कुछ एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन से भी वर्टिगो की परेशानी हो सकती है. सुनाई न देना या टिनिटस की समस्या व सुस्ती इसके लक्षण हैं.
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