नींद की कमी क्यों होती है?
नींद की कमी के सबसे सामान्य कारण निम्नलिखित हैं -
स्वैच्छिक व्यवहार - यह आमतौर पर तब होता है जब व्यक्ति इस बात से अनजान होते हैं कि उनके शरीर को नींद की अधिक ज़रूरत है और वे सोते नहीं हैं। उत्तेजक का उपयोग करने से भी नींद पर असर पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, कुछ लोग सोते समय अल्कोहल या कैफीन का उपभोग करते हैं, जो नींद के लिए कठिनाई को बढ़ा सकते हैं।
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काम या पढाई - कुछ विशिष्ट कार्य वातावरण शरीर की प्राकृतिक नींद लेने और जागने के चक्र को बाधित कर सकते हैं और नींद की कमी पैदा कर सकते हैं। विशेष रूप से, शिफ्ट में काम करने वाले लोग और वो लोग जो अक्सर हवाई यात्रा करते हैं, वे अक्सर पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं। बच्चों और किशोरों को वयस्कों की तुलना में अधिक नींद की आवश्यकता होती है, लेकिन ऑफिस व विद्यालय के कार्यों के कारण पर्याप्त नींद लेना मुश्किल हो सकता है।
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पर्यावरण और नींद की आदतें - कुछ मामलों में, व्यक्ति के सोने के आसपास की जगहों में उत्तेजनाओं के परिणामस्वरूप नींद की कमी हो सकती है। इसमें अधिक तापमान, आसपास शोर होना या साथी का खर्राटे लेना शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, नींद की आदतों से नींद की गुणवत्ता और मात्रा पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
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अनिद्रा (नींद न आना) - अनिद्रा एक ऐसी समस्या है जिसमें रात में सोने में कठिनाई होती है, जो वयस्क आबादी के एक तिहाई हिस्से को प्रभावित करती है और नींद की कमी से सम्बंधित है।
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स्लीप एप्निया
स्लीप एप्निया एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जिसमें सोते समय साँस रूकती है, जिससे फेफड़ों में कम हवा जाती है। इसमें आमतौर पर अपर्याप्त ऑक्सीजन के कारण व्यक्ति बार-बार जागता है। इसके बाद, दिन के दौरान नींद आना सामान्य है।
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अल्पकालिक बीमारी
अल्पकालिक बीमारियां जैसे कि सर्दी जुकाम, फ्लू (इन्फ्लूएंजा) या टॉन्सिल (टॉन्सिलाइटिस) के चलते सोते समय सांस लेने में दिक्क्त हो सकती है, जिसके कारण व्यक्ति को पूरी रात जागना पड़ सकता है जिससे नींद की कमी होती है।
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नींद की कमी किन किन कारणों से होती हैं ?
नींद के जोखिम कारक निम्नलिखित हैं -
- जीवनशैली - जीवनशैली, नींद की कमी का एक प्रमुख कारण है। असंतुलित आहार और सोते समय अत्यधिक शराब या कैफीन का सेवन नींद की कमी के सामान्य कारण होते हैं। रात के समय काम करने से लोगों को सामान्य नींद की कमी हो सकती है। जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करने से काफी संभावनाएं ठीक हो सकती हैं।
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- आयु - नींद की कमी का एक जोखिम कारक उम्र भी है। बुजुर्ग, युवा लोगों की तुलना में कम नींद लेते हैं, इसलिए युवाओं की तुलना में उन्हें काफी कम नींद आती है और वे नींद न आने की समस्याओं से जूझते है। बुजुर्ग व्यक्तियों को प्रभावित करने वाली स्वास्थ्य समस्याएं जैसे शुगर, हाई बीपी और गैस्ट्रोइसोफ़ेगल रिफ़्लक्स (Gastroesophageal reflux), नींद को प्रभावित कर सकती है।
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- दवाएं - कुछ दवाएं आपके शरीर की सामान्य नींद की लय को बदल सकती हैं, जिससे नींद की कमी हो सकती है। अगर आप नींद के विकारों से पीड़ित हैं, तो हमेशा अपने चिकित्सक को बताएं। खासकर यदि आप नई दवा ले रहे हैं या अपनी वर्तमान दवा की मात्रा बढ़ा रहे हैं।
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- चिकित्सा समस्याएं - कुछ चिकित्सा समस्याएं आपकी मानसिक और शारीरिक स्थितियों को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे नींद की कमी हो सकती है। उदाहरण के तौर पर अगर अस्थमा के चलते देर रात सांस की दिक्क्त होती है तो निश्चित रूप से रोगी के सोने के क्रम पर असर पड़ता है। इसी तरह अवसाद और किसी दुर्घटना होने के बाद पनपा तनाव भी लोगों से सुकून से सोने नहीं देता। मानसिक विकार जैसे रात को नींद में डरावने सपने आने से भी लोग नींद न आने की समस्या से जूझने लगते हैं।
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