जापानी एनसेफेलिटिस एक वायरल संक्रमण है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है और फ्लेविवायरस से संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है। इसके कारण बुखार, सिरदर्द, भ्रम, दौरे, और कुछ मामलों में मौत भी हो सकती है। यह संक्रमण सबसे अधिक बच्चों को प्रभावित करता है और गर्मी के दौरान अधिक सक्रिय रूप से फैलता है। जापानी एनसेफेलिटिस वायरस (जेईवी) डेंगू, पीला बुखार और वेस्ट नाइल वायरस से संबंधित एक फ्लेविवायरस है।
जापानी एनसेफेलिटिस वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में प्रसारित नहीं होता।
भारत में जापानी एनसेफेलिटिस
भारत में 1955 में जापानी एनसेफेलिटिस का पहला मामला सामने आया था। देश के विभिन्न हिस्सों में इसका प्रकोप है परन्तु असम, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड में इसका प्रभाव ज़्यादा है।
2006 के दौरान जेई (JE: जापानी एनसेफेलिटिस) टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था जिसमें असम, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के 11 सबसे संवेदनशील जिलों को कवर किया गया था। असम, आंध्र प्रदेश, बिहार, हरियाणा, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के राज्यों में कुल मिलाकर 86 जिलों को कवर किया गया था।
2016 में भारत में जापानी एनसेफेलिटिस के कुल 1,676 मामले सामने आए हैं जिनमें से 283 लोगों की मौत हुई है।