सांस लेने में दिक्कत - Difficulty Breathing in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

August 19, 2018

August 08, 2024

सांस लेने में दिक्कत
सांस लेने में दिक्कत

सांस लेने में दिक्क्त होना क्या है?

सांस लेने में दिक्कत एक कष्टदायक अनुभव होता है। कुछ लोगों का कहना है कि इस समस्या में उनको सांस फूलने या सांसे चढ़ने जैसा अनुभव महसूस होता है। इसमें छाती में अकड़न होती है और सांस लेने के दौरान दर्द भी महसूस हो सकता है। कभी-कभी वायुमार्ग रुकने के कारण भी सांस लेने में दिक्कत की समस्या हो सकती है, इसे सामान्य स्थिति समझा जाता है। हालांकि अगर सांस लेने में दिक्क्त की वजह वायु मार्ग का अवरोध न होकर कुछ और है तो इस पर तुरंत ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है क्योंकि यह कोई गंभीर एवं हानिकारक स्थिति हो सकती है। ऐसी स्थिति को तुरंत मेडिकल देखभाल की आवश्यकता पड़ती है।

वायुमार्ग ट्यूबों से मिलकर बनी एक जटिल प्रणाली होती है। वायुमार्ग के द्वारा मुंह व नाक से वायु खींचकर फेफड़ों तक पहुंचाई जाती है। इसलिए सांस लेने में परेशानी की समस्या वायुमार्ग में कहीं भी रुकावट होने के कारण हो सकती है।

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कुछ मामलों में व्यक्ति को केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही सांस लेने से जुड़ी दिक्क्त होती है। ऐसा अक्सर कड़ी मेहनत जैसी गतिविधियों, उंचाई वाले स्थान और अधिक गर्म या अधिक ठंडे वातारण के कारण हो सकता है। इन सभी स्थितियों के अलावा सांस लेने में दिक्कत महसूस होना किसी अन्य मेडिकल समस्या का संकेत भी हो सकता है।

सांस लेने में परेशानी की समस्या का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। यह समस्या एक तीव्र श्वसन अवरोध (Acute respiratory obstruction) के कारण भी हो सकती है, इसे तुरंत देखभाल और प्रबंधन की आवश्यकता होती है। इस समस्या के अन्य कारणों को दवाओं, ऑक्सीजन थेरेपी या अन्य सर्जिकल प्रक्रियाओं द्वारा मैनेज किया जाता है।

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सांस लेने में तकलीफ के लक्षण - Difficulty Breathing Symptoms in Hindi

सांस लेने में कठिनाई होने के लक्षण क्या होते हैं?

यह समस्या निम्न लक्षणों से जुड़ी हो सकती है:

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डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

अगर आपको एक्यूट रेस्पिरेटरी ऑब्स्ट्रक्शन के कारण सांस लेने में परेशानी हो रही है, तो आपको तुरंत डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए। 

अगर आपको सांस लेने में कठिनाई के साथ निम्न समस्याएं हैं तो भी डॉक्टर से संपर्क करें:

  • अगर यह एक महीने से अधिक समय तक रहती है।
  • जब आप गतिशील (क्रियाशील) होते हैं, तो यह स्थिति और बदतर हो जाती है।
  • लेटने पर स्थिति बिगड़ जाती है।
  • तीन हफ्ते या उससे अधिक समय तक खांसी रहना।
  • अगर सांस लेने में कठिनाई के साथ ही आपके टखनों में सूजन हो गई हो।

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सांस लेने में दिक्कत के कारण - Difficulty Breathing Causes & Risk Factors in Hindi

सांस लेने में तकलीफ (दिक्कत) क्यों होती है?

इस समस्या के कई अलग-अलग कारण हैं। उदाहरण के लिए हृदय रोग के कारण भी सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। क्योंकि, इस स्थिति में आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए आपका हृदय पर्याप्त खून को पंप नहीं कर पाता। अगर आपके मस्तिष्क, मांसपेशियों या शरीर के अन्य हिस्सों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती है तो उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है, साथ ही साथ पीड़ित को सांस फूलने की भी शिकायत होती है।

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सांस लेने में परेशानी पैदा करने वाले कुछ कारणों में निम्न शामिल हैं -

सांस लेने में दिक्कत का खतरा कब बढ़ जाता है? 

वयस्कों की तुलना में छोटे बच्चों के वायुमार्गों में बाहरी वस्तु फंस जाने की संभावनाएं अधिक होती हैं। उनमें अपनी नाक या मुंह में खिलौने या अन्य छोटी वस्तुएं फंसा लेने की संभावनाएं भी होती है। छोटे बच्चें कई बार निगलने से पहले अपना भोजन ठीक से भी नहीं चबा पाते हैं। 

वायुमार्ग में अवरोध उत्पन्न करने वाले अन्य जोखिम कारकों में निम्न शामिल हैं -

  • मक्खी जैसे कीटों और मूंगफली जैसे खाद्य पदार्थों से गंभीर एलर्जी होना। (और पढ़ें - एलर्जी की दवा)
  • जन्म दोष या बीमारियां, जो वायुमार्ग की समस्याएं पैदा कर सकती हैं।
  • धूम्रपान (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के घरेलू उपाय)।
  • वे लोग जिनको निगलने के दौरान काफी परेशानी महसूस होती है, जैसे न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोग।

(और पढ़ें - स्लीप एपनिया ट्रीटमेंट)

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सांस लेने में परेशानी से बचाव - Prevention of Difficulty Breathing in Hindi

सांस लेने में तकलीफ की समस्या से कैसे बच सकते हैं?

कई प्रकार के वायुमार्ग अवरोधों को रोका जा सकता है। आप निम्न की मदद से अपने जोखिम को कम कर सकते हैं -

  • खाना खाने से पहले अत्यधिक मात्रा में शराब पीने से बचें। (और पढ़ें - शराब छुड़ाने के उपाय)
  • भोजन के छोटे-छोटे निवाले बनाकर खाएं।
  • भोजन को धीरे-धीरे खाएं।
  • जब छोटे बच्चे खा रहे होते हैं, तब उनका ध्यान रखें।
  • भोजन को अच्छे से चबाएं और फिर निगलें। 
  • सुनिश्चित करें कि आपके डेन्चर आपको ठीक तरीके से फिट होते हैं।
  • छोटी वस्तुओं को बच्चों से दूर रखें ताकि वे उन्हें निगल न लें।

अपने अभ्यास में निम्नलिखित चीजें शामिल करके, सांस लेने में दिक्कत पैदा करने वाले कारणों से बचें:

  • धूम्रपान से बचें – जब आप तंबाकू मुक्त हो जाते हैं, तो ह्रदय व फेफड़ें संबंधी रोग और कैंसर आदि के जोखिम कम होने शुरू हो जाते हैं। चाहे आप सालों से धूम्रपान कर रहे हों। (और पढ़ें - सिगरेट के नुकसान)
  • प्रदूषण के संपर्क में आने से बचें – जितना संभव हो सके एलर्जिक पदार्थों और विषाक्त पदार्थों वाले वातावरण में सांस लेने से बचें। (और पढ़ें - प्रदूषण रोकने के उपाय)
  • अगर वजन ज्यादा है, तो उसे कम करें या कम से कम उसे बढ़ने ना दें।
  • अपना ख्याल रखें, अगर आपको अपने अंदर कोई अंतर्निहित मेडिकल समस्या महसूस होती है, तो उसका उपचार करवाएं।
  • अपने कार्यों के लिए योजना बनाएं। डॉक्टर से इस बारे में बात करें कि अगर लक्षण बिगड़ने लग जाएं तो क्या करना चाहिए। (और पढ़ें - कफ के कारण
  • अधिक ऊंचाई वाले स्थानो पर परिश्रम करने की कोशिश ना करें।
  • यदि आप ऑक्सीजन लेने के लिए किसी विकल्प जैसे सप्लीमेंट ऑक्सीजन (Supplemental oxygen) पर आश्रित हैं, तो नियमित रूप से अपने उपकरणों की जांच करते रहें। सुनिश्चित करें की ऑक्सीजन की सप्लाई पर्याप्त मात्रा में मिल रही है और उपकरण ठीक से काम कर रहे हैं।

(और पढ़ें - वजन कम करने के घरेलू नुस्खे)

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सांस लेने में दिक्कत का परीक्षण - Diagnosis of Difficulty Breathing in Hindi

सांस लेने में परेशानी का परीक्षण कैसे किया जाता है?

इस समस्या का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर मरीज का शारीरिक परीक्षण करते हैं और मरीज तथा उसके परिवार की पिछली मेडिकल स्थिति के बारे में पूछते हैं। परीक्षण करने के दौरान कई अलग-अलग टेस्ट किए जा सकते हैं, जैसे:

  • ब्रोंकोस्कोपी - इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण को ब्रोंकोस्कोप कहा जाता है। बच्चों के फेफड़ों की जांच करने के लिए इस टेस्ट प्रक्रिया को किया जाता है। (और पढ़ें - ईसीजी टेस्ट क्या है)
  • लेरिंगोस्कोपी - इसमें डॉक्टर एक छोटे उपकरण का उपयोग करते हैं, जिससे बच्चों के गले, स्वर रज्जु, कंठनली और अन्य असामान्यताओं की जांच की जाती है।
  • पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट - इसको लंग (फेफड़े) फंक्शन टेस्ट के रूप में भी जाना जाता है। इस टेस्ट प्रक्रिया का इस्तेमाल अक्सर अस्थमा के मरीजों के फेफड़ों का आकलन करने के लिए किया जाता है। इस परीक्षण प्रक्रिया में दो प्रकार के टेस्ट होते हैं, जो स्पिरोमेट्री और मैथोकोलिन चैलेंज के नाम से जाने जाते हैं। (और पढ़ें - मैमोग्राफी क्या होता है)
    • स्पिरोमेटरी एक सरल श्वास परीक्षण होता है। इस टेस्ट को यह मापने के लिए किया जाता है कि आप अपने फेफड़ों से कितनी हवा निकाल सकते हैं और कितनी तीव्रता से निकाल सकते हैं। यह टेस्ट आमतौर पर अवरुद्ध वायुमार्ग की स्थिति को निर्धारित करता है और सामान्य रूप से इसका इस्तेमाल सीओपीडी (Chronic obstructive pulmonary disease) का परीक्षण करने के लिए किया जाता है।
    • मैथोकोलिन चैलेंज टेस्ट का इस्तेमाल अस्थमा के परीक्षण को स्थापित करने में मदद करने के लिए किया जाता है। आपके डॉक्टर को इस बारे में पता होता है कि आपकी स्थिति के अनुसार कौन सा टेस्ट आपके लिए सबसे अच्छा है। (और पढ़ें - बिलीरुबिन टेस्ट कैसे होता है)
  • कुछ मामलों में डॉक्टर छाती के अंदर (हृदय, फेफड़े, हड्डियों) की संरचनाओं को देखने के लिए एक्स-रे कर सकते हैं। निमोनिया का परीक्षण करने के लिए छाती का एक्स-रे एक अच्छा टेस्ट होता है। हालांकि, एक्स-रे से कई श्वास संबंधी समस्यों की पहचान नहीं हो पाती है।
  • श्वास संबंधी समस्याओं वाले कुछ लोगों के लिए छाती का सीटी स्कैन करना पड़ सकता है। इस स्कैन की मदद से फेफड़ों में किसी भी प्रकार की समस्या का पता लगाया जा सकता है। सीटी स्कैन में विस्तृत चित्र बनाने के लिए एक्स-रे और कंप्यूटर की जरूरत पड़ती है। (और पढ़ें - यूरिन टेस्ट क्या होता है)
  • यदि आप दीर्घकालिक साइनसाइटिस से पीड़ित हैं, तो डॉक्टर आपके लिए एक विशेष साइनस सीटी स्कैन (Sinus CT scan) का सुझाव दे सकते हैं। इस स्कैन को आपके साइनस का मूल्यांकन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 
  • फेफड़ों की बायोप्सी – इस में फेफड़ों के ऊतक से एक सैंपल लिया जाता है और माइक्रोस्कोप पर उसकी जांच की जाती है।
  • शरीर में मौजूद रक्त कोशिकाओं की संख्या पता करना ताकि यह पता लगाया जा सकें कि कहीं पीड़ित को एनीमिया तो नहीं या फिर कोई संक्रमण तो नहीं। रक्त कोशिकाओं के विश्लेषण से शरीर में मौजूद बीमारी की गंभीरता और श्वसन तंत्र में पनपी खामियों को पता लगाया जा सकता है।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट लिस्ट)

सांस लेने में तकलीफ का उपचार - Difficulty Breathing Treatment in Hindi

सांस लेने में दिक्कत का उपचार कैसे किया जाता है?

इस विकार के उपचार में दवाओं का इस्तेमाल आमतौर पर सांस लेने के दौरान हो रही दिक्कत को कम करने के लिए किया जाता है। दवाएं आमतौर पर मौखिक रूप से (टेबलेट आदि) और इंट्रावेनस से (नस में सुई लगाकर) दी जाती हैं। कई बार दवाओं को तरल पदार्थ के भाप के रूप में सांस लेकर भी लिया जाता है, इसमें नेबुलाइजर (Nebulizer) नामक उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है।

वह दवाएं जिनका इस्तेमाल सांस लेने में परेशानी के दौरान किया जाता है, उनमें निम्न प्रमुख हैं:

  • ओपिओइड दवा, जैसे मोर्फिन।
  • चिंता निवारक दवाएं जैसे लोराजेपम। (और पढ़ें - चिंता का इलाज)
  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स जैसे डेक्सामिथासोन या प्रेडनीसोन।
  • दवाएं जो आपके वायुमार्गों को खोलती हैं (जैसे ब्रांकोडायलेटर)।
  • निमोनिया या अन्य संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स (और पढ़ें - निमोनिया के घरेलू उपाय)।
  • खून में थक्के के लिए एंटीकोग्यूलेंट्स।
  • हृदय संबंधी समस्याओं के लिए डाइयुरेटिक्स।

(और पढ़ें - दिल की विफलता के कारण)

ऑक्सीजन थेरेपी -

ऑक्सीजन थेरेपी एक ऐसा उपचार है जिसमें आपको अतिरिक्त ऑक्सीजन प्रदान की जाती है। अगर आपको सांस लेने में कठिनाई हो रही है, तो इसकी मदद से यह सुनिश्चित किया जाता है कि आपको पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिले। इस प्रक्रिया में आप अपने मुंह पर एक मास्क लगाकर सांस लेते हैं या नाक (नथुना) में एक ट्यूब लगाकर ऑक्सीजन पहुंचाई जाती है। ऑक्सीजन थेरेपी आमतौर पर तभी मदद कर पाती है, जब आपके खून में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो। इस स्थिति को हाइपोक्सेमिया (Hypoxemia) कहा जाता है।

अन्य उपचार -

सांस लेने में तकलीफ की समस्या को मैनेज करने के लिए डॉक्टर आपको निम्न उपचारों का सुझाव भी दे सकते हैं।

  • थोरासेंटिसिस (Thoracentesis) का इस्तेमाल छाती और फेफड़ों के बीच विकसित हुए असामान्य द्रव को बाहर निकालने के लिए किया जा सकता है (Pleural effusion)। इस प्रक्रिया में डॉक्टर मरीज की त्वचा में एक खोखली सुई को डालते हैं, यह सुई फेफड़ों के बीच की जगह में पहुंचाई जाती है। इस जगह को प्लेयूरल कैविटी (Pleural cavity) कहा जाता है। अतिरिक्त जमा हुऐ द्रव को इसके माध्यम से निकाला जाता है।
  • पैरासेंटिसिस (Paracentesis) का इस्तेमाल पेट में बने अतिरिक्त द्रव को निकालने के लिए किया जाता है (Ascites)। इस प्रक्रिया में डॉक्टर त्वचा के अंदर से एक खोखली सुई या प्लास्टिक की ट्यूब (Catheter) को पेट में डालते हैं। 
  • जब वायुमार्ग रुक गए हों या अत्याधिक तंग (संकुचित) हो गए हों, तो स्टेंट प्लेसमेंट प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। जब वायुमार्ग के अंदर कहीं ट्यूमर बन जाता है या वायुमार्ग के आसपास की संरचना में दबाव आ जाता है, तब यह स्थिति पैदा हो जाती है। स्टेंट एक छोटी सी ट्यूब होती है, इसको वायुमार्ग को खोलकर रखने के लिए वायुमार्ग में स्थित कर दिया जाता है। डॉक्टर ब्रोंकोस्कोपी का इस्तेमाल करके इसके अंदर डालते हैं।
  • अगर ब्लड काउंट कम है, तो खून भी चढ़ाया जा सकता है। (और पढ़ें - सफेद रक्त कोशिकाएं कैसे बढ़ाएं)
  • अगर फेफड़ों या वायुमार्गों में कहीं पर कैंसर विकसित हो रहा है, तो उसको कम या नष्ट करने के लिए कैंसर का उपचार किया जा सकता है। इसके उपचार में रेडिएशन थेरेपी, कीमो थेरेपी और लेज़र थेरेपी आदि शामिल है।

(और पढ़ें - कैंसर में क्या खाना चाहिए)

जीवनशैली में बदलाव -

सांस लेने में कठिनाई के कारण के आधार पर, लोग अपनी जीवनशैली में कुछ ऐसे बदलाव कर सकते हैं, जिससे इस रोग के लक्षणों में सुधार किया जा सकता है।

निम्न बदलाव हो सकते हैं:

  • अगर सांस लेने में परेशानी मोटापे से जुड़ी है, तो वजन कम करें। (और पढ़ें - वजन कम करने के लिए डाइट चार्ट)
  • गर्मी के समय और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में एक्सरसाइज करने से बचें। (और पढ़ें - व्यायाम करने का सही समय)
  • धूम्रपान से बचें और धूम्रपान करने वाले दूसरे व्यक्ति के धुएं के संपर्क में आने से भी बचें।
  • एलर्जिक पदार्थों व अन्य प्रदूषकों से बचें।
  • अंतर्निहित समस्याओं के उपचार का ठीक से अनुसरण करें।

 (और पढ़ें - एलर्जी के उपाय)

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सांस लेने में दिक्कत में क्या खाना चाहिए? - What to eat during Difficulty Breathing in Hindi?

सांस लेने में दिक्कत होने पर क्या खाना चाहिए?

श्वसन संबंधी परेशानी होने पर निम्न खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए:

  • फल व सब्जियां
    फल और सब्जियां स्वस्थ आहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिनमें फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार भी शामिल है। ये एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं, इसलिए रोगों व संक्रमण आदि को दूर रखने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। (और पढ़ें - एंटीऑक्सीडेंट के फायदे)
     
  • नट्स व बीज: 
    ये स्वस्थ असंतृप्त वसा और अन्य कई मूल्यवान पोषक तत्वों के साथ-साथ विटामिन ई भी प्रदान करते हैं, जो की एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह कार्य करता है। नट व बीज में पाए जाने वाले तेल बलगम निर्माण में कमी करते हैं। (और पढ़ें - बलगम निकालने के उपाय)
     
  • मछली: 
    प्रोटीन के लिए मछली एक बहुमूल्य स्त्रोत है। मछली का सेवन ओमेगा 3 फैटी एसिड और रिकवरी के लिए महत्वपूर्ण ऊतकों की मरम्मत हेतु प्रोटीन और शारीरिक मजबूती को बढ़ावा देता है।

(और पढ़ें - प्रोटीन युक्त भोजन)



संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Breathing Problems
  2. Clinical Center. Living with dyspnea: How to breathe more easily . National Institutes of Health; U.S. Department of Health and Human Services. [internet].
  3. American Thoracic Society. Breathlessness. New York,United States of America. [internet].
  4. American Thoracic Society. Pulmonary Function Tests. New York,United States of America. [internet].
  5. American lung association. Shortness of Breath Symptoms, Causes and Risk Factors. Chicago, Illinois, United States

सांस लेने में दिक्कत के डॉक्टर

Dr. Anu Goyal Dr. Anu Goyal कान, नाक और गले सम्बन्धी विकारों का विज्ञान
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सांस लेने में दिक्कत की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Difficulty Breathing in Hindi

सांस लेने में दिक्कत के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।