कम उम्र में सफेद बाल होना - Premature Grey Hair in Hindi


उम्र बढ़ने के साथ बाल सफेद होना एक प्राकृतिक बदलाव है। हालांकि, मौजूदा समय में प्रदूषण और अन्य हार्मोनल कारणों से भी बालों के सफेद होने की समस्या देखने को मिल रही है। चिकित्सकीय भाषा में बालों के सफेद होने की प्रक्रिया को कैनिटाइस कहते हैं। महिला और पुरुष दोनों में ही यह समस्या देखने को मिलती है। पुरुषों में यह समस्या कलमों से शुरू होकर धीरे-धीरे पूरे सिर पर होने लगती है, वहीं महिलाओं में ​सिर के मध्य और उसके आसपास बाल सफेद होने शुरू होते हैं।

क्या आप बालों के सफेद होने के कारण जानते हैं? आज हम आपको बताएंगे बाल असल में सफेद क्यों हो जाते हैं, साथ ही समय से पहले होने वाली यह समस्या किन बीमारियों की ओर इशारा करती है?

  1. बालों में रंग कैसे आता है?
  2. बाल सफेद क्यों होते हैं?
  3. कम उम्र में बाल सफेद होने के कारण
  4. कम उम्र में बाल सफेद होने का इलाज
  5. कम उम्र में बालों को सफेद होने से बचाने के टिप्स
  6. सारांश

बालों में रंग कैसे आता है?

मानव शरीर में तीन पिगमेंट होते हैं, हीमोग्लोबिन, कैरोटीनॉयड और मेलेनिन पिगमेंट। बालों और त्वचा का रंग मेलेनिन पिगमेंट निर्धारित करते हैं।

  • मेलानिन का निर्माण मेलानोसाइट्स द्वारा होता है, जो विशेष वर्णक कोशिकाएं होती हैं। यह त्वचा की ऊपरी सतह पर होती हैं, इसे बालों के रोम के रूप में भी जाना जाता है, यह बालों को बढ़ाने में मदद करते हैं।
  • हेयर फॉलिकल्स में दो प्रकार के मेलेनिन होते हैं, इमेलानिन और फोमेलेनिन।
  • एक एकल हेयर फॉलिकल में दोनों में से कोई एक मेलेनिन मौजूद होता है।
  • इयूमेलानिन नामक काले-भूरे रंग का पिगमेंट बालों को काला और भूरा रंग देता है।
  • फेमोलेनिन नामक पीला या लाल पिगमेंट बालों को सुनहरा और सफेद रंग देता है।
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बाल सफेद क्यों होते हैं?

बालों के सफेद होने के पीछे दो सिद्धांत बताए गए हैं -

  1. पहला सिद्धांत कहता है कि उम्र के बढ़ने के साथ ही बालों को रंग देने वाले अवयव मेलेनिन का उत्पादन धीमा या बंद हो जाता है। ऐसे में बालों में मिलने वाले रंग द्रव में कमी आ जाती है, जिससे वह अपने रंग को छोड़ने लगते हैं।
  2. दूसरा सिद्धांत कहता है कि मानव के बाल तीन चरणों में विकसित होते हैं, वह हैं एनाजेन, कैटिजन और टेलोजेन। एनाजेन के दौरान बालों का विकास होता है, कैटिजन वह चरण होता है, जिसमें आमतौर पर बालों में कोई खास परिवर्तन देखने को नहीं मिलता और वह प्राकृतिक रूप से बढ़ते और टूटते रहते हैं। वहीं आखिर चरण टेलोजेन के दौरान बाल अपनी सतह छोड़ने और टूटने शुरू हो जाते हैं।

एनाजेन चरण के दौरान बालों को सक्रिय रूप से प्राकृतिक रूप से रंग मिलता है, कैटिजन चरण के दौरान यह प्रक्रिया बंद हो जाती है और टेलोजन के दौरान यह पूरी तरह से खत्म हो जाती है।

कम उम्र में बाल सफेद होने के कारण

जब यूरोपीए देशों में 20 की आयु से पहले, एशिया में 25 और अफ्रीका के लोगों में 30 से पहले बाल सफेद होने लगते हैं तो इस पैरामीटर पर उम्र से पहले बालों के सफेद होना माना जाता है। कम उम्र में ही बालों के सफेद हो जाने के कई कारण जैसे हार्मोनल और वातावरणीय कारण हो सकते हैं। वैसे तो बालों के समय से पहले सफेद होने का कोई सटीक कारण नहीं है, लेकिन कुछ ऐसी स्थितियां जरूर हैं जिनको इस समस्या से जोड़कर देखा जा सकता है।

  • आनुवंशिक कारक - माता-पिता या परिवार के किसी पीढ़ी में इस तरह की समस्या रही है तो यह आगे भी बनी रह सकती है। इंडियन जर्नल ऑफ डर्मेटोलॉजी, वेनेरोलॉजी एंड लेप्रोलॉजी में 2013 को पब्लिश रिपोर्ट में भी इस तथ्य की पुष्टि की गई है।
  • हाइपोथायरायडिज्म - हाइपोथायरायडिज्म (शरीर में थायराइड हार्मोन के स्तर में कमी) की समस्या से ग्रस्त लोगों में समय से पहले बालों के सफेद होने की आशंका होती है।
  • प्रोटीन की कमी - क्रॉशिअकोर, नेफ्रोसिस, सीलिएक रोग, सहित कुछ अन्य विकारों के कारण शरीर में आई प्रोटीन की कमी के चलते कम उम्र में ही बाल सफेद होने शुरू हो जाते हैं।
  • मिनरल्स की कमी - आयरन और कॉपर जैसे मिनरल्स की कमी के कारण भी कम उम्र में ही बाल सफेद हो जाते हैं।
  • विटामिन की कमी - शरीर में विटामिन बी 12 की कमी के अधिकतर लोगों में कम उम्र में ही बाल सफेद होने की समस्या देखी गई है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ट्राइकोलॉजी की साइट पर 2016 में एक स्टडी प्रकाशित की गई। इस स्टडी में भारत में रहने वाले 25 वर्ष से कम उम्र के युवाओं के बाल सफेद होने के पीछे के मुख्य कारणों पर गौर किया गया। इसमें सीरम फेरिटिन का निम्न स्तर पाया गया, जो शरीर में आयरन को संग्रहीत करता है।
  • विटिलिगो - कुछ मामलों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वयं के मेलानोसाइट्स पर हमला करना शुरू कर देती है, जिसके चलते भी बाल सफेद होते हैं।
  • वॉन रेकलिंगज़ोन रोग (न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस) - यह एक आनुवंशिक बीमारी है, जिसमें ट्यूमर बनने लगता है, साथ ही हड्डियों और त्वचा का असामान्य विकास भी शुरू हो जाता है।
  • डाउन सिंड्रोम - डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार है। इसके चलते चेहरा और नाक चपटा हो जाता है, गर्दन छोटी हो जाती है, मानसिक विकलांगता और बालों का रंग सफेद होने लगता है।
  • वर्नर सिंड्रोम - यह एक आनुवंशिक बीमारी है, जिसमें प्रभावित व्यक्ति की त्वचा में परिवर्तन, किशोर मोतियाबिंद (बच्चों में मोतियाबिंद), छोटे कद और समय से पहले बूढ़े होने के लक्षण हो सकते हैं।
  • दवाएं - क्लोरोक्वीन (मलेरिया के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा), ट्राइपरानॉल (कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाली दवा) व फेनिलथियोरिया (डीएनए परीक्षण में प्रयुक्त) जैसी कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट के रूप में भी बालों का रंग सफेद होने लगता है।
  • तनाव - अध्ययनों से पता चला है कि तनाव के वक्त बनने वाले हार्मोन (एड्रेनालाईन, कोर्टिसोल) मेलानोसाइट कोशिकाओं को प्रभावित करना शुरू कर देते हैं, परिणामस्वरूप बालों के रंग सफेद होने लगते हैं। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की स्टडी से पता चलता है कि जब हम तनाव में होते हैं, तो बालों को प्राकृतिक रंग देने वाले सेल्स खत्म होने लगते हैं। यह स्टडी नेचर मेडिसिन के 2013 के संस्करण में उपलब्ध है।
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कम उम्र में बाल सफेद होने का इलाज

कम आयु में ही बालों के सफेद हो जाने का कोई विशेष कारण स्प्ष्ट नहीं है। ऐसे में इसका कोई विशेष इलाज भी नहीं है। इसके इलाज को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, कुछ उपचारों को इस समस्या से निजात पाने के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है। आइए जानते हैं किन उपचारों के माध्यम से कम आयु में ही बालों के सफेद हो जाने की समस्या को दूर किया जा सकता है।

  • कम उम्र में बालों की सफेदी को छिपाने के लिए लोगों ने बालों को रंगना शुरू कर दिया है। बाजार में कई प्रकार के प्राकृतिक रंग जैसे हिना, अमालकी, भृंगराज के माध्यम से बालों को रंगा जाता है।
  • एंटी एजिंग के लिए उपयोगी माने जाने वाले ग्रीन टी, पॉलीफेनोल्स, सेलेनियम, कॉपर, फाइटोएस्ट्रोजेन और मेलाटोनिन जैसे यौगिकों का उपयोग भी फायदेमंद है।
  • विटामिन बी की कमी और हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में विटामिन बी के टेबलेट और उचित आहार लेने से भी इस समस्या को दूर किया जा सकता है।
  • एक अध्ययन ने साबित किया है कि दो महीने के लिए 200 मिलीग्राम एपी-एमिनोबेनजोइक एसिड (पीएबीए) के उपयोग से कुछ समय के लिए बालों को काला किया जा सकता है। इस प्रकार इसे अस्थायी रूप से बाल काले करने वाली दवा कहा जा सकता है।
  • सिन्नैमिडोप्रोपिल्ट्रीमोनियम क्लोराइड एक अवशोषक है और इसका उपयोग बालों के फोटोप्रोटेक्शन के लिए किया जाता है। इसे घर पर इस्तेमाल किया जा सकता है,यह शैम्पू के रूप में उपलब्ध है।
  • एक थेरपी के रूप में सूरज से निकलने वाली पराबैंगनी ए-किरणों के स्रोत के रूप में पैसोरालेंस से बालों की फोटोथेरेपी की जाती है, यह रोम में मौजूद मेलानोसाइट्स को फिर से सक्रिय कर देती है, जिससे बालों को दोबारा काला किया जा सकता है।
  • हार्मोनल एंटी-एजिंग प्रोटोकॉल का उपयोग करने से बालों की मोटाई और विकास के साथ कुछ मामलों में बालों को काला करने में भी सफलता मिली है।
  • लाइपोसोम के माध्यम से बालों के रोम में मेलेनिन पहुंचाने के परिणामस्वरूप बालों के रंग को काला किया जाता है। लिपोसोम्स वेसिकल्स होते हैं, जिनका उपयोग शरीर की कोशिकाओं तक ड्रग्स या डीएनए जैसे सूक्ष्म पदार्थ पहुंचाने के लिए किया जाता है। उनका उपयोग मैस्कुलर और जीन थेरेपी के माध्यम से बालों के रंग को फिर से सही करने के लिए किया जाता है।

कम उम्र में बालों को सफेद होने से बचाने के टिप्स

बालों का सफेद होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो आपकी उम्र के अनुसार होती है। बालों में मेलेनिन का उत्पादन उम्र के साथ कम हो जाता है। ऐसे में उम्र बढ़ने के साथ-साथ बालों के सफेद होने की प्रक्रिया भी होती रहती है।

समय से पहले बालों का सफेद होना एक ऐसी समस्या है जो कई लोगों में सामने आती है, लेकिन इसका कोई विशेष कारण नहीं है। यह आनुवंशिक कारकों, विटामिन और प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों की कमी, हाइपोथायरायडिज्म, विटिलिगो आदि के चलते हो सकता है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि तनाव या कुछ दवाओं का सेवन भी इस समस्या का कारण हो सकता है। पोषक तत्वों का सेवन और स्वस्थ जीवन शैली का अपनाकर आप इस समस्या को रोक सकते हैं।

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सारांश

बालों का सफेद होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो उम्र बढ़ने के साथ होती है। उम्र के साथ बालों में मेलेनिन का उत्पादन कम हो जाता है। इसलिए, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे बाल सफेद होते जाते हैं। वहीं, समय से पहले बालों का सफेद होना ऐसी समस्या है, जिसका कई लोगों को सामना करना पड़ता है, लेकिन इसका कोई एक सामान्य कारण नहीं है। यह आनुवंशिक कारकों, विटामिन और प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों की कमी, पहले से मौजूद स्वास्थ्य स्थितियों जैसे हाइपोथायरायडिज्म, विटिलिगो, तनाव या कुछ दवाओं के उपयोग के कारण हो सकता है। ऐसे में अच्छी डाइट और स्वस्थ जीवनशैली के जरिए बालों को समय से पहले सफेद होने से रोका जा सकता है।

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