लंबे जीवन की चाहत हम सबकी होती है। हमारे देश में आशीर्वाद भी चिरायु (जुग-जुग जियो, आयुष्मान भव:) का ही दिया जाता है। ऐसा आशीर्वाद देते हुए हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू को भूल जाते हैं। वह पहलू है स्वास्थ्य का। अच्छे स्वास्थ्य के बिना लंबी आयु किसी सजा से कम नहीं होती। स्वास्थ्य अच्छा नहीं होगा तो जीवन का दूसरा अहम पहलू यानि खुशी भी नहीं होगी। जब स्वास्थ्य और खुशी दोनों ही नहीं हैं तो फिर लंबे जीवन का क्या फायदा। हाल में भारत सरकार के एक सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे (2013-17) में पता चला है कि देश में पुरुषों की औसत आयु 67.8 वर्ष है। यह पिछले सर्वे (2012-16) के 67.4 वर्ष से कुछ ज्यादा है। लंबी आयु की चाहत अलग बात है, लेकिन अस्वस्थ और पीड़ादायक लंबा जीवन कोई नहीं चाहता। यहां जानते हैं पुरुषों के स्वास्थ्य से जुड़े अहम पहलुओं के बारे में। ताकि, आप लंबे जीवन के साथ ही स्वस्थ और खुशियों से परिपूर्ण जीवन जी सकें।
महत्वपूर्ण बात सबसे पहले -
बीमारियों की रोकथाम
इससे व्यक्ति को बेहतर गुणवत्ता के साथ ही लंबे समय तक जीवित रहने का अवसर मिल सकता है। खासतौर पर भारतीय पुरुषों के लिए यह इन दो प्रमुख कारणों से जरूरी हो जाता है।
एक तो यह कि पुरुषों को महिलाओं के मुकाबले कम उम्र में ही दिल की बीमारी जैसी कुछ बीमारियां घेर लेती हैं। दूसरा यह कि दुनियाभर में तपेदिक (टीबी) की बीमारी से पीड़ितों में भारत का बहुत बड़ा हिस्सा है। इस बीमारी में बैक्टीरियल इंफेक्शन फेफड़ों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। यह बीमारी भी महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को अपना शिकार बनाती है। भारत में पुरुषों की मौत के लिए यह बीमारी बड़े पैमाने पर जिम्मेदार है।
अच्छी आदतें पालना
इसमें स्वस्थ और पौष्टिक भोजन से लेकर नियमित व्यायाम, निश्चित समयावधि पर स्वास्थ्य देखभाल (हेल्थ चेकअप) ताकि प्रोस्टेट बढ़ने या किडनी में पत्थरी आदि का समय पर पता लगाया जा सके। इसके अलावा पुरुषों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले मिथकों पर खुली चर्चा भी इन अच्छी आदतों में शुमार है।
ऐसा भी होता है
हस्तमैथुन या शारीरिक संबंध (सेक्स) के दौरान वीर्य निकल जाने पर कुछ पुरुषों को बड़े नुकसान की भावना (ग्रेट सेंस ऑफ लॉस) घेर लेती है। इसे धात सिंड्रोम कहा जाता है। इसका संबंध सांस्कृतिक या नैतिक मूल्यों से होता है।
बुरी आदतें
कभी सामाजिक दबाव में तो कभी टेस्ट के चक्कर में पुरुष बहुत जल्दी बुरी आदतों के शिकार हो जाते हैं। इनमें शराब का अत्यधिक सेवन करना, तंबाकू चबाना या पीना आदि आते हैं। इसके अलावा भारत में पुरुष कई तरह के जोखिम भी उठाते हैं। इन सबका बुरा असर उनकी सेहत पर पड़ता है। उदाहरण के लिए भारत में महिलाओं से ज्यादा पुरुषों की सड़क हादसों में मौत होती है। देश में 15 साल या इससे अधिक उम्र के 19 फीसद पुरुष धुम्रपान करते हैं, जबकि ऐसी महिलाओं की संख्या 2 फीसद है। धूम्रपान की वजह से देशभर में हर वर्ष करीब 10 लाख लोगों की मौत होती है। यही नहीं देश में हर वर्ष करीब 3 लाख लोगों की मौत तंबाकू चबाने से भी होती है।
इन सबके अलावा कई अन्य कारण भी हैं, जिनकी वजह से भारत में पुरुषों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ता है। स्वास्थ्य पर असर डालने वाले उपरोक्त कारणों के निराकरण की बहुत जरूरत है। इसके अलावा छोटी-बड़ी फैक्टरियों में कैमिकल के संपर्क में आने से भी कई पुरुषों को जान गंवानी पड़ती है, जबकि कईयों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। यही नहीं, पुरुषों में आत्महत्या की दर भी ज्यादा है। यौन संचारित रोगों (एसटीडी) जैसी स्वास्थ्य चुनौतियों के प्रति गंभीरता न दिखाना भी पुरुषों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है।