टेस्टोस्टेरोन का संबंध सेक्स ड्राइव से है, जिसे पुरुष सेक्स ड्राइव से जोड़कर देखा जाता है. हस्तमैथुन और सेक्स के दौरान टेस्टोस्टेरोन के स्तर पर सीधा प्रभाव पड़ता है.
1972 में किए गए एक छोटे से अध्ययन के अनुसार, हस्तमैथुन से स्खलन के स्तर पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ा, जिससे यह समझा जा सकता है कि हस्तमैथुन से टेस्टोस्टेरोन के लेवल पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है. वहीं, एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) के अनुसार, साल 2001 में 10 वयस्कों पर किए गए अध्ययन के अनुसार, 3 सप्ताह तक हस्तमैथुन की वजह से टी लेवल यानी टेस्टोस्टेरोन के स्तर पर मामूली बढ़त देखी गई.
साल 2007 में चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि बार-बार हस्तमैथुन करने से मस्तिष्क में एण्ड्रोजन रिसेप्टर्स कम होने लगते हैं. एण्ड्रोजन रिसेप्टर्स शरीर को टेस्टोस्टेरोन का उपयोग करने में मदद करते हैं. इस बीच, 2007 में किए गए अध्ययन के अनुसार, बार-बार हस्तमैथुन करने से एस्ट्रोजन रिसेप्टर में तेजी आती है. इसलिए हस्तमैथुन से टेस्टोस्टेरोन कम होता है या नहीं स्पष्ट नहीं है.
वैसे, अगर जरूरत से ज्यादा हस्तमैथुन किया जाए, तो व्यक्ति को इसकी लत लग सकती है. हस्तमैथुन से जुड़े सिर्फ टेस्टोस्टेरोन के स्तर ही नहीं, बल्कि कई ऐसे मिथ हैं, जिसे लोग सच समझ लेते हैं, जैसे टेस्टोस्टेरोन के कारण इनफर्टिलिटी, डिहाइड्रेशन, हार्मोनल असंतुलन, लिंग के साइज या आकार में बदलाव होना, लेकिन रिसर्च के अनुसार ऐसा कुछ नहीं होता है.
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