New Year Bumper Sale @ Rs. 1 X
Nagarjuna Chitrak Haritaki Avleha बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः दमा, ब्रोंकाइटिस, सर्दी जुकाम, फ्लू, परागज ज्वर के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। Nagarjuna Chitrak Haritaki Avleha के मुख्य घटक हैं चित्रक, हरीतकी (हरड़), काली मिर्च, पिप्पली, अदरक जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। Nagarjuna Chitrak Haritaki Avleha की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
चित्रक |
|
हरीतकी (हरड़) |
|
काली मिर्च |
|
पिप्पली |
|
अदरक |
|
Nagarjuna Chitrak Haritaki Avleha (200 Gm) इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
अन्य लाभ
यह अधिकतर मामलों में दी जाने वाली Nagarjuna Chitrak Haritaki Avleha (200 Gm) की खुराक है। कृपया याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है। इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर Nagarjuna Chitrak Haritaki Avleha (200 Gm) की खुराक अलग हो सकती है।
आयु वर्ग | खुराक |
व्यस्क |
|
चिकित्सा साहित्य में Nagarjuna Chitrak Haritaki Avleha के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Nagarjuna Chitrak Haritaki Avleha का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
इस जानकारी के लेखक है -
B.Pharma, फार्मेसी
5 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No 62-63
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 3. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2001: Page No - 115 - 117
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 4. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2004: Page No - 105 - 106
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No - 138 -139