सर्दी जुकाम को राइनाइटिस भी कहा जाता है। ये समस्या खासतौर पर एलर्जी या वायरल संक्रमण के कारण होती है एवं कई बीमारियों के सामान्य लक्षण के रूप में सर्दी जुकाम हो सकता है। इसे आयुर्वेद में प्रतिश्याय कहा गया है। इस स्थिति में नासिक श्लेष्म में सूजन, छींक, सिरदर्द, बहती नाक और बुखार रहता है। शरीर में वात दोष में असंतुलन आने पर सर्दी जुकाम की शिकायत हो सकती है।
शरीर में जमा श्लेष्म को बाहर निकालने के लिए पंचकर्म थेरेपी और अन्य चिकित्साओं जैसे कि नास्य (नासिका मार्ग से औषधि डालने की विधि), स्वेदन (पसीना लाने की विधि), वमन (औषधियों से उल्टी लाने की विधि), धूमपान (जड़ी बूटियों का धुआं देने की विधि) और बस्ती (एनिमा) का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार ये थेरेपियां शरीर में वात को संतुलित करती हैं। कई जड़ी बूटियां जैसे कि तुलसी, मारीच (काली मिर्च), अडूसा (वसाका), हरिद्रा (हल्दी) और अदरक भी सर्दी जुकाम के इलाज में बहुत असरकारी हैं।
ये जड़ी बूटियां विभिन्न रूप और खुराक में उपलब्ध हैं। पंचकर्म के साथ उचित निदान और नियमित औषधि एवं स्वस्थ जीवनशैली से सर्दी जुकाम की समस्या को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।