हरीतकी त्रिफला में पाए जाने वाले तीनों फलों में से एक है। यह एक बहुत ही प्रसिद्ध कायाकल्प जड़ी बूटी है। हरीतकी उत्तर भारत में अधिक मात्रा में पाया जाता है। भारत में विशेषतः निचले हिमालय क्षेत्र में रावी तट से लेकर पूर्व बंगाल-असम तक पाँच हजार फीट की ऊँचाई पर पाया जाता है। इस पेड़ के फल, जड़ें और छाल का उपयोग हर्बल दवाओं को तैयार करने में किया जाता है। हरड़ फल एक गुठलीदार जैसा फल है जिसकी लंबाई 2cm से 4.5cm तक और चौड़ाई 1.2cm से 2.5cm होती है। इसका आकार अंडाकार होता है और यह पकने के बाद हरे रंग से काले रंग में बदल जाते हैं। भारत में हरड़ को अनेक नामों से जाना जाता है, इसे उर्दू और हिंदी में "हरद", तमिल में "कदुक्कई", मराठी में "हिरदा", असमिया में "हिलिखा" और बंगाली में "होरिटोकी" कहा जाता है। आयुर्वेद में इसे अमृता, प्राणदा, कायस्था आदि नामों से जाना जाता है। हरीतकी में नमक को छोड़कर पांचो रस मधुर, तीखा, कड़वा, कसैला और खट्टा पाए जाते हैं।

  1. हरीतकी फल को कैसे खाएं - How to Eat Haritaki in Hindi
  2. हरड़ के फायदे - Haritaki Benefits in Hindi
  3. हरड़ के अन्य फायदे - Other benefits of Haritaki in Hindi
  4. हरड़ के नुकसान - Haritaki Side Effects in Hindi

हरीतकी फल को इस प्रकार खाएं -

  • हरीतकी के फल को चबाने से पाचन शक्ति बढ़ता है। (और पढ़ें- पाचन शक्ति बढ़ाने के उपाए)
  • यदि यह एक पेस्ट के रूप में बनाकर खाया जाता है, तो यह अंतड़ियाँ (आंतो) को साफ और पाचन क्रिया को शुद्ध करता है।
  • यदि यह भाप से पकाया या उबाला जाए, तो यह मालब्सॉर्प्शन (malabsorption) सिंड्रोम में उपयोगी होता है।
  • यदि यह तल कर प्रयोग किया जाता है, तो यह त्रिदोष असंतुलन की स्थिति में उपयोगी है।
  • यदि हरीतकी भोजन के बाद लिया जाता है, तो यह विषाक्त भोजन के कारण पैदा हुए सभी विषैले प्रभावो को खत्म करने में मदद करता है।
  • यदि यह नमक के साथ लिया जाता है, तो यह कफ संतुलन में उपयोगी होता है।
  • अगर हरीतकी चीनी के साथ लिया जाता है, तो यह पित्त संतुलन और घी के साथ वात विकारों के संतुलन में मदद करता है।

(और पढ़ें - वात, पित्त और कफ असंतुलन)

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त्रिदोष नाशक औषधि है हरीतकी - Haritaki effects on Tridosha in Hindi

इसके मीठे, कड़वे और कसैले स्वाद के कारण, यह पित्त के संतुलन को बनाए रखता है। इसके तीखे कड़वे और कसैले स्वाद के कारण, यह कफ के संतुलन को बनाए रखता है। और अपने खट्टे स्वाद की वजह से, हरीतकी वात संतुलन को भी बनाकर रखता है।

(और पढ़ें - वात पित्त और कफ क्या है)

हरीतकी चूर्ण बेनिफिट्स बवासीर के लिए - Haritaki for Hemorrhoids Treatment in Hindi

हरीतकी मल त्यागने जैसी जटिलताओं में मदद करता है, बवासीर उन्हीं जटिलताओं में से एक है। यह बड़े पैमाने पर बवासीर को कम करने और रक्तस्राव को रोकने में मदद करता है। सिट्ज बाथ (sitz bath) के लिए 2 बड़े चम्मच हरीतकी या त्रिफला चूर्ण पानी की आधी बाल्टी में स्नान करने से 10 मिनट पहले डालें, यह सूजन को कम करने और घाव भरने में उपयोगी है। 

(और पढ़ें – बवासीर के घरेलू उपाए)

हरीतकी के उपयोग गोमूत्र के साथ सूजन के विकारों में - Haritaki for Inflammatory Disease in Hindi

एडेमा (पानी वाली सूजन) कफ दोष के कारण होती है, इस विकार के इलाज़ के लिए गोमूत्र को हरतकी के साथ दिया जाता है। 

(और पढ़ें – सर्दियों में अंगुलियों में सूजन)

हरड़ के फायदे पाचन शक्ति के लिए - Harad for Irritable Bowel Syndrome in Hindi

नियमित रूप से हरड़ लेना आपके पाचन तंत्र के कार्य को सुधर सकता है, आंतों को स्वस्थ कर सकता है और आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन से पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ा सकता है। एक अध्ययन ने हरड़ को आंतों के लिए महत्वपूर्ण बताया है। इसका नियमित उपयोग आसानी से मल त्यागने में उपयोगी हो सकता है। 1-3 ग्राम हरड़ को एक कप गर्म पानी में मिलाकर लेने से अमा (बदलता पाचन और चयापचय) में राहत मिलती है।

(और पढ़ें- पाचन तंत्र कैसे मजबूत करे)

हरड़ के गुण दूर करें तिल्ली रोग - Haritaki for splenomegaly in Hindi

तिल्ली बढ़ने के उपचार के लिए, 3 - 5 ग्राम हरड़ दिन में एक या दो बार 2- 3 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर दिया जाता है।

हर्रे का उपयोग करें दस्त में - Harad for Diarrhea in Hindi

कच्चे हरड़ के फलों को पीसकर चटनी बनाएँ और एक चम्मच दिन में 3 बार लेने से दस्त बंद हों जाएंगे। यह शरीर और मलाशय में हल्कापन लाता है जिस कारण रोग जल्दी ठीक हो जाते हैं। 

(और पढ़ें – दस्त का घरेलू इलाज)

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हरीतकी पाउडर दिलाए उल्टी में राहत - Haritaki for Vomiting in Hindi

यदि आपको उल्टी और मतली जैसा महसूस हो रहा है तो अदरक, जीरा, या दालचीनी की हर्बल चाय का सेवन करना बेहतर होता है। एक अध्ययन से यह भी पता चला है कि हरड़ का इस्तेमाल उलटी के अनुभव को दूर करने में मदद कर सकता है। विरेचन उपचार के दौरान, हरीतकी पाउडर शहद के साथ विषाक्त पदार्थों को बहार निकालने के लिए उल्टी के इलाज में दिया जाता है।

(और पढ़ें- गर्भावस्था में उल्टी और मतली आना)

हरीतकी चूर्ण यौन स्वास्थ्य के लिए - Haritaki for Sexual Health in Hindi

हरीतकी चूर्ण के फायदे यौन स्वास्थ्य के लिए -

  • हरीतकी का यौन स्वास्थ्य पर मिश्रित प्रभाव पड़ता है।
  • इसमें उम्र को कम करने वाले गुण होते हैं। हरीतकी सेक्स पावर बढ़ाने के लिए प्रतिदिन 1-2 ग्राम एक महीने तक खाएँ।
  • लेकिन लंबी अवधि के उपयोग पर, अपने गर्म और कसैले गुण के कारण, हरीतकी यौन शक्ति में कमी का कारण बन सकता है।
  • हरीतकी शीघ्रपतन के उपचार में उपयोगी है। लेकिन हरड़ कम वीर्य की मात्रा, कम शुक्राणु और उन्नत शिश्न की समस्याओं से बचने के लिए बेहतर है। 

(और पढ़ें – यौन-शक्ति को बढ़ाने वाले आहार)

हरड़ के फायदे त्वचा और बालों के लिए - Haritaki for Skin and Hair in Hindi

हरड़ के पाउडर को अक्सर त्वचा की समस्याओं, जैसे की मुँहासे और त्वचा के चकत्ते, साथ ही बालों का झड़ना और डैंड्रफ़ दोनों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

मुहांसों के लिए हररद के पाउडर को गर्म पानी में मिलाएं और इसे ठंडा होने पर सीधे प्रभावित क्षेत्र में लगाएं। इस पेस्ट का इस्तेमाल आपके चेहरे को निखारने में मदद करेगा।

बालों पर लगाने के लिए हरड़ के पाउडर को किसी तेल में मिलाकर लगाएं। आमतौर पर हरड़ को अमला के तेल के साथ मिलाकर बालों में लगाया जाता है। इससे रुसी और बालों का झड़ना बंद हो सकता है।

(और पढ़ें- आंवला तेल के फायदे)

हरड़ के फायदे मुँह और फेफड़ों के लिए - Haritaki for Mouth and Lung in Hindi

हरड़ का पाउडर अक्सर मुंह के छाले, मौखिक घावों और मसूड़ों के रोग के लिए प्रयोग किया जाता है। भारत में, हरड़ को अनेक सूखे मेवों के साथ मिलाकर, इन्हें पानी में डालकर उबाल कर उस पानी को माउथवाश की तरह इस्तेमाल किया जाता है। (और पढ़ें- मसूड़ों की सूजन)

ठंडा होने पर, इस मिश्रण से दिन में कई बार कुल्ला करें। यह नियमित रूप से उपयोग किए जाने पर दांतों की समस्याओं को रोकने में मदद करने के लिए प्रभावशाली माना जाता है। (और पढ़ें- दांत दर्द के घरेलू उपाए)

खांसी, ब्रोंकाइटिस (bronchitis) और फेफड़ों की अन्य समस्याओं के लिए हरड़ का उपयोग किया जाता है। इसके लिए हरड़ के पाउडर के लगभग आधे चम्मच शहद के साथ मिलाएं और धीरे-धीरे इसे पिएं। (और पढ़ें- फेफड़े में संक्रमण)

  • हरड़ का सेवन कब्ज से छुटकारा दिलाता है। (और पढ़ें - कब्ज होने पर घरेलू उपाय)
  • हरड़ का उपयोग मूत्र पथ की समस्याओं को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। वजन घटाने के लिए हरड़ काफी लाभदायक माना जाता है। (और पढ़ें- बार बार पेशाब आना)
  • दिल के रोगों से बचने के लिए हरड़ का नियमित रूप से सेवन करें।
  • त्वचा की एलर्जी से लड़ने में हरड़ बहुत उपयोगी है। यह कान और नाक की बाली से हुई एलर्जी का इलाज करता है। सोने और चांदी से बने गहने से कोई एलर्जी नहीं होती है लेकिन धातु के बने गहनों से एलर्जी और त्वचा पर चकत्ते हो सकते हैं। (और पढ़ें- एलर्जी के घरेलू उपाए)
  • हरड़ का इस्तेमाल खांसी-जुकाम को रोकता है। (और पढ़ें - जुकाम का घरेलू उपाय)
  • ब्लड शुगर के स्तर को नियमित बनाए रखने के लिए हरड़ का सेवन किया जा सकता है।
  • हरड़ में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं जो वायरल और संक्रमण को रोकने का काम करते हैं।
  • हरीतकी त्वचा रोगों में उपयोगी है। (और पढ़ें - त्वचा रोग का उपाय)
  • पेट में ट्यूमर, सूजन में उपयोगी है।
  • एनीमिया, यकृत रोग के प्रारंभिक चरणों, प्रलाप आदि में उपयोगी है। (और पढ़ें - एनीमिया के कारण)
  • यह सिर से संबंधित रोग, सिर दर्द, शरीर दर्द आदि में उपयोग किया जाता है। (और पढ़ें – सिर दर्द के घरेलु उपाय)
  • यह दस्त, पेचिश त्वचा रोगों में उपयोगी है।
  • भूख न लगना, खांसी, सर्दी, आवाज, छाती की जकड़न, छाती के रोगों आदि में उपयोगी है। (और पढ़ें - खांसी का इलाज)
  • हरीतकी नपुंसकता, कब्ज में उपयोगी है।
  • हरीतकी आँखों के लिए अच्छा है और दृष्टि शक्ति में सुधार करता है।
  • यह पौष्टिक है और शरीर के वजन में सुधार करता है।
  • यह बुद्धि में सुधार करता है। (और पढ़ें- याददाश्त बढ़ाने के घरेलू उपाए)

हालांकि हरीतकी के बहुत स्वास्थ्य लाभ होते हैं, किंतु इसके कसैले और गर्म प्रकृति के कारण है, कुछ मामलों में यह विपरीत संकेत दे सकता है। हरीतकी नमी को अवशोषित, प्रकृति में वजन कम करने वाला होता है। अत: इससे गर्भावस्था के दौरान बचने की सलाह दी जाती है।

(और पढ़ें - वजन कम करने के उपाय और प्रेगनेंट करने का तरीका)

वजन घटाने का सही उपाय-मोटापे से परेशान? वजन कम करने में असफल? myUpchar आयुर्वेद मेदारोध फैट रेड्यूसर जूस द्वारा अब आसानी से वजन नियंत्रित करें। आज ही शुरू करें और स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।

हरीतकी को शिशुओं और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से दूर रखना चाहिए। यह बच्चों को चिकित्सक की देखरेख में ही दी जानी चाहिए।
स्तनपान कराने वाली मां को भी इसका उपयोग नही करना चाहिए। इससे मां के दूध के उत्पादन में कमी हो सकती है। (और पढ़ें- स्तनपान के फायदे)

हरीतकी से बचना अच्छा होगा कुछ मामलो में जैसे -

  • जिनकी प्रतिरोधक क्षमता और शक्ति कमज़ोर हो गई है उन्हें हरीतकी का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • जो शुष्क और दुर्बल महसूस कर रहे हैं उन्हें भी हरीतकी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • दुबले शरीर वाले और जिन्होने लंबे समय के लिए उपवास किया है। (और पढ़ें - मोटा होने के उपाय)
  • जो लोग बढ़ी हुई पित्त (जलन), अपच के साथ पीड़ित है। (और पढ़ें - अपच का घरेलू इलाज)
  • उनको जो यौन गतिविधि की वृद्धि और शराब के कारण क्षीण है। (और पढ़ें- शराब छोड़ने के घरेलू उपाए)

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संदर्भ

  1. Peterson CT et al. Therapeutic Uses of Triphala in Ayurvedic Medicine. J Altern Complement Med. 2017 Aug;23(8):607-614. PMID: 28696777
  2. Savitha et al. Pleiotrophic Evaluation of Haritaki. American Journal of Phytomedicine and Clinical Therapeutics
  3. Jirankalgikar YM, Ashok BK, Dwivedi RR. A comparative evaluation of intestinal transit time of two dosage forms of Haritaki. Ayu. 2012 Jul;33(3):447-9. PMID: 23723658
  4. Peterson CT, Denniston K, Chopra D. Therapeutic Uses of Triphala in Ayurvedic Medicine. J Altern Complement Med. 2017 Aug;23(8):607-614. PMID: 28696777
  5. V. Maruthappan, K. Sakthi Shree. HYPOLIPIDEMIC ACTIVITY OF HARITAKI (TERMINALIA CHEBULA) IN ATHEROGENIC DIET INDUCED HYPERLIPIDEMIC RATS . J Adv Pharm Technol Res. 2010 Apr-Jun; 1(2): 229–235. PMID: 22247850
  6. Aruna S et al. Haritaki A Boon To Herbalism – A Review. Sch. Acad. J. Biosci., 2014; 2(2):132-136
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