हरीतकी त्रिफला में पाए जाने वाले तीनों फलों में से एक है। यह एक बहुत ही प्रसिद्ध कायाकल्प जड़ी बूटी है। हरीतकी उत्तर भारत में अधिक मात्रा में पाया जाता है। भारत में विशेषतः निचले हिमालय क्षेत्र में रावी तट से लेकर पूर्व बंगाल-असम तक पाँच हजार फीट की ऊँचाई पर पाया जाता है। इस पेड़ के फल, जड़ें और छाल का उपयोग हर्बल दवाओं को तैयार करने में किया जाता है। हरड़ फल एक गुठलीदार जैसा फल है जिसकी लंबाई 2cm से 4.5cm तक और चौड़ाई 1.2cm से 2.5cm होती है। इसका आकार अंडाकार होता है और यह पकने के बाद हरे रंग से काले रंग में बदल जाते हैं। भारत में हरड़ को अनेक नामों से जाना जाता है, इसे उर्दू और हिंदी में "हरद", तमिल में "कदुक्कई", मराठी में "हिरदा", असमिया में "हिलिखा" और बंगाली में "होरिटोकी" कहा जाता है। आयुर्वेद में इसे अमृता, प्राणदा, कायस्था आदि नामों से जाना जाता है। हरीतकी में नमक को छोड़कर पांचो रस मधुर, तीखा, कड़वा, कसैला और खट्टा पाए जाते हैं।