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Dr Ortho Oil बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, कंधे में दर्द, गर्दन में दर्द, कमर दर्द, जोड़ों में अकड़न के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा Dr Ortho Oil का उपयोग कुछ दूसरी समस्याओं के लिए भी किया जा सकता है। इनके बारे में नीचे विस्तार से जानकारी दी गयी है। Dr Ortho Oil के मुख्य घटक हैं गंधपुरा, कपूर, निर्गुण्डी, पुदीना, चीड़, तिल का तेल, अलसी जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। Dr Ortho Oil की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
गंधपुरा |
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कपूर |
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निर्गुण्डी |
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पुदीना |
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चीड़ |
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तिल का तेल |
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अलसी |
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Dr Ortho Oil 120ml इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
मुख्य लाभ
अन्य लाभ
चिकित्सा साहित्य में Dr Ortho Oil के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Dr Ortho Oil का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
इस जानकारी के लेखक है -
BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक
10 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume VI. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2008: Page No CCXXXV-CCXXXVII
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume VI. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2008: Page No CCXLIV-CCXLV
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 3. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2001: Page No - 143 - 145
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 5. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2006: Page No - 169 - 171
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 3. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2001: Page No - 189 - 191