नस चढ़ना क्या है?
नस चढ़ना को नस पर नस चढ़ना भी कहा जाता है। इसमें शरीर की कुछ मांसपेशियां अनैच्छिक रूप से सिकुड़ जाती हैं। कई बार इसमें मांसपेशियां तेजी से और गंभीर रूप से सिकुड़ जाती है। इस दौरान मांसपेशी में एक कठोर गांठ भी बन जाती है। नस पर नस चढ़ना आमतौर पर कोई हानिकारक स्थिति नहीं होती, नस पर नस चढ़ने से कुछ देर के लिए ही प्रभावित नस काम करना बंद करती है। लेकिन कुछ मामलों में यह एक दर्दनाक स्थिति भी बन जाती है। मांसपेशियों के तंतुओं (फाइबर) में किसी प्रकार की खराबी होना नस चढ़ने का मुख्य कारण होता है। यदि मांसपेशी का सामान्य से अधिक उपयोग हो रहा है, मांसपेशी में पहले कभी चोट लगी है या ऐंठन आदि आ गई है तो इससे नस पर नस चढ़ने की स्थिति पैदा हो सकती है।
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कुछ प्रकार की दवाएं व सप्लीमेंट्स आदि भी हैं जो नस पर नस चढ़ने का कारण बन सकते हैं। अक्सर इस स्थिति के निश्चित कारण का पता नहीं चल पाता। यदि मांसपेशी को सामान्य से अधिक स्ट्रेच या फिर लंबे समय तक एक की दिशा में थाम कर रखा जाए (जैसे काफी देर तक ऊपर हाथ करके रखना) तो भी नस चढ़ने की स्थिति पैदा हो सकती है। नस पर नस चढ़ने की कुछ स्थितियां कुछ सेकेंड के लिए होती है जबकि कुछ 15 मिनट तक भी रह सकती हैं। नस चढ़ने से प्रभावित मांसपेशी कठोर बन जाती है और कुछ समय के लिए आप उसको हिला नहीं पाते।
आप घर पर ही कुछ सावधानियां रखकर इस समस्या का निदान कर सकते हैं। अगर दर्द अपने आप ठीक न हो तो दवाएं या मांसपेशियों को आराम देने वाले मलहमों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा बोटॉक्स के इंजेक्शन भी लगवाए जा सकते हैं। इन इंजेक्शनों से शरीर का वह हिस्सा कुछ समय के लिए निष्क्रिय हो जाएगा और दर्द में आराम मिलेगा।
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