जोड़ों की अकड़न क्या है?
ज्यादातर लोगों को उम्र के साथ जोड़ों में अकड़न महसूस होने लग जाती है। कुछ लोगों को किसी बीमारी या जीवनशैली के कारण भी जोड़ों में अकड़न होने लगती है। जोड़ों की अकड़न के कुछ मामलों का इलाज घर पर भी किया जा सकता है। (और पढ़ें - जोड़ों के दर्द का इलाज)
जोड़ों में अकड़ने के लक्षण क्या हैं?
जोड़ों में अकड़न खुद में एक लक्षण होता है। यह आमतौर पर अन्य लक्षणों के साथ विकसित होता है, जैसे जोड़ों को हिलाने में दर्द होना, जोड़ों की गति कम होना और अंग पूरी तरह से हिल ना पाना।
- जोड़ों को हिलाने में दर्द:
यह समस्या आमतौर पर जोड़ों में किसी प्रकार की चोट लगने या अंग का ज्यादा इस्तेमाल करने से होती है। कुछ बहुत ही कम मामलों में यह किसी प्रकार की इन्फेक्शन या जोड़ों में सूजन आदि के कारण भी हो जाती है।
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- जोड़ों की गति कम होना:
यह किसी गंभीर प्रकार के गठिया के लक्षण के रूप में विकसित हो सकता है। ओस्टियोआर्थराइटिस, रूमेटाइड आर्थराइटिस और एंकिलूजिंग स्पोंडिलोसिस आदि इसके कुछ मुख्य उदाहरण हैं।
- अंग पूरी तरह से हिल ना पाना:
इसमें जोड़ पूरी तरह से अकड़ जाता है, इस स्थिति को “एंकिलोज्ड” (Ankylosed) कहते हैं।
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जोड़ों में अकड़न क्यों होती है?
ज्यादातर लोगों को कभी-कभी ही जोड़ों में अकड़न महसूस होती है। जोड़ों में अकड़न पैदा करने वाला सबसे आम कारण उम्र होती है, क्योंकि जीवन भर जोड़ों का उपयोग होता है। उम्र के कारण अक्सर शरीर के एक से अधिक जोड़ ही प्रभावित होते हैं।
जोड़ों में अकड़न के अन्य कारण हैं:
- बर्साइटिस (जोड़ों की हड्डी के ऊपर द्रव से भरी थैलियों में सूजन आना)
- ओस्टियोआर्थराइटिस (जोड़ों में पाए जाने वाले लचीले ऊतकों में होने वाला गठिया)
- रूमेटाइड आर्थराइटिस
- लुपस
- गाउट
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जोड़ों में अकड़न का इलाज कैसे किया जाता है?
जोड़ों की अकड़न का इलाज करने के लिए सबसे पहले यह पता लगाना जरूरी होता है, कि आखिर किस कारण से यह समस्या हो रही है। यदि आपके उठने के 30 मिनट बाद तक जोड़ों में अकड़न होती है या लक्षण लगातार गंभीर होते जा रहे हैं, तो ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए।
प्रभावित जोड़ की लगातार 15 से 20 मिनट तक गर्म सिकाई या ठंडी सिकाई करें, ऐसा दिन में कई बार करें। ऐसा करने से जोड़ों की सूजन व अकड़न में सुधार हो जाता है।
यदि जोड़ों में अकड़न के कारण दर्द हो रहा है, तो कुछ प्रकार की ओटीसी (डॉक्टर की पर्ची के बिना मिल जाने वाली दवाएं) दवाओं की मदद से उसका इलाज किया जा सकता है। गठिया के लिए आमतौर पर नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लेमेटरी दवाओं (NSAIDs) का उपयोग किया जाता है। नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लेमेटरी दवाएं जैसे - एस्पिरिन, इबुप्रोफेन और नेपरोक्सेन आदि इनमें शामिल हैं।
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