थकान (क्रोनिक फैटीग सिंड्रोम; Chronic Fatigue Syndrome) एक ऐसा विकार है जिसका कारण अभी तक अज्ञात नहीं है। हालांकि, यह पहले के किसी संक्रमण से संबंधित हो सकता है। थकान ऐसी स्थिति है जो छह महीने या इससे अधिक समय के लिए बिना किसी स्पष्टीकरण के मौजूद रहती है और याददाश्त सम्बन्धी या एकाग्रता सम्बन्धी समस्याओं के साथ होती है। 2015 में, चिकित्सा संस्थान ने क्रोनिक फैटीग सिंड्रोम के लिए एक नया नाम प्रस्तावित किया - सिस्टमिक श्रम असहिष्णुता रोग (एसईआईडी; Systemic Exertion Intolerance Disease - SEID)।
- थकान के जोखिम कारक स्पष्ट नहीं हैं लेकिन यह अधिकांश 40-50 वर्ष की आयु की महिलाओं को होती है और पुरुषों की तुलना में महिलाओं में करीब चार गुना अधिक होती है।
- थकान का निदान पांच से छह लक्षण के निदान से होता है, इसका अपना कोई निश्चित परीक्षण नहीं होता।
- थकान का कोई उपचार नहीं है लेकिन इसके लक्षणों का उपचार किया जाता है और इससे ग्रस्त लोगों को एक स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने की सलाह दी जाती है।
भारत में थकान की समस्या का प्रचलन
भरत में क्रोनिक फैटीग सिंड्रोम हजारों लोगों को प्रभावित करता है, यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक प्रचलित है। एक भारतीय अध्ययन के मुताभिक, 12% भारतीय महिलाओं को क्रोनिक फैटीग सिंड्रोम होने का अनुमान लगाया गया है। क्रोनिक फैटीग सिंड्रोम शुरू होने की औसत उम्र 30-40 वर्ष है। यह कम आय वर्ग के लोगों में अधिक आम है।