वायरल इंफेक्शन क्या है?
वायरस बहुत ही सूक्ष्म प्रकार के रोगाणु होते हैं। ये प्रोटीन की परत के अंदर एक जेनेटिक सामग्री के बने होते हैं। वायरस कई जानी पहचानी बीमारियां फैलाते हैं जैसे सामान्य जुकाम, फ्लू और मस्से आदि। इनके कारण कई गंभीर बीमारी भी पैदा हो जाती है जैसे एचआईवी एड्स, चेचक और इबोला।
निगलने या सांस लेने, कीट के काटने या सेक्स के द्वारा यह वायरस लोगों के शरीर के अंदर घुस जाता है। वायरल इन्फेक्शन से आमतौर पर सबसे अधिक नाक, गला और ऊपरी वायुमार्ग प्रभावित होते हैं।
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ये जीवित व सामान्य कोशिकाओं पर हमला करते हैं और अपने जैसे अन्य वायरस पैदा करने के लिए इन कोशिकाओं का इस्तेमाल करते हैं। जिस कारण से कोशिकाएं क्षतिग्रस्त या नष्ट हो जाती हैं या उनके रंग में बदलाव आ जाता है जिससे आप बीमार पड़ जाते हैं। विभिन्न प्रकार के वायरस शरीर की अलग-अलग कोशिकाओं पर हमला करते हैं जैसे आपका लीवर, श्वसन प्रणाली या खून आदि।
कई बात जब आप इस वायरस की चपेट में आते हैं तो पूरी तरह से इसके लक्षण स्पष्ट नजर नहीं आते। कई बार आपका इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा तंत्र इन लक्षणों को पूरी तरह से उभरने भी नहीं देता। ऐसे में आपके चिकित्सक आपको जो दवाएं देते हैं वे आपके लक्षणों, ब्लड टेस्ट, कल्चर टेस्ट और प्रभावित ऊतकों के अध्ययन पर आधारित होती है।
अधिकतर वायरल इन्फेक्शन की स्थितियों में, उपचार केवल लक्षणों में सुधार करने में मदद कर पाते हैं। जबकि पूरी तरह से ठीक होने के लिए आपको प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा वायरस से लड़ने का इंतजार करना पड़ता है। ध्यान दें कि एंटीबायोटिक्स द्वारा वायरल इंफेक्शन को ठीक नहीं किया जा सकता। इसके लिए विशेष तौर से एंटीवायरल दवाएं होती है। साथ ही, टीकाकरण भी आपको कई सारी वायरल बीमारियों से बचाता है। इसी तरह एंटी वायरल दवाएं, वायरस के बढ़ने को रोकती हैं और साथ ही साथ तंत्रिका तंत्र को वायरल इंफेक्शन से लड़ने की प्रतिरोधी क्षमता देती है।
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