रैबडोमायोसरकोमा होना क्या है?
रैबडोमायोसरकोमा एक प्रकार का घातक कैंसर है, जिसमें मांसपेशियों में मौजूद एक प्रकार की कोशिकाओं से ट्यूमर हो जाता है। ये मांसपेशियां शरीर के अंगों को हिलाने में मदद करती हैं और पूरे शरीर में उपस्थित होती हैं। इस बात का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है कि इन कोशिकाओं में कैंसर कैसे उत्पन्न होता है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि जो कोशिकाएं बनते समय एक दूसरे से पूरी तरह अलग नहीं हो पाती हैं, उनमें ये कैंसर होता है। रैबडोमायोसरकोमा को आमतौर पर बचपन में होने वाली बीमारी माना जाता है क्योंकि ये ज्यादातर 18 वर्षों से कम उम्र के लोगों में होता है।
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रैबडोमायोसरकोमा के लक्षण क्या हैं?
रैबडोमायोसरकोमा के लक्षण कैंसर की जगह पर निर्भर करते हैं, जैसे सिर या गर्दन में कैंसर हो तो व्यक्ति को सिरदर्द, आंखों का बाहर आना, नाक से खून आना, कान से खून आना, आंखों में सूजन और गले में रक्तस्राव जैसे लक्षण अनुभव होते हैं। अगर कैंसर हाथों या पैरों में में है, तो प्रभावित क्षेत्र में गांठ या दर्द महसूस होता हैं। इसी प्रकार कैंसर होने की जगह के आधार पर रैबडोमायोसरकोमा के लक्षण अलग-अलग होते हैं।
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रैबडोमायोसरकोमा क्यों होता है?
रैबडोमायोसरकोमा होने के कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि कोशिकाओं के डीएनए में कुछ बदलावों के कारण कैंसर होता है। हालांकि, इन बदलावों का पता लगाने के लिए और इस कारण की पुष्टि करने के लिए अभी अध्ययन चल रहे हैं।
रैबडोमायोसरकोमा का इलाज कैसे होता है?
रैबडोमायोसरकोमा के इलाज के लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसका उचित उपाय कैंसर की जगह, ट्यूमर के साइज और ऐसे ही कई अन्य कारकों पर निर्भर करता है। अगर बिना किसी नुकसान से संभव हो, तो रैबडोमायोसरकोमा के ट्यूमर को निकालने के लिए हर व्यक्ति की सर्जरी की जाती है। हालांकि, अगर सर्जरी संभव न हो तो रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी का उपयोग करके पहले ट्यूमर को छोटा करने का प्रयास किया जाता है और अगर इससे ट्यूमर सिकुड़ जाए, तो फिर व्यक्ति की सर्जरी की जाती है। सर्जरी का उद्देश्य होता है कि शरीर से पूरे ट्यूमर को बाहर निकाल देना, हालांकि ये हमेशा संभव नहीं होता।
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