प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी क्या है?
प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी एक ऐसी समस्या है, जिसमें या तो प्रतिरक्षा प्रणाली का कोई हिस्सा होता ही नहीं है या फिर कोई हिस्सा ठीक से काम नहीं करता। ये समस्या फैलने वाली नहीं होती और ये किसी भी उम्र व लिंग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है।
प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी क्यों होता है?
प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी की समस्या अनुवांशिक होती है या जीन में किसी बदलाव व दोष के कारण भी ये समस्या हो सकती है। कई लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली के एक हिस्से में दोष होता है और कई लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली के एक से ज्यादा हिस्से प्रभावित होते हैं।
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प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी के लक्षण क्या हैं?
प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी होने पर व्यक्ति को बार-बार इन्फेक्शन होते हैं और ये इन्फेक्शन आसानी से सही नहीं होते। इसके अलावा बच्चे के विकास में भी समस्याएं होती हैं और उसका वजन कम होने लगता है।
प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी का इलाज कैसे होता है?
प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी का पता लगाने के लिए डॉक्टर व्यक्ति का ब्लड टेस्ट करते हैं, जिससे खून में मौजूद असामान्य कोशिकाओं का पता चलता है और प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी की पुष्टि होती है। जिन लोगों के पहले बच्चे को ये समस्या है, उन्हें दूसरा बच्चा करने से पहले इसका परीक्षण कराना चाहिए।
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प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी से ग्रस्त व्यक्ति को इन्फेक्शन तो होंगे ही क्योंकि इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों का इलाज करके आपको आराम मिल सकता है। आपको कई समय तक इन्फेक्शन से लड़ने वाली दवाएं लेने की आवश्यकता हो सकती है ताकि आपको इन्फेक्शन होने का खतरा कम किया जा सके। अगर संक्रमण गंभीर है, तो आपको नसों के द्वारा एंटीबायोटिक दवाएं दी जा सकती हैं।
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प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी की जटिलताएं इसके प्रकार पर निर्भर करती हैं, लेकिन इससे बार-बार इन्फेक्शन होना, कैंसर का खतरा बढ़ना, दिल या फेफड़ों को नुकसान और गंभीर संक्रमण से मौत भी हो सकती है।
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