डॉक्टर अक्सर पोलियो की पहचान लक्षणों से करते हैं, जैसे कि गर्दन और पीठ में ऐंठन, असामान्य सजगता, और निगलने और श्वास लेने में कठिनाई। निदान की पुष्टि करने के लिए, गले के स्राव (Throat secretions), मल या मस्तिष्कमेरु तरल पदार्थ (Cerebrospinal fluid; आपके मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के चारों ओर मौजूद रंगहीन तरल पदार्थ) के नमूने की पॉलियोवायरस की उपस्थिति के लिए जांच की जाती है।
शारीरिक परीक्षा
इसमें आपके पूरे शरीर की जांच कि जाती है। श्वसन में सहायक मांसपेशियों की कार्यप्रणाली की जांच की जाती है क्योंकि रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क स्टेम को प्रभावित करने वाले पोलिओ वायरस श्वसन मांसपेशियों को प्रभावित कर सकते हैं।
मांसपेशियों की प्रतिक्रियाओं का परीक्षण किया जाता है। गर्दन और पीठ की मांसपेशियों में ऐठन हो सकती हैं। पीठ के बल लेटने पर सर या पैरों को उठाने में और गर्दन को झुकाने में परेशानी हो सकती है।
एक्यूट फ्लैसिड पैरालिसिस (Acute flaccid paralysis (AFP))
Acute flaccid paralysis (AFP) को अचानक से मांसपेशियों में आयी नरमी के रूप में परिभाषित किया गया है। आपके डॉक्टर इसकी जांच करके यह बता सकते हैं की आपको पोलियो है या नहीं।
प्रयोगशाला निदान
प्रयोगशाला निदान में नियमित रक्त परीक्षण शामिल होते हैं। सफेद रक्त कोशिकाओं में कोई बढ़ोतरी हुई है या नहीं इसकी जांच भी की जाती है।
सेरेब्रोस्पाइनल द्रव परीक्षा ( Cerebrospinal fluid examination)
सेरेब्रोस्पाइनल तरल रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क में मौजूद होता है। CSF को लम्बर पंचर द्वारा जांचा जाता है। इसमें वेर्टेब्रे के भीतर एक लम्बी पतली सुई को डाला जाता है। सुई के माध्य्म से थोड़ा सा CSF निकला जाता है जिसे प्रयोगशाला में निदान के लिए भेजा जाता है।
गले के स्त्राव का परिक्षण
गले से स्त्राव निकला जाता है और उसे प्रयोगशाला में पोलियो वायरस की जांच के लिए भेजा जाता है। यह प्रक्रिया कल्चर मीडिया में की जाती है।
अगर पोलियो वायरस की पुष्टि होती है तो उसे सूक्षमदर्शि के नीचे भी जांचा जाता है। उसके बाद मल के नमूनों की जांच भी की जाती है। मस्तिष्कशोथ द्रव (सीएसएफ) से वायरस का अलगाव करके भी निदान किया जा सकता है लेकिन यह ज़्यादातर संभव नहीं होता।
पोलियो वायरस की फिंगरप्रिंटिंग
पोलियो वायरस को अलग करने के बाद ओलिगोन्यूक्लियोटाइड मैपिंग (फिंगरप्रिंटिंग) या जीनोमिक सिक्वेंसिंग ( Oligonucleotide mapping (fingerprinting) or genomic sequencing) किया जाता है। यह वायरस के आनुवंशिक अनुक्रम का और यह पता करने के लिया लिया जाता है कि वायरस की उत्पत्ति "जंगली प्रकार" है या "वैक्सीन जैसा" है।
जंगली प्रकार का वायरस पर्यावरण में स्वाभाविक रूप से होता है और 3 उपप्रकार - पी 1, पी 2 और पी 3 के रूप में हो सकता है। वैक्सीन जैसा वायरस पोलियो वैक्सीन में मौजूद वायरस में हुए उत्परिवर्तन के कारण होता है।