पोलियो शब्द से आप परिचित होंगे, इसे मेडिकल भाषा में पोलियोमेलाइटिस कहा जाता है। यह एक गंभीर बीमारी है, जोकि पोलियोवायरस के कारण होती है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है और यह मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी एवं हाथ-पैरों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।इसका असर तंत्रिका तंत्र पर भी पड़ता है और ये कुछ ही घंटों में लकवा या मौत का कारण बन सकती है।
कभी महामारी की तरह था पोलियो
1940 और 1950 के दशक के दौरान पोलियो की वजह से दुनियाभर में लगभग 20 लाख (दो मिलियन) बच्चे अपंग हुए या उनकी मौत हो गई थी। लेकिन पिछले दो दशकों में इस स्थिति में काफी बदलाव आया है। दुनिया में यूरोप, अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे कई क्षेत्रों में न सिर्फ पोलियो से ग्रस्त बच्चों की संख्या में तेजी से गिरावट आई बल्कि कई देशों को डब्लूएचओ ने पोलियो मुक्त भी घोषित किया। हालांकि, अभी भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों में इस बीमारी के दुर्लभ मामले देखे जा सकते हैं, ये चुनिंदा देश अभी भी पोलियो मुक्त देश होने के लिए जूझ रहे हैं।
भारत में पोलियो की स्थिति
भारत में पोलियो का आखिरी मामला 13 जनवरी 2011 को दर्ज हुआ था, जब पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में दो साल की बच्ची को पोलियो होने की पुष्टि हुई थी। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक 'ग्लोबल पोलियो उन्मूलन पहल' (जीपीईआई) की शुरुआत से पहले, पोलियो की वजह से हर साल भारत में अनुमानित 2,00,000 बच्चे अपंग हो जाते थे। 13 जनवरी 2011 से लेकर 11 फरवरी 2014 तक भारत में पोलियो का कोई भी मामला देखने को नहीं मिला था। यह पब्लिक हेल्थ के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने 27 मार्च 2014 को भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया।
चूंकि, हर साल 24 अक्टूबर को 'वर्ल्ड पोलियो डे' मनाया जाता है इसलिए हम इस बीमारी से संबंधित ऐसे प्रश्नों पर बात करेंगे, जिनके बारे में जानना बेहद जरूरी है:
पोलियो कैसे फैलता है?
यह एक वायरस है जो किसी पोलियो ग्रस्त व्यक्ति के शरीर से निकले मल (मल, पेशाब, बलगम या खांसी) से दूषित खान-पान से अन्य व्यक्ति को अपनी चपेट में लेता है। यह वायरस मुंह के जरिए आंत तक पहुंचता है और फिर मल के जरिए अन्य लोगों तक संचारित होता है।
पोलियो का खतरा किसे है?
पोलियो मुख्य रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है, हालांकि वयस्क भी इस बीमारी के प्रति अतिसंवेदनशील हो सकते हैं।
क्या पोलियो का इलाज है?
एक बार पोलियो होने के बाद इसका इलाज संभव नहीं है लेकिन इस बीमारी को समय पर टीकाकरण के जरिए रोका जा सकता है।
क्या पोलियो से बचाव संभव है?
वर्तमान में दो सुरक्षित और प्रभावी टीके मौजूद हैं - ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी) जो कि रोग के प्रभाव को कम करता है और दूसरा इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन (आपीवी) जिसमें वायरस को खत्म करने की क्षमता होती है।
क्या बच्चों को ओपीवी की कई खुराक देना सुरक्षित है?
बच्चों को ओपीवी की चार या इससे अधिक खुराक देना सुरक्षित है। इस वैक्सीन को इस तरह तैयार किया गया है कि इसका इस्तेमाल कई बार किया सकता है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों जहां मौसम गर्म रहता है, वहां बच्चों को पोलियो से पूरी तरह से संरक्षित करने के लिए ओपीवी की चार से अधिक खुराक की आवश्यकता होती है। कभी-कभी दस से अधिक बार भी इन दवाओं का सेवन किया जा सकता है। हर खुराक से पोलियो के लिए बच्चे की इम्युनिटी मजबूत होती है।