पेनिस कैंसर - Penile Cancer in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

September 11, 2018

March 06, 2020

पेनिस कैंसर
पेनिस कैंसर

पेनिस कैंसर क्या है ?

पेनिस कैंसर एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है जो पेनिस (लिंग -पुरुष गुप्तांग) की त्वचा और ऊतकों को प्रभावित करता है। यह तब होता है जब पेनिस में मौजूद सामान्य रूप से स्वस्थ कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर बनता है। 

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यह कैंसर शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है, जैसे - ग्रंथियों, अन्य अंगों और लिम्फ नोड्स  (ये पूरे शरीरे में होती है और ऊतकों से घिरी रहती है। इन्हें लसिका तंत्र भी कहा जाता है।) आदि हिस्सों में।

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पेनिस कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें पेनिस के ऊतकों में घातक (कैंसर) कोशिकाएं बनती हैं। पेनिस कैंसर आमतौर पर पेनिस की आगे की त्वचा पर पाया जाता है लेकिन यह पीछे की तरफ भी हो सकता है। लगभग सभी पेनिस कैंसर पेनिस की त्वचा में शुरू होते हैं। यह पेनिस की त्वचा से शुरू होता है और अंदर तक जा सकता है।

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यह एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है लेकिन इसका इलाज किया जा सकता है, खासकर यदि इसकी पहचान जल्दी हो जाए।

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पेनिस कैंसर के प्रकार - Types of Penile Cancer in Hindi

पेनिस कैंसर कितने प्रकार का होता हैं ?

पेनिस कैंसर के निम्न प्रकार होते हैं:

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma)
पेनिस कैंसर के पचास प्रतिशत (95%) मामले स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के होते हैं। यह कोशिकाएं उन ऊतकों की तरह दिखती हैं जो माइक्रोस्कोप के माध्यम से देखने पर त्वचा जैसी लगती हैं। स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा पेनिस पर कहीं भी शुरू हो सकता है लेकिन यह आमतौर पर पेनिस की आगे की त्वचा पर या उसके नीचे विकसित होता है। प्रारंभिक अवस्था में निदान होने पर यह आमतौर पर ठीक हो सकता है।

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बेसल सेल कार्सिनोमा (Basal cell carcinoma)
बेसल कोशिकाएं कभी-कभी कैंसर का कारण बन सकती हैं। ये त्वचा की एक परत (लोअर एपिडर्मिस) के नीचे मौजूद स्क्वैमस कोशिकाओं के नीचे स्थित गोल कोशिकाएं होती हैं। बेसल सेल कार्सिनोमा एक प्रकार का नॉन-मेलेनोमा त्वचा का कैंसर होता है। पेनिस कैंसर के सब मामलों में से 2% से कम बेसल सेल कैंसर होते हैं।

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मेलेनोमा (Melanoma)
एपिडर्मिस की एक गहरी परत में मेलेनोसाइट्स (melanocytes) नामक कोशिकाएं होती हैं। ये कोशिकाएं मेलेनिन (melanin) बनाती हैं जो त्वचा को रंग देती है। मेलेनोमा, मेलेनोसाइट्स में शुरू होता है। यह त्वचा कैंसर का सबसे गंभीर प्रकार है। इस प्रकार का कैंसर कभी-कभी पेनिस की सतह पर होता है।

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सारकोमा (Sarcoma)
लगभग 1% पेनिस कैंसर सारकोमा होते हैं। सारकोमा उन ऊतकों में विकसित होता है जो शरीर को सहारा देते हैं व जोड़ते हैं जैसे- रक्त वाहिकाएं, मांसपेशियां और फैट।

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पेनिस कैंसर के चरण - Stages of Penile Cancer in Hindi

पेनिस कैंसर के कितने चरण होते हैं ?

एक बार जब पेनिस कैंसर का पता लगता है तो सबसे पहले यह जांचा जाता है कि कहीं रोग पेनिस से शरीर के बाकि हिस्सों में तो नहीं फैल गया। कैंसर का इलाज करने के लिए सबसे जरुरी यह जानना है कि फिलहाल यह रोग कौनसे स्टेज में है। 

पेनिस कैंसर के निम्नलिखित चरण यानि स्टेज होते हैं -

स्टेज 0
इस स्टेज में कैंसर केवल पेनिस की त्वचा की सतह पर पाया जाता है। स्टेज 0 कैंसर को कार्सिनोमा (Carcinoma) भी कहा जाता है। (और पढ़ें - थायराइड कैंसर का इलाज)

स्टेज I
इस स्टेज का अर्थ है कैंसर पेनिस की त्वचा के नीचे जोड़ने वाले ऊतक में फैल गया है। (और पढ़ें - ऑरोफरीन्जियल कैंसर का इलाज)

स्टेज II
इस स्टेज का मतलब है कि कैंसर या तो -

  • पेनिस की त्वचा के नीचे जोड़ने वाले ऊतक में और पेट व जांध के बीच के भाग में एक लिम्फ नोड तक फैला है या
  • स्तंभन ऊतक (वह स्पंजी ऊतक जिसके कारण पेनिस खड़ा होता है) और पेट व जांध के बीच के भाग में एक लिम्फ नोड तक फैला है। (और पढ़ें - योनि के कैंसर के लक्षण)

स्टेज III
इस स्टेज का अर्थ है कि कैंसर या तो -

  • पेनिस के जोड़ने वाले ऊतक या स्तम्भन ऊतक तक और पेट व जांध के बीच के भाग में एक या एक से अधिक लिम्फ नोड तक फैला है या
  • मूत्रमार्ग या प्रोस्टेट में और एक या एक से अधिक लिम्फ नोड तक फैला है। (और पढ़ें - प्रोस्टेट कैंसर के उपचार)

स्टेज IV
इस स्टेज का मतलब है कि कैंसर -

  • पेनिस के आसपास में ऊतकों में और पेट व जांध के बीच के भाग या श्रोणि के लिम्फ नोड्स में फैला है या
  • पेनिस में या उसके आस-पास कहीं भी और श्रोणि या पेट व जांध के बीच के भाग के अंदर के एक या एक से अधिक लिम्फ नोड्स में फैला है या
  • शरीर के दूर हिस्सों में फैला है।

    (और पढ़ें - निजी अंगों की सफाई कैसे करें

पेनिस कैंसर के लक्षण - Penile Cancer Symptoms in Hindi

पेनिस कैंसर के क्या लक्षण होते हैं ?

पेनिस कैंसर का पहला ध्यान देने योग्य लक्षण आमतौर पर पेनिस पर एक गांठ, मांस का गुच्छा या अल्सर की मौजूदगी होते हैं। ये छोटे या आकार में कुछ बड़े भी हो सकते हैं। इनमें दर्द भी हो सकता है। अधिकांश मामलों में यह पेनिस की फोरस्किन या मुंड भाग पर होते हैं। 

पेनिस कैंसर के अन्य लक्षण निम्नलिखित हैं -

यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। जल्दी इलाज और दवाई लेकर आप इस बीमारी के गंभीर खतरों से बच सकते हैं। 

पेनिस कैंसर के कारण - Penile Cancer Causes in Hindi

पेनिस कैंसर किन कारणों से होता हैं ?

विशेषज्ञ अभी तक यह नहीं पता लगा पाए हैं कि पेनिस कैंसर का क्या कारण होता है।

खतना न होना इसका एक कारण हो सकता है। यदि शारीरिक तरल पदार्थ पेनिस की त्वचा में फंस जाते हैं और ठीक से साफ नहीं किए जाते हैं, तो वे कैंसर की कोशिकाओं के विकास का कारण बन सकते हैं।

कुछ शोध से पता चलता है कि एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमावायरस) के कुछ उपभेदों के संपर्क में आए पुरुषों को पेनिस कैंसर होने की संभावना अधिक हो सकती है।

इस प्रकार का कैंसर 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में, धूम्रपान करने पुरुषों में और उन लोगों में अधिक आम है जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर है।

(और पढ़ें - धूम्रपान  छोड़ने के उपाय


पेनिस कैंसर का खतरा कब बढ़ जाता है ?

जिन लोगों का खतना नहीं हुआ है, उन्हें पेनिस कैंसर होने की अधिक संभावना होती है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि ऐसे पुरुषों को अन्य स्थितियों का भी जोखिम होता है जो पेनिस को प्रभावित करती हैं, जैसे फिमोसिस (phimosis) और स्मेग्मा (smegma)।

फिमोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें पेनिस की आगे की त्वचा तंग हो जाती है और इसे वापस लेना मुश्किल हो जाता है। फिमोसिस से ग्रस्त पुरुषों को स्मेग्मा होने का उच्च जोखिम होता है।
स्मेग्मा एक ऐसा पदार्थ है जो तब पैदा होता है जब त्वचा की मृत कोशिकाएं, नमी और तेल यह सब त्वचा के नीचे एकत्रित हो जाते हैं।
यह तब भी हो सकता है जब बिना खतना हुए पुरुष पेनिस की त्वचा के नीचे के क्षेत्र को ठीक से साफ नहीं कर पाते हैं। (और पढ़ें - गुप्त रोगों का उपचार)

ऐसे पुरुषों को पेनिस कैंसर का अधिक खतरा होता है जो -

  • 60 साल से अधिक उम्र के हैं।
  • धूम्रपान करते हैं।
  • स्वच्छता का ध्यान नहीं रखते।
  • कम स्वच्छता वाले क्षेत्रों में रहते हैं।
  • यौन संक्रमित संक्रमण से ग्रस्त हैं, जैसे ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी)। 

(और पढ़ें - एसटीडी का इलाज)

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पेनिस कैंसर के बचाव के उपाय - Prevention of Penile Cancer in Hindi

पेनिस कैंसर का बचाव कैसे होता है ?

पेनिस कैंसर से निम्नलिखित तरीकों से बचा जा सकता है -

  • एचपीवी के बचाव के लिए मौजूद टीके एचपीवी के जोखिम को कम कर सकते हैं जिससे पेनिस कैंसर का भी बचाव होता है। (और पढ़ें - प्रोस्टेट कैंसर सर्जरी)
  • कंडोम का उपयोग एचपीवी से संबंधित पेनिस कैंसर से बचाव कर सकता है।
  • जननांग के भागों को स्वच्छ रखना, पेनिस व अंडकोश को पानी से रोजाना साफ करने और पेनिस की आगे की त्वचा को धोने से पेनिस कैंसर को रोका जा सकता है। हालांकि इस दौरान उच्च कैमिकल वाले साबुनों से परहेज करना चाहिए तथा चमड़ी पर नर्म रहने वाले साबुनों का ही प्रयोग करना चाहिए। 
  • धूम्रपान छोड़ने से पेनिस कैंसर का खतरा कम हो सकता है। (और पढ़ें - कॉलोरेक्टल कैंसर सर्जरी)
  • बचपन में खतना, पेनिस के कैंसर के खिलाफ आंशिक सुरक्षा प्रदान कर सकता है। कई शोधों में यह भी सामने आया है कि खतना, पेनिस के कैंसर से बचने का एक बहुत बेहतर उपाय है। हालांकि अमेरिकन कैंसर सोसायटी यह भी मानती है कि यह रोग बेहद आम नहीं है और न ही चिकित्सक आम तौर पर इस बीमारी के बचने के लिए खतना करवाने की सलाह देते हैं। (और पढ़ें - पेट के कैंसर की सर्जरी)
  • फोरस्किन को समय समय पर पीछे लेते रहें और उसकी साफ सफाई का बेहद ही ध्यान रखें। 
  • लंबे समय के लिए फोरस्किन को पीछे की तरफ खींचा हुआ न रखें। 

(और पढ़ें - अग्नाशय कैंसर का इलाज)

पेनिस कैंसर का निदान - Diagnosis of Penile Cancer in Hindi

पेनिस कैंसर का निदान कैसे होता है ?

आपके डॉक्टर शारीरिक परीक्षण और कुछ नैदानिक ​​परीक्षणों का उपयोग करके पेनिस कैंसर का निदान कर सकते हैं।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)

शारीरिक परीक्षण: शारीरिक परीक्षण के दौरान, आपके डॉक्टर आपके पेनिस को देखेंगे और किसी गांठ, मांस का एकत्रित होना या घावों का निरीक्षण करेंगे। यदि कैंसर का संदेह है, तो आपके डॉक्टर बायोप्सी करेंगे।

(और पढ़ें - घाव भरने के घरेलू नुस्खे)

बायोप्सी (Biopsy): बायोप्सी में, आपके लिंग से त्वचा या ऊतक का एक छोटा सा नमूना लिया जाता है। यह जांच करने के लिए कि क्या कैंसर की कोशिकाएं मौजूद हैं या नहीं, उसका विश्लेषण किया जाता है।

(और पढ़ें - बिलीरुबिन टेस्ट क्या है)

सिस्टोस्कोपी (Cystoscopy): यदि बायोप्सी के परिणाम कैंसर के लक्षण दिखाते हैं, तो आपके डॉक्टर यह देखने के लिए कि कैंसर फैल तो नहीं गया है सिस्टोस्कोपी करते हैं। सिस्टोस्कोपी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक सिस्टोस्कोप नामक उपकरण का उपयोग किया जाता है। सिस्टोस्कोप (Cystoscope) एक पतली ट्यूब होती है जिसके अंत में एक छोटा सा कैमरा और रोशनी होती है। सिस्टोस्कोपी के दौरान, आपके डॉक्टर पेनिस में और मूत्राशय के माध्यम से धीरे-धीरे आपके अंदर सिस्टोस्कोप डालते हैं। यह आपके डॉक्टर को पेनिस और आसपास के विभिन्न क्षेत्रों को देखने में सहायता करता है, जिससे यह निर्धारित करना संभव हो जाता है कि कैंसर कहीं फैल तो नहीं गया है।

(और पढ़ें - एसजीपीटी टेस्ट क्या है)

एमआरआई (MRI): कुछ मामलों में, पेनिस का एमआरआई कभी-कभी यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि कैंसर पेनिस के अंदर के ऊतकों तक फैला है या नहीं।

(और पढ़ें - टेस्टोस्टेरोन की जांच)

पेनिस कैंसर का उपचार - Penile Cancer Treatment in Hindi

पेनिस कैंसर का क्या इलाज होता है ?

दो मुख्य प्रकार के पेनिस कैंसर होते हैं - इनवेसिव (Invasive) और नॉन-इनवेसिव (Non-invasive)। नॉन-इनवेसिव पेनिस कैंसर एक ऐसी स्थिति है जिसमें कैंसर अंदर के ऊतकों, लिम्फ नोड्स और ग्रंथियों में फैला नहीं होता है।

इनवेसिव पेनिस कैंसर एक ऐसी स्थिति है जिसमें कैंसर पेनिस के अंदर के ऊतक और आसपास के लिम्फ नोड्स व ग्रंथियों में फ़ैल जाता है।

(और पढ़ें - पेनिस बढ़ाने के उपाय)

नॉन-इनवेसिव पेनिस कैंसर के निम्नलिखित उपचार हैं -

  • खतना - इसमें पेनिस के आगे की त्वचा हटा दी जाती है। (और पढ़ें - लिंग के रोग का इलाज)
  • लेजर थेरेपी (Lazer therapy) - लेज़र थेरेपी में उच्च तीव्रता वाले प्रकाश से ट्यूमर और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।
  • कीमोथेरेपी (Chemotherapy) - कीमोथेरेपी एक रासायनिक दवा चिकित्सा का आक्रामक रूप है जिससे शरीर में कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में मदद मिलती है।
  • रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy) - रेडिएशन थेरेपी में उच्च ऊर्जा वाली रेडिएशन ट्यूमर को सुखाता है और कैंसर कोशिकाओं को मारता है।
  • क्रायोसर्जरी (Cryosurgery) - क्रायोसर्जरी में तरल नाइट्रोजन ट्यूमर को जमाता है और उन्हें हटा देता है।

(और पढ़ें - फिमोसिस का इलाज)

इनवेसिव पेनिस कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। सर्जरी में ट्यूमर, पूरे पेनिस और श्रोणि या पेट व जांध के बीच के भाग में मौजूद लिम्फ नोड्स को हटाया जा सकता है।

सर्जरी के निम्नलिखित विकल्प हैं -

ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी (Excisional surgery)
पेनिस से ट्यूमर को हटाने के लिए यह सर्जरी की जा सकती है। आपके सर्जन ट्यूमर और प्रभावित क्षेत्र को हटाएंगे और आसपास थोड़े स्वस्थ ऊतक और त्वचा छोड़ देंगे। चीरे को सील दिया जाता है। इस दौरान आपकी उस जगह को सुन्न किया जाएगा ताकि आप कुछ महसूस न कर सकें। (और पढ़ें - विल्म्स ट्यूमर का इलाज)

मोह सर्जरी (Moh's surgery)
मोह सर्जरी का लक्ष्य होता है सभी कैंसर कोशिकाओं को हटाते हुए कम से कम ऊतकों को हटाया जाए। इस प्रक्रिया के दौरान, आपके सर्जन प्रभावित क्षेत्र की पतली सी परत को हटा देंगे और फिर माइक्रोस्कोप से यह देखेंगे कि इसमें कैंसर की कोशिकाएं हैं या नहीं। यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक ऊतक के नमूने में कोई कैंसर कोशिकाएं मौजूद न हों।

(और पढ़ें - सर्जरी के प्रकार)

पार्शियल पेनेक्टोमी (Partial penectomy)
पर्शिअल पेनेक्टोमी में पेनिस के एक हिस्से को हटाया जाता है। अगर ट्यूमर छोटा हो तो यह ऑपरेशन सबसे अच्छा काम करता है। बड़े ट्यूमर के लिए, पूरे पेनिस को हटा दिया जाता है। पूरे पेनिस को हटाने को फुल पेनेक्टोमी कहा जाता है। पूरा पेनिस हट जाने पर आप डॉक्टर से पेनिस रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी यानी पेनिस को दोबारा स्थापित करने से जुड़ी सर्जरी के बारें में परामर्श कर सकते हैं। 

(और पढ़ें - लिंग का टेढ़ापन का इलाज)

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संदर्भ

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