पेजेट रोग क्या है?
हड्डियों में होने वाला पेजेट रोग शरीर की सामान्य रिसाइकलिंग प्रक्रिया में हस्तक्षेप करता है, जिसमें हड्डियों के नए ऊतक धीरे-धीरे पुराने ऊतकों की जगह ले लेते हैं। समय के साथ-साथ इस रोग से प्रभावित हड्डियां नाजुक और कुरूप हो सकती हैं। हड्डियों का पेजेट रोग आमतौर पर पेल्विस (श्रोणि), खोपड़ी, रीढ़ की हड्डी और टांगों की हड्डियों में ही होता है।
पेजेट रोग विकसित होने का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता रहता है। यदि परिवार में किसी अन्य सदस्य को भी यह विकार है, तो आपमें भी इस समस्या का खतरा हो सकता है। हड्डियों के पेजेट रोग की जटिलताओं में हड्डी टूटना, बहरापन और रीढ़ की हड्डियों में नसें दब जाना शामिल हैं।
पेजेट रोग के इलाज के लिए दवाएं ली जा सकती हैं, लेकिन कुछ गंभीर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
पेजेट रोग के संकेत और लक्षण क्या हैं?
पैगेट रोग से ग्रस्त ज्यादातर लोगों में कोई लक्षण नहीं होता है, लेकिन जब लक्षण होते हैं, तो सबसे आम लक्षण हड्डी में दर्द होना है। फिलहाल इसके संकेत और लक्षण शरीर के प्रभावित हिस्से पर निर्भर करेंगे :
- श्रोणि : श्रोणि में पेजेट रोग की वजह से कूल्हे में दर्द हो सकता है।
- खोपड़ी : खोपड़ी की हड्डी के बढ़ने से सिरदर्द और सुनने में समस्या हो सकती है।
- रीढ़ की हड्डी : यदि रीढ़ प्रभावित होती है, तो तंत्रिकाओं में संकुचन आ सकता है। इससे हाथ या पैर में दर्द, मरोड़ और सुन्न होने की समस्या हो सकती है।
- टांग : जैसे-जैसे हड्डियां कमजोर होती हैं, उनमें एक झुकाव सा आने लगता है, जिससे शरीर झुका हुआ दिखाई देता है। टांगों में बढ़ी हुई हड्डी और विकृति की वजह से आसपास के जोड़ों पर ज्यादा दबाव पड़ने लगता है, जिससे घुटने या कूल्हे में ऑस्टियोआर्थराइटिस हो सकता है।
( और पढ़ें - मजबूत हिप्स और कूल्हे के दर्द से राहत के लिए हिप्स एक्सरसाइज)
पेजेट रोग का कारण क्या है?
पेजेट रोग का कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि पर्यावरण और आनुवंशिक कारकों का संयोजन इस बीमारी को ट्रिगर कर सकता है। हालांकि, जीन में गड़बड़ी की वजह से भी यह समस्या हो सकती है, लेकिन इसको लेकर ठोस प्रमाण नहीं हैं। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि पेजेट रोग कोशिकाओं में एक वायरल संक्रमण से संबंधित है, लेकिन यह सिद्धांत भी विवादास्पद है।
पेजेट रोग का निदान कैसे होता है?
डॉक्टर सबसे पहले फिजिकल टेस्ट कर सकते हैं, इस टेस्ट के दौरान डॉक्टर शरीर के उन हिस्सों की जांच करेंगे, जहां दर्द हो रहा है। वह स्थिति के अनुसार एक्स-रे और ब्लड टेस्ट करवाने का भी सुझाव दे सकते हैं।
इमेजिंग टेस्ट
- एक्स-रे : पेजेट रोग में सबसे बड़ा संकेत हड्डियों का आकार आसामान्य होना है, ऐसे में एक्स-रे की मदद से आसानी से इन असामान्यताओं को देखा जा सकता है। इसकी मदद से न केवल हड्डियों की विकृति बल्कि आसामान्य रूप से इनमें वृद्धि का पता किया जा सकता है।
- बोन स्कैन : इसमें रेडियोएक्टिव मैटेरियल को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। यदि पेजेट रोग की वजह से कोई हड्डी प्रभावित होती है तो यह रेडियोएक्टिव मैटेरियल वहां स्पॉट हो जाता है, जो कि रिपोर्ट में साफ देखा जा सकता है।
लैब टेस्ट
जिन लोगों को पेजेट रोग है, उनके खून में आमतौर पर 'एल्कालाइन फॉस्फेटेज' की मात्रा अधिक होती है, जिससे बीमारी की पुष्टि हो जाती है।
पेजेट रोग का इलाज कैसे होता है?
(1) दवाएं
ऑस्टियोपोरोसिस ड्रग्स (बिसफॉस्फोनेट्स) पेजेट रोग में इस्तेमाल की जा सकती है। कुछ बिसफॉस्फोनेट्स को मुंह से लिया जाता है, जबकि अन्य इंजेक्शन द्वारा लेने की जरूरत पड़ती है। ओरल बिसफॉस्फोनेट्स आमतौर पर अच्छी तरह से प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन वे आपके जठरांत्र संबंधी मार्ग में परेशानी का कारण बन सकते हैं।
(2) सर्जरी
जिन दुर्लभ मामलों में, सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है, उनमें शामिल हैं
- फ्रैक्चर को ठीक करने के लिए
- गंभीर गठिया की वजह से प्रभावित जोड़ों को रिप्लेस करने के लिए
- विकृत हड्डियों को ठीक करने के लिए
- नसों पर दबाव कम करने के लिए