ऑस्टियोपेटरोसिस क्या है?
ऑस्टियोपेटरोसिस की समस्या हड्डियों के अधिक ठोस (बोन डेंसिटी की बढ़ोतरी) होने के कारण होती है। ऐसा तब होता है जब ऑस्टियोक्लास्ट्स (osteoclasts) नामक कोशिकाओं के द्वारा हड्डी को पुनःअवशोषित कर लिया जाता है। इससे हड्डियों की संरचना में खराबी आती है और इसी वजह से उनके टूटने या फ्रैक्चर होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। कुछ मामलों में कंकाल में असमानताएं हो जाती है। ऑस्टियोपेटरोसिस कई प्रकार के होते हैं।
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ऑस्टियोपेटरोसिस के लक्षण क्या हैं?
ऑस्टियोपेटरोसिस रोगी के रक्त में कोशिकाओं का बनना कम होना, सिर की तंत्रिका के कार्यों में रूकावट आना और फ्रैक्चर होना अादि कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। सिर की तंत्रिकाओं के सही तरह से कार्य न कर पाने की वजह से व्यक्ति में अंधापन, सुनने में समस्या व चेहरे पर लकवा होने के लक्षण भी हो सकते हैं। कुछ लोगों को बार-बार दांतों व जबड़ों का संक्रमण होने लगता है।
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ऑस्टियोपेटरोसिस क्यों होता है?
ऑस्टियोपेटरोसिस एक अनुवांशिक रोग हैं। ऑस्टियोक्लास्ट्स कोशिकाओं में दोष, इसका मुख्य कारण होता है। यह कोशिकाएं हड्डियों को स्वस्थ बनाने का कार्य करती हैं। ऑस्टियोक्लास्ट्स कोशिकाएं हड्डियों के पुराने ऊतकों को नष्ट करके नए ऊतकों को बनाने का काम करती हैं। यह प्रक्रिया ही हड्डियों के बढ़ने का कारण होती है। हड्डियों के बढ़ने से सिर व रीढ़ की हड्डी पर मौजूद नसों पर दबाव पड़ता है।
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ऑस्टियोपेटरोसिस का इलाज कैसे होता है?
बच्चों को होने वाले ऑस्टियोपेटरोसिस का इलाज हिमाटोपोइटिक्स स्मेल सेल ट्रांसप्लांट (hematopoetic stem cell transplantation) के द्वारा किया जाता है।
जीन थेरेपी के द्वारा इसका इलाज खोजने का प्रयास किया जा रहा है। जिन लोगों को हिमाटोपोइटिक्स स्मेल सेल ट्रांसप्लांट से लाभ नहीं मिल सका हैं उनके लिए यह प्रयोग किया जा रहा है।
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