स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम क्या है?
स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम को एसजेएस (SJS) भी कहा जाता है। यह काफी गंभीर प्रकार का रोग होता है, हालांकि इसके काफी कम मामले देखे जाते हैं। जॉनसन स्टीवन सिंड्रोम मुख्य रूप से त्वचा, श्लेष्म झिल्ली, जननांगों और आंखों को प्रभावित करता है।
स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?
स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम आमतौर पर बुखार के साथ शुरू होता है और ऐसा महसूस होता है जैसे आपको फ्लू हो गया है। कुछ दिन बाद इसके अन्य लक्षण दिखाई देने लग जाते हैं, जैसे त्वचा में दर्द, त्वचा पर चकत्ते, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द और खांसी आदि। यदि आपको स्टीवन जॉनसन है, तो त्वचा पर चकत्ते बनने से कुछ दिन पहले आपको बुखार, गले में दर्द, मुंह में दर्द, थकान, खांसी और आंखों में जलन जैसे लक्षण भी महसूस हो सकते हैं।
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स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम क्यों होता है?
एसजेएस मुख्य रूप से किसी प्रकार की दवा लेने से या किसी प्रकार के इन्फेक्शन के कारण होता है। दवा लेने के दौरान किसी प्रकार का रिएक्शन होना या दवाएं छोड़ने के बाद किसी प्रकार का रिएक्शन होने के कारण एसजेएस हो सकता है। कुछ मुख्य प्रकार की दवाएं जो स्टीवंस जॉन्सन सिंड्रोम का कारण बन सकती है जैसे गाउट का इलाज करने वाली दवाएं (Allopurinol), मानसिक रोग व मिर्गी आदि की रोकथाम करने वाली दवाएं, दर्द निवारक दवाएं और इन्फेक्शन से लड़ने वाली दवाएं आदि।
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यदि एसजेएस का कारण किसी प्रकार की दवा का रिएक्शन है, तो उस दवा व उस जैसी अन्य दवाओं को छोड़कर इस रोग से बचाव किया जा सकता है।
स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम का इलाज कैसे होता है?
स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम का इलाज करने के लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है, इस दौरान अक्सर आईसीयू (गहन देखभाल प्रक्रिया) और बर्न यूनिट (त्वचा जलने पर इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रियाएं) आदि की आवश्यकता पड़ती है। यदि किसी प्रकार की दवा के कारण आपको ये समस्या हो रही है, तो डॉक्टर वे दवाएं बंद करवा देते हैं। इलाज के दौरान डॉक्टर आपके लक्षणों को शांत करने की कोशिश करते हैं और संक्रमण आदि फैलने से भी रोकते हैं। ऐसा करने से आपके ठीक होने की गति बढ़ जाती है।
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