फिश स्किन डिजीज - Fish Skin Disease in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

January 23, 2019

April 12, 2021

फिश स्किन डिजीज
फिश स्किन डिजीज

फिश स्किन डिजीज क्या है?

फिश स्किन डिजीज त्वचा संबंधी कई समस्याओ का एक समूह है, जिनसे त्वचा में पपड़ी बनने लगती है और रुखापन आ जाता है। इसे मेडिकल भाषा में इक्थियोसिस के नाम से जाना जाता है और कुछ लोग इसे फिश स्केल के नाम से भी जानते हैं। इस रोग में त्वचा पर अतिरिक्त पपड़ी बनने लग जाती है और त्वचा सामान्य की तुलना में मोटी हो जाती है। इस स्थिति में व्यक्ति की त्वचा नमी नहीं बनाए रख पाती है। इक्थियोसिस के करीब 20 अन्य प्रकार होते हैं। अधिकतर प्रकार के इक्थियोसिस जन्मजात होते हैं, जबकि कुछ वयस्क होने पर विकसित होते हैं। इसके ज्यादातर प्रकार दुर्लभ होते हैं, जबकि इक्थियोसिस वल्गारिस और एक्स-लिंक्ड रिसेस्सिव इक्थियोसिस इनमें मुख्य होते हैं।

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फिश स्किन डिजीज के लक्षण क्या हैं?

इक्थियोसिस के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनके अनुसार उनके लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। इक्थियोसिस के कई लक्षण आनुवंशिक रूप से शिशु को जन्म के समय से ही या पहले कुछ महिनों में होते हैं। त्वचा में रूखापन और पपड़ी होना इक्थियोसिस के सबसे मुख्य लक्षण माने जाते हैं। इसमें त्वचा पर होने वाली पपड़ी का रंग हल्का सफेद, हल्का या गहरा भूरा हो सकता है। इसके गंभीर मामलों में त्वचा ऊपर से खुरदरी और मोटी हो जाती है। इक्थियोसिस के कुछ मुख्य लक्षणों में निम्न शामिल हैं -

  • त्वचा में लालिमा
  • फफोले होना
  • त्वचा पर पपड़ी उतरना
  • खुजली
  • त्वचा में दर्द होना
  • हथेलियों व पैरों के तलवों पर दरारें होना
  • खुजली करने पर खून आना

 डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपको कई दिन से लगातार त्वचा में खुजली हो रही है और सामान्य उपाय करने पर भी आराम नहीं हो रहा है, तो एक बार त्वचा विशेषज्ञ को दिखा लेना चाहिए। इसके अलावा यदि आपको ऊपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है और आपको संदेह है कि आपको फिश स्किन डिजीज हो सकता है, तो भी डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए।

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फिश स्किन डिजीज क्यों होती है?

इक्थियोसिस एक आनुवंशिक रोग है, जो जीन के जरिए माता या पिता से प्राप्त होता है। सरल भाषा में कहें तो, यदि माता या पिता में से किसी को इक्थियोसिस की समस्या है तो बच्चे को भी उनके खराब जीन प्राप्त होने से यह समस्या हो सकती है।

ये खराब जीन प्रभावित त्वचा को फिर से बनाने की प्रक्रिया को प्रभावित कर देते हैं। इनके कारण पुरानी व क्षतिग्रस्त त्वचा कोशिकाओं को भी नष्ट होने में सामान्य से अधिक समय लगता है और परिणामस्वरूप त्वचा में रुखापन आने लगता है। इस प्रक्रिया में हुई असामान्यता को ही फिश स्किन डिजीज कहा जाता है।

इक्थियोसिस के कुछ प्रकार अनुवांशिक नहीं होते बल्कि ये बाद में किसी कारणवश विकसित होते हैं। इन्हें एक्वायर्ड इक्थियोसिस कहा जाता है, जिनका मतलब है प्राप्त किया जाने वाला रोग। एक्वायर्ड इक्थियोसिस आमतौर पर वयस्क लोगों में अधिक देखा जाता है। अभी तक इसके सटीक कारणों के बारे में पता नहीं चल पाया है। हालांकि, निम्न रोगों से ग्रस्त लोगों में यह अधिक देखा जाता है -

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फिश स्किन डिजीज का परीक्षण कैसे किया जाता है?

इक्थियोसिस का परीक्षण सिर्फ त्वचा विशेषज्ञ डॉक्टर (डर्मेटोलॉजिस्ट) के द्वारा ही किया जाना चाहिए। डर्मेटोलॉजिस्ट सबसे पहले त्वचा की करीब से जांच करते हैं और साथ ही आपके स्वास्थ्य से संबंधित कुछ सवाल पूछते हैं। कई बार कुछ दवाएं खाने पर भी त्वचा में एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है, जो फिश स्किन डिजीज के समान प्रतीत हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर आपके द्वारा खाई जाने वाली दवाओं के बारे में भी पूछ सकते हैं। इक्थियोसिस के परीक्षण की पुष्टि करने के लिए कुछ टेस्ट किए जा सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

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फिश स्किन डिजीज​​ का इलाज कैसे होता है?

फिश स्किन डिजीज के लिए अभी तक कोई सटीक इलाज उपलब्ध नहीं हो पाया है। हालांकि, स्थिति के लक्षणों और अंदरूनी कारणों के अनुसार इस स्थिति को पूरी तरह से या कुछ हद तक खत्म करने में सफलता मिल सकती है। इक्थियोसिस के इलाज का मुख्य लक्ष्य त्वचा के रुखेपन को खत्म करना है।

त्वचा की नमी बनाए रखने के लिए डॉक्टर कुछ विशेष प्रकार की मरहम, क्रीम और लोशन देते हैं। इसके अलावा रोजाना हल्के गर्म पानी में नमक मिलाकर नहाने की सलाह भी दी जा सकती है। इसके अलावा यदि मरीज को प्रभावित त्वचा में अधिक खुजली हो रही है, तो खुजली को नियंत्रित करने के लिए भी कुछ दवाएं दी जा सकती हैं।

यदि इक्थियोसिस के कारण त्वचा में लक्षण गंभीर हो गए हैं, तो डॉक्टर कुछ विशेष दवाएं दे सकते हैं। इन दवाओं में एसिट्रेटिन और आइसोट्रेटीनोइन आदि रेटिनोइड दवाएं शामिल हैं। हालांकि, रेटिनोइड दवाओं से मरीज को कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं जैसे हड्डियां कमजोर होना, मुंह सूखना और पेट खराब होना आदि। ये दवाएं देने के बाद डॉक्टर मरीज के स्वास्थ्य पर निरंतर नजर रखते हैं।

यदि इक्थियोसिस आनुवंशिक नहीं है और किसी अन्य कारण से हुआ है, तो अंदरूनी कारण का इलाज करके स्थिति का इलाज किया जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि किसी प्रकार के संक्रमण या एलर्जी आदि के कारण त्वचा में पपड़ी बनने लगती हैं, तो संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक व एंटीवायरल दवाएं और एलर्जी के लिए एंटी-एलर्जिक दवाओं का इस्तेमाल किया  जा सकता है।

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संदर्भ

  1. National Health Service [Internet]. UK; Ichthyosis
  2. British Association of Dermatologists [Internet]. London, UK; Ichthyosis.
  3. American Academy of Dermatology. Illinois, US; Ichthyosis vulgaris
  4. Foundation for Ichthyosis and Related Skin Types. What is Ichthyosis?. Pennsylvania, US State. [internet].
  5. American Academy of Dermatology. Rosemont (IL), US; Ichthyosis vulgaris