परिचय
हमारा खून पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है और ऑक्सीजन की मात्रा को सटीक रूप से नियंत्रित करता है। जब आपके खून में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन ना हो तो उस स्थिति को हाइपोक्सेमिया या ऑक्सीजन की कमी कहा जाता है। यह एक खतरनाक स्थिति है। यह फेफड़ों संबंधी विभिन्न समस्याओं जैसे लंग कैंसर, निमोनिया, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस आदि के कारण हो सकती है। इसके अलावा हृदय संबंधी समस्याएं होने पर भी ऑक्सीजन की कमी हो सकती है।
ऑक्सीजन की कमी होने पर सिरदर्द होना और सांस फूलना आदि समस्याएं होने लगती हैं। कुछ गंभीर मामलों में ऑक्सीजन की कमी होने पर हृदय व मस्तिष्क ठीक से काम करना बंद कर देते हैं। जिन लोगों को श्वसन या हृदय संबंधी समस्याएं हैं या फिर जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनको ऑक्सीजन की कमी होने का खतरा सबसे अधिक रहता है।
खून में ऑक्सीजन के स्तर की जांच करके ऑक्सीजन की कमी का पता लगाया जाता है। इस टेस्ट को अर्टरियल ब्लड गैस कहा जाता है, जिसमें धमनी से खून का सेंपल लिया जाता है। इसके अलावा पल्स ऑक्सीमीटर टेस्ट की मदद से भी खून में ऑक्सीजन के स्तर का अंदाजा लगाया जा सकता है। पल्स ऑक्सिमीटर एक छोटा सा उपकरण होता है, जिसको उंगली के सिरे पर लगाया जाता है।
ऑक्सीजन की कमी होने से ऊतकों में भी ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिस स्थिति को हाइपोक्सिया कहा जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि खून पर्याप्त मात्रा में ऊतकों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाता और ऊतकों में ऑक्सीजन की कमी होने लग जाती है। इस स्थिति का इलाज करने के लिए ऑक्सीजन थेरेपी दी जाती है और सांस के द्वारा ली जाने वाली कुछ दवाएं दी जाती हैं। इसके अलावा ऑक्सीजन की कमी का कारण बनने वाली स्थिति का इलाज भी किया जाता है।
ऑक्सीजन खत्म होने पर आपका मस्तिष्क, लीवर व अन्य लक्षण शुरू होने के कुछ ही मिनटों के अंदर खराब हो जाते हैं और काम करना बंद कर देते हैं।
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